भारत में दिव्यांग अधिकार: समावेशी विकास को मजबूत करने की पहल, कानून, डिजिटल प्लेटफॉर्म
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भारत ने RPwD अधिनियम 2016, सुगम्य भारत अभियान और डिजिटल ऐप्स के माध्यम से दिव्यांग अधिकारों और सामाजिक समावेशन को सुदृढ़ किया।
संशोधित सुगम्य भारत ऐप और पीएम-दक्ष पोर्टल कौशल विकास, छात्रवृत्ति और रोजगार अवसर प्रदान करके दिव्यांग व्यक्तियों को सशक्त बनाते हैं।
दिव्य कला मेला और पर्पल फेस्ट 2025 उद्यमिता, कला और समावेशिता को बढ़ावा देकर दिव्यांग कारीगरों और उद्यमियों के लिए मंच प्रदान करते हैं।
नई दिल्ली/ भारत ने दिव्यांग व्यक्तियों (PwDs) के अधिकारों और कल्याण को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। वर्षों में देश ने समानता, गरिमा और पहुँच सुनिश्चित करने के लिए प्रगतिशील कानूनी ढांचे, नीतियाँ और तकनीकी पहल अपनाई हैं। इस दिशा में दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 (RPwD Act, 2016) सबसे अहम पहल है, जिसने 1995 के अधिनियम की जगह ली। यह अधिनियम 21 प्रकार की दिव्यांगताओं को मान्यता देता है, शिक्षा और रोजगार में आरक्षण सुनिश्चित करता है, और समाज में पूर्ण भागीदारी की सुविधा प्रदान करता है।
कानूनी अधिकारों के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए सरकार ने कई योजनाएं शुरू की हैं। विशेष रूप से सुगम्य भारत अभियान, दिसंबर 2015 में शुरू हुआ, जिसका उद्देश्य सार्वजनिक बुनियादी ढांचे, परिवहन प्रणाली और डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म में सार्वभौमिक पहुँच सुनिश्चित करना है। यह अभियान लंबे समय से मौजूद बाधाओं को दूर कर समावेशी विकास को बढ़ावा देता है।
तकनीकी नवाचारों ने भी दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारों को सशक्त किया है। संशोधित सुगम्य भारत ऐप उपयोगकर्ताओं को सार्वजनिक स्थानों की पहुंच की जानकारी, सरकारी योजनाओं, छात्रवृत्तियों, रोजगार अवसरों और शिकायत निवारण की सुविधा प्रदान करता है। यह ऐप बहुभाषी, स्क्रीन रीडर और वॉइस नेविगेशन सपोर्ट के साथ आता है, जिससे डिजिटल पहुँच आसान हो गई है।
सरकार ने कौशल विकास और रोजगार अवसरों पर भी जोर दिया है। पीएम-दक्ष DEPwD पोर्टल दिव्यांग व्यक्तियों को प्रशिक्षण संस्थानों, नियोक्ताओं और नौकरी प्लेटफॉर्म से जोड़ता है। यह पोर्टल 250 से अधिक कौशल पाठ्यक्रम और जियो-टैग की गई नौकरी सूची प्रदान करता है, जिससे रोजगार के अवसर बढ़ते हैं।
शिक्षा और डिजिटल समावेशिता के लिए भारतीय सांकेतिक भाषा अनुसंधान और प्रशिक्षण केंद्र (ISLRTC) प्रमुख पहल है। इस केंद्र ने 3,189 से अधिक ई-कंटेंट वीडियो और व्यापक ISL शब्दकोश तैयार किया है, जिससे बधिर और श्रवण बाधित छात्रों को शिक्षा में मदद मिलती है। DTH चैनल 31 पर ISL आधारित पाठ्यक्रम उपलब्ध कराए गए हैं, जिससे देशभर में पहुँच सुनिश्चित होती है।
स्वास्थ्य और पुनर्वास भी सरकार की प्राथमिकता में शामिल हैं। ADIP योजना (दिव्यांगजनों के लिए सहायता), 1981 में शुरू की गई, दिव्यांगों को सहायक उपकरण और आधुनिक तकनीकी साधन उपलब्ध कराती है। उदाहरण स्वरूप, नागपुर की तीन साल की कृतिका ने ADIP योजना के तहत कॉक्लियर इम्प्लांट से सुनने की क्षमता प्राप्त की और अब स्कूल में दाखिला ले चुकी है।
आर्थिक सशक्तिकरण के लिए राष्ट्रीय दिव्यांगजन वित्त और विकास निगम (NDFDC) और ALIMCO (Artificial Limbs Manufacturing Corporation of India) महत्वपूर्ण हैं। ये संस्थान दिव्यांग व्यक्तियों को ऋण, स्वरोजगार और पुनर्वास उपकरण उपलब्ध कराते हैं, जिससे उनकी स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता बढ़ती है।
सांस्कृतिक और उद्यमिता समावेशिता के लिए दिव्य कला मेला आयोजित किया जाता है। 2025 में पटना में आयोजित 26वें संस्करण में 100 दिव्यांग कारीगरों और उद्यमियों ने भाग लिया। हस्तशिल्प, पैकेज्ड फूड, खिलौने और सहायक उपकरण प्रदर्शित किए गए। इसी तरह, पर्पल फेस्ट 2025 दिव्यांग व्यक्तियों के समावेशन और सशक्तिकरण का सबसे बड़ा उत्सव है, जिसमें सहायक तकनीक और कौशल विकास प्रदर्शित किए जाते हैं।
प्रशासनिक दृष्टिकोण भी मजबूत किया गया है। विशिष्ट दिव्यांगजन पहचान (UDID) परियोजना के तहत एक राष्ट्रीय डेटाबेस बनाया गया है और प्रत्येक दिव्यांग व्यक्ति को पहचान पत्र जारी किया जाता है। यह प्रणाली सरकारी लाभ वितरण में पारदर्शिता, जवाबदेही और दक्षता सुनिश्चित करती है। UDID कार्ड रेलवे यात्रा पर रियायत के लिए भी प्रयोग किया जाता है।
इन सभी पहलों, कानूनी, डिजिटल, शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य, वित्त और सांस्कृतिक के माध्यम से भारत यह सुनिश्चित करता है कि दिव्यांगजन स्वतंत्र रूप से जीवन यापन कर सकें, समाज में पूर्ण भागीदारी कर सकें और सम्मानपूर्वक अवसर प्राप्त कर सकें।
2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में 2.68 करोड़ दिव्यांग व्यक्ति हैं, जो कुल आबादी का 2.21% हैं। इनमें 1.50 करोड़ पुरुष और 1.18 करोड़ महिलाएं शामिल हैं। भारत की दूरदर्शी नीतियाँ और डिजिटल, कौशल, रोजगार और सांस्कृतिक प्लेटफॉर्म इसे एक समावेशी और सुलभ समाज बनाने की दिशा में अग्रसर कर रहे हैं। भारत का दृष्टिकोण यह दर्शाता है कि विविधता को सम्मान, बाधाओं को हटाने और प्रत्येक व्यक्ति को गरिमा और अवसर देने के लिए एक समग्र और समावेशी मॉडल अपनाया गया है। ये प्रयास न केवल दिव्यांगों को सशक्त बनाते हैं बल्कि समाज में समानता, सम्मान और अवसर की संस्कृति को भी मजबूत करते हैं।