ADB की 58वीं वार्षिक बैठक में भारत का नेतृत्व करेंगी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण
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Nirmala Sitharaman to Lead India at ADB 58th Meeting
निर्मला सीतारमण करेंगी ADB बैठक में भारत का नेतृत्व।
मिलान में वैश्विक नेताओं से द्विपक्षीय मुलाकातें।
आर्थिक और जलवायु लचीलेपन पर वैश्विक मंच पर विचार।
केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण 4 से 7 मई, 2025 तक इटली के मिलान में आयोजित होने वाली एशियाई विकास बैंक (एडीबी) के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की 58वीं वार्षिक बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगी। वे वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ इस उच्चस्तरीय बैठक में भाग लेंगी, जहां वैश्विक वित्तीय मामलों पर गहन विचार-विमर्श किया जाएगा।
इस प्रतिष्ठित वार्षिक बैठक में एडीबी के सदस्य देशों के गवर्नर्स, अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों के प्रतिनिधि तथा अन्य वैश्विक नीति निर्माता भाग लेंगे। बैठक का उद्देश्य एशिया-पैसिफिक क्षेत्र में सतत विकास, आर्थिक सहयोग और जलवायु परिवर्तन जैसे प्रमुख मुद्दों पर रणनीति बनाना है।
श्रीमती सीतारमण एडीबी की इस बैठक के प्रमुख कार्यक्रमों में सक्रिय रूप से भाग लेंगी, जिनमें गवर्नर्स बिजनेस सेशन और गवर्नर्स प्लेनरी सेशन प्रमुख हैं। इसके अलावा वे "भविष्य के लचीलेपन के लिए सीमा पार सहयोग" विषय पर आयोजित एडीबी गवर्नर्स सेमिनार में एक पैनलिस्ट के रूप में अपने विचार साझा करेंगी। यह सत्र क्षेत्रीय एकता और साझा विकास लक्ष्यों को मजबूती देने की दिशा में एक अहम मंच साबित होगा।
इस बहुपक्षीय बैठक के दौरान, वित्त मंत्री एडीबी के अध्यक्ष, अंतर्राष्ट्रीय कृषि विकास कोष (आईएफएडी) के प्रमुख और जापान अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बैंक (जेबीआईसी) के गवर्नर से द्विपक्षीय बातचीत करेंगी। इसके अतिरिक्त वे इटली, जापान और भूटान के अपने समकक्ष वित्त मंत्रियों से भी द्विपक्षीय बैठकें कर परस्पर सहयोग के नए आयामों पर चर्चा करेंगी।
अपने मिलान प्रवास के दौरान श्रीमती सीतारमण भारतीय प्रवासी समुदाय से भी मुलाकात करेंगी और वैश्विक थिंक टैंक, व्यापारिक नेताओं एवं सीईओज़ के साथ संवाद स्थापित करेंगी। इस दौरान वे प्रमुख विश्वविद्यालय बोकोनी में आयोजित ‘नेक्स्ट मिलान फोरम’ के पूर्ण सत्र में भी भाग लेंगी, जहां वे “आर्थिक और जलवायु लचीलेपन में संतुलन” विषय पर विचार रखेंगी।
एडीबी की यह बैठक वैश्विक आर्थिक चुनौतियों के समाधान और बहुपक्षीय सहयोग के नए रास्ते तलाशने का एक सशक्त मंच है, जिसमें भारत की सक्रिय भागीदारी उसकी अंतरराष्ट्रीय भूमिका को और मजबूत बनाएगी।