गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने से शुरू हुई चार धाम यात्रा 2025
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अक्षय तृतीया पर गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोले गए, जिससे आधिकारिक रूप से चारधाम यात्रा 2025 की शुरुआत हो गई।
पहले दिन गंगोत्री में 1000+ और यमुनोत्री में 3000+ श्रद्धालु पहुंचे, डोलियों की भव्य यात्रा और पूजा-अर्चना के साथ कपाट खुलने की परंपरा निभाई गई।
मंदिर परिसर में सुरक्षा व्यवस्था सख्त रही, हेलिकॉप्टर से फूल बरसाए गए, और यमुनोत्री घाट पर स्नान करने के लिए हजारों श्रद्धालु पहुंचे।
अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर उत्तराखंड के प्रसिद्ध गंगोत्री और यमुनोत्री धामों के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए हैं, जिससे विधिवत चार धाम यात्रा की शुरुआत हो गई है। इस शुभ दिन को देखने और मां गंगा तथा मां यमुना के दर्शन करने के लिए हजारों श्रद्धालु पहाड़ी मार्गों पर पहुंचे। गंगोत्री धाम में 1,000 से अधिक और यमुनोत्री में 3,000 से ज्यादा भक्तों ने पहले दिन दर्शन किए।
सुबह सबसे पहले मां गंगा की डोली अपने पारंपरिक स्थल मुखबा गांव से गंगोत्री धाम पहुंची। राजपूताना राइफल्स की बैंड धुनों और हेलिकॉप्टर से फूलों की वर्षा के साथ गंगा मां की पूजा-अर्चना हुई। इसके बाद यमुनोत्री धाम के कपाट 11:55 बजे खोले गए। मां यमुना की उत्सव डोली जानकी चट्टी से चली और मंदिर में पधारी, जिसके बाद विधिवत पूजा और मंत्रोच्चार के साथ कपाट खोल दिए गए।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दोनों धामों में पहुंचकर पूजा-अर्चना की और राज्यवासियों के लिए सुख-शांति की कामना की। चार धाम यात्रा का अगला चरण अब 2 मई को केदारनाथ और 4 मई को बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने के साथ आगे बढ़ेगा।
यमुनोत्री धाम में मां यमुना की डोली के स्वागत के लिए मंदिर को भव्य तरीके से सजाया गया। सुरक्षा के दृष्टिकोण से मंदिर परिसर को खाली कराया गया और पुलिस बल की तैनाती की गई ताकि किसी भी प्रकार की भगदड़ से बचा जा सके। डोली के साथ लगभग 3000 श्रद्धालु जयकारों के साथ मंदिर की ओर बढ़ रहे थे। श्रद्धालु यमुनोत्री स्नान घाट पर स्नान कर रहे थे, जहां मान्यता है कि अक्षय तृतीया के दिन यमुना नदी का स्नान मृत्यु के बाद प्रेत योनि से मुक्ति दिलाता है।
कपाट खुलने के दिन ही यमुनोत्री मार्केट एक बार फिर से जीवंत हो गया। हनुमान चट्टी और जानकी चट्टी के स्थानीय दुकानदारों ने पूजन सामग्री, चुनरी और खाद्य सामग्री के स्टॉल लगा लिए हैं। यह बाजार अब अगले छह महीने तक श्रद्धालुओं की सेवा में रहेगा।
यमुनोत्री मंदिर के पास ही स्थित है एक प्राचीन हनुमान मंदिर, जिसे अयोध्या के दिगंबर अखाड़े द्वारा संचालित किया जाता है। श्रद्धालु यहां यमुना दर्शन के बाद इस मंदिर में पूजा करते हैं। माना जाता है कि पहले यह मंदिर एक गुफा के रूप में था, जिसकी खोज नेपाल से आए महात्मा राम भरोसे दास जी महाराज ने की थी और इसका सुंदरीकरण 1995 में श्री बृजमोहन खंडेलवाल द्वारा कराया गया।
यमुनोत्री मंदिर समिति के अनुसार, कपाट खुलने के पहले दिन 10,000 श्रद्धालुओं के आने की संभावना थी, जिसे देखते हुए मंदिर प्रशासन ने स्वास्थ्य सेवाएं, भंडारा और चाय की व्यवस्था की है। यमुना नदी का उद्गम स्थल यमुनोत्री ग्लेशियर है, जो समुद्र तल से 6,387 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह नदी उत्तराखंड से निकलकर हिमाचल, हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश होते हुए प्रयागराज में गंगा से संगम करती है।
धार्मिक, सांस्कृतिक और आर्थिक दृष्टिकोण से यमुना नदी अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसे गंगा की बहन माना जाता है और श्रद्धालु पूरे श्रद्धा भाव से मां यमुना की पूजा करते हैं। अक्षय तृतीया के दिन कपाट खुलना एक शुभ संकेत है, जिससे चार धाम यात्रा का शुभारंभ होता है और देशभर के लाखों श्रद्धालु इस यात्रा में शामिल होते हैं।