भारतीय सिनेमा का वैश्वीकरण: 'वेव्स 2025' में आमिर खान और फिल्म जगत के दिग्गजों की स्पष्ट राय
ताजा खबरों से अपडेट रहने के लिए हमारे Whatsapp Channel को Join करें |

आमिर खान ने भारतीय फिल्मों के लिए वैश्विक वितरण नेटवर्क की ज़रूरत पर ज़ोर दिया।
दिनेश विजन, चार्ल्स रोवन सहित विशेषज्ञों ने तकनीक और कहानी कहने के नए तरीकों पर चर्चा की।
आमिर ने सरकार की फिल्म नीति में सक्रिय रुचि को एक ऐतिहासिक शुरुआत बताया।
वेव्स 2025 शिखर सम्मेलन में ‘स्टूडियोज ऑफ द फ्यूचर’ पैनल चर्चा के दौरान आमिर खान, चार्ल्स रोवन, दिनेश विजन, रितेश सिधवानी और अन्य फिल्म विशेषज्ञों ने भारतीय सिनेमा के वैश्विक विस्तार, ओटीटी बनाम थिएटर, प्रामाणिक कहानी कहने, AI तकनीक और सरकारी सहयोग जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर विचार साझा किए। आमिर खान ने वैश्विक वितरण चैनलों और नीति बदलावों की आवश्यकता पर ज़ोर दिया। यह चर्चा भारतीय फिल्मों को विश्व मंच पर ले जाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। तकनीक, रचनात्मकता और रणनीति से भारत अंतरराष्ट्रीय सिनेमा मानचित्र पर मजबूती से उभर सकता है।
वैश्विक वितरण नेटवर्क की आवश्यकता पर आमिर खान का ज़ोर
‘स्टूडियोज ऑफ द फ्यूचर: पुटिंग इंडिया ऑन वर्ल्ड स्टूडियो मैप’ नामक पैनल चर्चा में प्रसिद्ध अभिनेता आमिर खान ने भारतीय सिनेमा के वैश्विक विस्तार के लिए एक मजबूत वितरण नेटवर्क की आवश्यकता पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि भारतीय फिल्म निर्माताओं और प्रोड्यूसर्स को घरेलू दर्शकों से आगे बढ़कर अंतरराष्ट्रीय दर्शकों तक पहुँचने के लिए अन्य देशों में वितरण चैनल विकसित करने चाहिए। यह चर्चा मुंबई के जियो वर्ल्ड सेंटर में आयोजित वर्ल्ड ऑडियो विज़ुअल एंड एंटरटेनमेंट समिट (WEAVES) 2025 के दूसरे दिन हुई।
पैनल में शामिल हुए फिल्म उद्योग के दिग्गज
फिल्म समीक्षक मयंक शेखर द्वारा संचालित इस सत्र में कई फिल्म निर्माता और उद्योग विशेषज्ञ शामिल थे, जिनमें रितेश सिधवानी, नमित मल्होत्रा (प्राइम फोकस लिमिटेड), दिनेश विजन, पीवीआर सिनेमा के अजय बिजली और हॉलीवुड के प्रसिद्ध निर्माता चार्ल्स रोवन का नाम प्रमुख रहा।
ओटीटी बनाम थिएटर: आमिर खान की चिंताएँ
आमिर खान ने ओटीटी और थिएटर रिलीज़ के बीच की छोटी खिड़की पर चिंता व्यक्त की। उनका मानना है कि जब फिल्मों को थिएटर में रिलीज़ के तुरंत बाद ओटीटी पर डाल दिया जाता है, तो दर्शकों की थिएटर में जाने की उत्सुकता कम हो जाती है। उन्होंने थिएटर की स्थायी प्रासंगिकता के लिए रीलिज विंडो रणनीति को बेहतर करने की सलाह दी।
थिएटर का महत्व और वैश्विक दृष्टिकोण
ओपेनहाइमर जैसी वैश्विक ब्लॉकबस्टर के निर्माता चार्ल्स रोवन ने कहा, “टीवी और ओटीटी की बढ़ती लोकप्रियता के बावजूद थिएटर का अनुभव अद्वितीय और स्थायी है।” उन्होंने भारतीय स्टूडियो को घरेलू केंद्रित सोच से बाहर निकलकर अंतरराष्ट्रीय परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह दी।
प्रामाणिक कहानी और तकनीक का महत्व
दिनेश विजन ने बताया कि वैश्विक मंच पर भारत की सफलता सिर्फ बजट पर नहीं, बल्कि गुणवत्तापूर्ण और प्रामाणिक कहानी कहने पर निर्भर है। उन्होंने कहा कि छोटे शहरों की कहानियाँ सिनेमाई दृष्टिकोण से प्रभावशाली होती हैं, लेकिन वैश्विक मंच के लिए सीमा पार सहयोग ज़रूरी है।
नमित मल्होत्रा ने AI और नई तकनीकों की भूमिका को रेखांकित किया, जो न केवल कहानी कहने को बेहतर बनाएंगी बल्कि भारतीय प्रतिभाओं को वैश्विक दर्शकों से जोड़ने में भी मदद करेंगी।
ओटीटी और पोस्ट-कोविड यथार्थ
रितेश सिधवानी ने ओटीटी को एक अवसर के रूप में देखा। उन्होंने कहा, “ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म ने भारतीय सामग्री को वैश्विक दृश्यता दी है, साथ ही यह नई कहानियों और प्रयोग को प्रोत्साहन देता है।”
अजय बिजली ने कोविड के बाद दर्शकों की थिएटर से दूरी को लेकर चिंता जताई और डिजिटल और थिएटर दोनों प्लेटफ़ॉर्म पर संतुलित रणनीति अपनाने की आवश्यकता बताई।
भाषा की बाधा को खत्म करने की दिशा में तकनीक का इस्तेमाल
दिनेश विजन ने यह भी कहा कि तकनीक की मदद से प्रामाणिक लिप-सिंक अनुवाद संभव है, जिससे भाषा की बाधा हटाई जा सकती है और फिर भी सांस्कृतिक विशिष्टता बरकरार रखी जा सकती है।
नीति निर्माण में सरकार की भूमिका
पैनल चर्चा के अंत में आमिर खान ने सरकार की भूमिका को सराहा। उन्होंने कहा, “यह पहली बार है जब सरकार ने हमारे उद्योग में इतनी गहरी रुचि दिखाई है। वेव्स केवल संवाद नहीं, नीति निर्माण का एक पुल है। मुझे पूरा विश्वास है कि यह पहल भविष्य में ठोस नीतियों में परिवर्तित होगी।”