भारत में युवा शादी से क्यों बच रहे? करियर, खर्च और बदलती सोच बड़े कारण
ताजा खबरों से अपडेट रहने के लिए हमारे Whatsapp Channel को Join करें |
भारत में युवाओं में शादी टालने का ट्रेंड तेजी से बढ़ा है। करियर प्रेशर, आर्थिक बोझ, स्वतंत्र सोच और लिव-इन संस्कृति इसकी मुख्य वजहें मानी जा रही हैं।
जबलपुर/ भारत जैसे सामाजिक रूप से पारिवारिक मूल्यों पर आधारित देश में एक दिलचस्प बदलाव देखने को मिल रहा है लोग अब शादी को लेकर पहले जितने उत्साहित नहीं हैं। बड़े शहरों से लेकर छोटे कस्बों तक, युवाओं में विवाह को टालने या पूरी तरह से छोड़ देने की प्रवृत्ति तेजी से बढ़ रही है। यह बदलाव अचानक नहीं आया, बल्कि कई सामाजिक, आर्थिक और व्यक्तिगत कारणों की वजह से यह नया ट्रेंड उभर रहा है।
सबसे बड़ा कारण है आर्थिक दबाव और करियर की प्राथमिकता। आज की युवा पीढ़ी नौकरी, स्टार्टअप, करियर ग्रोथ और फाइनेंशियल स्टेबिलिटी को शादी से ज्यादा अहम मानने लगी है। महंगाई, घर के बढ़ते खर्च, बच्चों की शिक्षा और जीवन के लक्ष्यों को देखते हुए कई युवा मानते हैं कि शादी आर्थिक बोझ बढ़ा देती है।
इसके अलावा, महिलाओं की बढ़ती शिक्षा और आर्थिक स्वतंत्रता भी इस बदलाव का बड़ा कारण है। पहले महिलाओं को शादी ही जीवन का लक्ष्य बताया जाता था, लेकिन आज उनका फोकस करियर, आत्मनिर्भरता और व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर है। कई महिलाएँ मानती हैं कि शादी उनकी स्वतंत्रता या करियर प्रगति को सीमित कर सकती है।
शहरों में तेजी से बदलती लाइफस्टाइल और रिश्तों को लेकर बढ़ती जागरूकता भी एक कारण है। कई युवा यह महसूस करते हैं कि शादी कोई मजबूरी नहीं होनी चाहिए। रिश्तों में बराबरी, मानसिक शांति और व्यक्तिगत स्पेस आज की पीढ़ी की प्राथमिकता है, जिसकी कमी होने पर वे शादी को टालना बेहतर समझते हैं।
लिव-इन रिलेशनशिप का बढ़ता चलन भी एक महत्वपूर्ण पहलू है। लोग अब कानूनी शादी की औपचारिकता से ज्यादा सहमति और समझ पर आधारित संबंधों को प्राथमिकता दे रहे हैं। इसका सीधा असर शादी की संख्या पर पड़ा है।
साथ ही, तलाक के बढ़ते मामलों और रिश्तों में अस्थिरता के कई उदाहरण युवाओं को डराते भी हैं। वे सोचते हैं कि अगर शादी सफल न हुई, तो मानसिक, सामाजिक और आर्थिक नुकसान झेलने पड़ सकते हैं, इसलिए पहले स्थिर जीवन बनाना जरूरी है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह बदलाव आने वाले वर्षों में और तेज़ होगा। भारत की युवा पीढ़ी अब अपने भविष्य, करियर और मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता दे रही है। शादी अब सामाजिक दबाव में नहीं, बल्कि व्यक्तिगत पसंद में बदल रही है।