मिशन कर्मयोगी : प्रशासनिक कौशल में होगा सुधार
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बिहार में सरकारी अधिकारियों के कौशल को सशक्त बनाने और प्रशासनिक दक्षता बढ़ाने के लिए डिजिटल प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है।
बिहार के अधिकारियों ने कर्मयोगी प्लेटफॉर्म पर सक्रिय भागीदारी दिखाते हुए ऑनलाइन पाठ्यक्रमों के माध्यम से अपने कौशल को बेहतर किया है।
दिल्ली/प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मिशन कर्मयोगी पहल के अंतर्गत, जो कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के तहत संचालित की जाती है, बिहार में सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए एक नई दिशा खोलने वाला कदम उठाया गया है। 7 अक्टूबर 2024 को, बिहार लोक प्रशासन और ग्रामीण विकास संस्थान (BIPARD) ने क्षमता निर्माण आयोग और कर्मयोगी भारत के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते का मुख्य उद्देश्य बिहार के सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों की क्षमताओं को सुदृढ़ करना है, ताकि वे नियमाधारित कार्य पद्धतियों से भूमिकाधारित कार्य पद्धतियों की ओर बढ़ सकें। इस पहल के तहत, कर्मयोगी प्लेटफॉर्म के माध्यम से सरकारी सेवकों को सशक्त बनाने का प्रयास किया जा रहा है, जो कि एक प्रमुख डिजिटल पहल है।
बिहार के सरकारी अधिकारियों की सक्रिय भागीदारी
बिहार के सरकारी अधिकारी अब iGOT कर्मयोगी प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध विभिन्न ऑनलाइन पाठ्यक्रमों में सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैं। अब तक 20 MDO एडमिन (मीडिया और डोमेन ऑपरेटर) सफलतापूर्वक पंजीकृत हो चुके हैं, और कुल 2,42,053 कर्मयोगियों का प्लेटफॉर्म पर ऑनबोर्डिंग किया गया है। इसके परिणामस्वरूप 31,368 पाठ्यक्रम नामांकन दर्ज किए गए हैं। इसके अलावा, 23,724 पाठ्यक्रम पूर्णता और प्रमाणपत्र प्राप्ति की रिपोर्ट की गई है, जो अधिकारियों की पेशेवर कौशल को बढ़ाने की प्रतिबद्धता और उनके प्रयासों को दर्शाता है।
उपलब्ध पाठ्यक्रम
कर्मयोगी प्लेटफॉर्म पर प्रशासनिक और शासन कौशल को सुधारने के लिए विभिन्न पाठ्यक्रम उपलब्ध कराए गए हैं। इन पाठ्यक्रमों में समावेशिता और सुगम्यता को सुनिश्चित करने के लिए इन्हें हिंदी में भी उपलब्ध कराया गया है। मिशन कर्मयोगी के 25 पाठ्यक्रम मॉड्यूल को पूरी तरह से हिंदी में रूपांतरित किया गया है, जिसमें हिंदी वॉयस ओवर और सबटाइटल शामिल हैं। इस कदम से इन पाठ्यक्रमों की पहुंच बिहार और अन्य क्षेत्रों में व्यापक हो गई है, जिससे अधिक सरकारी अधिकारी इस पहल का लाभ उठा रहे हैं और अपनी क्षमताओं को बढ़ा रहे हैं।
कौशल विकास के लिए निरंतर प्रयास
इस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर क्षमता निर्माण आयोग कर्मयोगी भारत और बिहार सरकार के बीच एक दीर्घकालिक साझेदारी की शुरुआत का प्रतीक है। यह साझेदारी बिहार के सिविल सेवकों के लिए सतत सीखने और कौशल वृद्धि को प्रोत्साहित करेगी। इस प्रयास का उद्देश्य सरकारी सेवाओं के क्षेत्र में बेहतर दक्षता और प्रभावशीलता लाना है, जो अंततः नागरिकों को बेहतर सेवाएं प्रदान करेगा। मिशन कर्मयोगी पहल के तहत डिजिटल प्रशिक्षण कार्यक्रम सरकार की एक अधिक कुशल और उत्तरदायी कार्यबल को बढ़ावा देने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं, ताकि भारत के नागरिकों को बेहतर शासन और सेवाएं मिल सकें।
मिशन कर्मयोगी की विशेषताएँ
मिशन कर्मयोगी की पहल को राष्ट्रीय सिविल सेवा क्षमता निर्माण कार्यक्रम (एनपीसीएससीबी) के तहत प्रस्तुत किया गया है। यह कार्यक्रम सिविल सेवा अधिकारियों को कर्मयोगी भारत पोर्टल प्रदान करता है, जो एक ऑनलाइन शिक्षण मंच है। इसका मुख्य उद्देश्य भारतीय लोकाचार में निहित एक सक्षम सिविल सेवा का निर्माण करना है। यह सिविल सेवा अधिकारियों को अपने कार्यक्षेत्र में बेहतर समझ, दक्षता और कार्य करने की क्षमता प्रदान करता है, ताकि वे भारत की प्राथमिकताओं और जरूरतों के अनुसार कार्य कर सकें।
मिशन कर्मयोगी के माध्यम से भारतीय सिविल सेवकों को न केवल प्रशासनिक कार्यों में दक्ष बनाया जा रहा है, बल्कि उन्हें नेतृत्व, रणनीति, और संकट प्रबंधन जैसे महत्वपूर्ण कौशल भी सिखाए जा रहे हैं। यह डिजिटल प्लेटफॉर्म अधिकारियों को व्यक्तिगत और पेशेवर विकास के अवसर प्रदान करता है, जिससे उनकी कार्यकुशलता में वृद्धि होती है।
निरंतर शिक्षा और क्षमता निर्माण
मिशन कर्मयोगी पहल का मुख्य उद्देश्य सरकारी अधिकारियों के लिए निरंतर शिक्षा और क्षमता निर्माण का एक स्थायी ढांचा तैयार करना है। यह न केवल भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के लिए, बल्कि सभी सरकारी कर्मचारियों के लिए एक व्यापक प्रशिक्षण प्लेटफॉर्म है। इस पहल के तहत, भारतीय सरकार ने सिविल सेवा के अधिकारियों को आधुनिक तकनीकी उपकरणों, नेतृत्व कौशल, और समाज सेवा में दक्षता प्राप्त करने के लिए एक आदर्श प्रशिक्षण मॉडल प्रदान किया है।
निष्कर्ष
मिशन कर्मयोगी की पहल भारतीय प्रशासन और सरकार के कार्यकुशलता को बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण कदम है। बिहार में इस पहल का कार्यान्वयन यह सुनिश्चित करेगा कि सरकारी अधिकारी न केवल अपने कार्य क्षेत्र में उत्कृष्ट हों, बल्कि उनके पास अपने कर्तव्यों को निभाने के लिए आवश्यक कौशल और ज्ञान हो। यह पहल राज्य और देशभर में प्रशासनिक सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है, जिससे भारत में शासन की गुणवत्ता और नागरिक सेवाओं की प्रभावशीलता को और बेहतर किया जा सकेगा।
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