भारत में डेयरी विकास को गति: सौर इकाइयों, NPDD और प्रजनन तकनीक से किसानों को बड़ा लाभ

Tue 09-Dec-2025,03:39 PM IST +05:30

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भारत में डेयरी विकास को गति: सौर इकाइयों, NPDD और प्रजनन तकनीक से किसानों को बड़ा लाभ
  • सरकार एनपीडीडी और एएचआईडीएफ योजनाओं के माध्यम से दूध प्रसंस्करण, शीतलन और सौर ऊर्जा आधारित डेयरी अवसंरचना को तेजी से विकसित कर रही है।

  • राष्ट्रीय गोकुल मिशन तकनीक आधारित प्रजनन सुधार के जरिए छोटे एवं सीमांत डेयरी किसानों की उत्पादकता और आय वृद्धि पर केंद्रित है।

  • सौर ऊर्जा चालित बीएमसी और डेयरी इकाइयों की स्थापना ग्रामीण डेयरी सहकारिताओं में ऊर्जा लागत घटाकर लाभप्रदता बढ़ाने में सहायक बनी है।

Delhi / New Delhi :

Delhi/ भारत में डेयरी अवसंरचना को सुदृढ़ करने और छोटे एवं सीमांत डेयरी किसानों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से केंद्र सरकार पशुपालन और डेयरी विभाग (DAHD) के माध्यम से कई प्रमुख योजनाओं को तेजी से लागू कर रही है। संसद में पूछे गए प्रश्न के उत्तर में पशुपालन एवं डेयरी मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह उर्फ़ लल्लन सिंह ने बताया कि विभाग दो महत्वपूर्ण अवसंरचना विकास योजनाओं राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (NPDD) और पशुपालन अवसंरचना विकास निधि (AHIDF) के माध्यम से राज्यों को वित्तीय एवं तकनीकी सहायता प्रदान कर रहा है। 

NPDD के अंतर्गत दूध खरीद, प्रसंस्करण और शीतलन क्षमताओं के विस्तार के लिए ग्रामीण डेयरी सहकारी समितियों को सहायता दी जा रही है। दूध परीक्षण उपकरणों की स्थापना के साथ-साथ SPV और TSS आधारित सौर ऊर्जा चालित बल्क मिल्क कूलर्स (BMC) के लिए भी समर्थन उपलब्ध कराया जा रहा है, जिनमें से अब तक 52 सौर ऊर्जा आधारित बीएमसी को स्वीकृति मिल चुकी है। इसके परिणामस्वरूप ग्रामीण क्षेत्रों में ऊर्जा लागत और लॉजिस्टिक चुनौतियों में कमी आने लगी है।

वहीं, AHIDF के माध्यम से दुग्ध प्रसंस्करण संयंत्र, शीत भंडारण सुविधाएँ, मूल्यवर्धित डेयरी इकाइयाँ और नवीकरणीय ऊर्जा मॉडल को बढ़ावा देने के लिए ऋण और सब्सिडी आधारित सहायता उपलब्ध है। तीन प्रमुख दुग्ध संघ बरौनी (बिहार), बनासकांठा (गुजरात) और एर्नाकुलम (केरल) को सौर ऊर्जा संचालित प्रसंस्करण इकाइयों के लिए सहायता प्रदान की गई है।

तकनीक आधारित विस्तार के लिए डीएएचडी राष्ट्रीय गोकुल मिशन संचालित कर रहा है, जो पशुओं के आनुवंशिक उन्नयन और वैज्ञानिक प्रजनन तकनीकों को बढ़ावा देता है। इस मिशन के तहत राष्ट्रव्यापी AI कार्यक्रम से 9.36 करोड़ पशु शामिल हुए, 14.56 करोड़ कृत्रिम गर्भाधान किए गए और 5.62 करोड़ किसानों को प्रत्यक्ष लाभ पहुंचा। स्वदेशी तकनीक के तहत लिंग-विभेदित वीर्य की लागत 800 रुपये से घटाकर 250 रुपये की गई है। साथ ही 39,810 प्रशिक्षित मैत्री तकनीशियन ग्रामीण स्तर पर घर-घर एआई सेवाएं दे रहे हैं।

IVF, संतति परीक्षण, वीर्य केंद्रों का विस्तार और किसान जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से सरकार उत्पादकता बढ़ाने के साथ डेयरी किसानों की आय को स्थिर और निरंतर बनाने पर जोर दे रही है। सरकार का मानना है कि तकनीक, आधुनिक प्रजनन विज्ञान और हरित ऊर्जा आधारित डेयरी मॉडल मिलकर ग्रामीण डेयरी अर्थव्यवस्था में बड़ा परिवर्तन ला सकते हैं।