128 वर्षीय योग गुरु बाबा शिवानंद का निधन, प्रधानमंत्री मोदी ने जताया शोक
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128 वर्षीय योग गुरु बाबा शिवानंद का निधन।
पद्मश्री प्राप्त करने वाले सबसे उम्रदराज भारतीय।
पीएम मोदी ने व्यक्त की गहरी शोक संवेदना।
वाराणसी के प्रसिद्ध 128 वर्षीय योग गुरु बाबा शिवानंद का शनिवार रात 8:45 बजे निधन हो गया। वे पिछले तीन दिनों से बीएचयू अस्पताल में भर्ती थे और सांस संबंधी समस्या से जूझ रहे थे। बाबा शिवानंद ने अपना पूरा जीवन योग, ब्रह्मचर्य और आध्यात्म को समर्पित कर दिया था। वे सादा जीवन और उच्च विचार के प्रतीक थे।
बाबा को 21 मार्च 2022 को पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। वे इस पुरस्कार को पाने वाले अब तक के सबसे उम्रदराज व्यक्ति थे। पद्म सम्मान ग्रहण करते समय उन्होंने राष्ट्रपति भवन में नंगे पांव उपस्थिति दर्ज कराई थी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घुटनों के बल बैठकर आभार व्यक्त किया था। इस पर स्वयं पीएम मोदी भी अपनी कुर्सी से उठकर उनके सामने झुक गए थे। तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी उन्हें झुककर सम्मानित किया था।
प्रधानमंत्री मोदी ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए 'X' (पूर्व ट्विटर) पर लिखा:
"योग साधक और काशी निवासी शिवानंद बाबा जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। योग और साधना को समर्पित उनका जीवन देश की हर पीढ़ी को प्रेरित करता रहेगा। योग के जरिए समाज की सेवा के लिए उन्हें पद्मश्री से सम्मानित भी किया गया था। शिवानंद बाबा का शिवलोक प्रयाण हम सब काशीवासियों और उनसे प्रेरणा लेने वाले करोड़ों लोगों के लिए अपूरणीय क्षति है।"
जीवन परिचय:
बाबा शिवानंद का जन्म 8 अगस्त 1896 को तत्कालीन बंगाल के श्रीहट्टी जिले (वर्तमान में बांग्लादेश) में एक अत्यंत गरीब ब्राह्मण गोस्वामी भिक्षुक परिवार में हुआ था। चार साल की उम्र में उनके माता-पिता ने उन्हें नवद्वीप निवासी संत बाबा ओंकारानंद गोस्वामी को सौंप दिया। छह वर्ष की आयु में उनके माता-पिता और बहन का भूख के कारण निधन हो गया। इसके बाद बाबा ने अपने गुरु से आध्यात्म और योग की शिक्षा ली और जीवनभर ब्रह्मचर्य का पालन किया।
बाबा ने कभी औपचारिक शिक्षा नहीं ली, लेकिन गुरु के माध्यम से ज्ञान प्राप्त किया। वे अंग्रेज़ी भी धाराप्रवाह बोल लेते थे। जीवनभर वे कठिन योगासन करते रहे और साधारण उबला भोजन ग्रहण करते थे। वे चावल नहीं खाते थे और रोज़ाना 3–4 बजे भोर में उठकर ध्यान और योग करते थे।
आध्यात्मिक यात्रा:
बाबा ने 1977 में वृंदावन में आश्रम की दीक्षा ली और दो वर्ष वहां रहने के बाद 1979 में वाराणसी आ गए। तब से लेकर अंतिम समय तक वे गंगा किनारे काशी में ही रहे। वे भेलूपुर के दुर्गाकुंड इलाके के कबीर नगर स्थित आश्रम में रहते थे।
बाबा शिवानंद ने 2017 में पहली बार मतदान किया, वह भी प्रधानमंत्री मोदी से प्रेरित होकर। वे किसी भी स्थान पर रहें, लेकिन चुनाव के समय वाराणसी आकर मतदान अवश्य करते थे।
अंतिम संस्कार:
बाबा का अंतिम संस्कार रविवार को वाराणसी के हरिश्चंद्र घाट पर किया जाएगा। उनके निधन से काशी सहित देशभर में शोक की लहर है।