ISRO को झटका! PSLV-C61 मिशन फ्लॉप, करोड़ों की EOS-09 सैटेलाइट अधर में

Sun 18-May-2025,03:44 PM IST +05:30

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ISRO को झटका! PSLV-C61 मिशन फ्लॉप, करोड़ों की EOS-09 सैटेलाइट अधर में ISRO को झटका! PSLV-C61 मिशन फ्लॉप, करोड़ों की EOS-09 सैटेलाइट अधर में
  • PSLV-C61 मिशन तीसरे चरण में फेल हुआ।

  • EOS-09 सैटेलाइट से रिमोट सेंसिंग और सुरक्षा मिशनों में मदद मिलनी थी।

  • ISRO ने तकनीकी गड़बड़ी की जांच शुरू की।

Karnataka / Bengaluru :

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के लिए शनिवार का दिन चुनौतीपूर्ण साबित हुआ, जब उसका PSLV-C61 लॉन्च मिशन सफल नहीं हो सका। श्रीहरिकोटा से छोड़ा गया यह रॉकेट EOS-09 सैटेलाइट को सूर्य समकालिक कक्षा (SSPO) में स्थापित करने के उद्देश्य से भेजा गया था। लॉन्चिंग के शुरुआती दो चरण सफल रहे, लेकिन तीसरे चरण में तकनीकी खामी सामने आई, जिसके कारण यह मिशन अधूरा रह गया।

ISRO प्रमुख वी. नारायणन ने प्रेस को जानकारी देते हुए बताया कि तीसरे चरण के संचालन के दौरान तकनीकी बाधा उत्पन्न हुई, जिससे मिशन को रोकना पड़ा। यह सैटेलाइट EOS-04 का रिपीट संस्करण था और इसका लक्ष्य रिमोट सेंसिंग डेटा प्रदान करना था। यह डेटा कृषि, वन, जल संसाधन, आपदा प्रबंधन और निगरानी जैसे क्षेत्रों में कार्यरत उपयोगकर्ता समुदायों के लिए बेहद उपयोगी होता। इसके अलावा EOS-09 को आतंकवाद-रोधी अभियानों और संदिग्ध गतिविधियों की पहचान के लिए भी एक प्रमुख उपकरण के रूप में तैयार किया गया था।

श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से यह रॉकेट सुबह लॉन्च किया गया था। प्रक्षेपण की शुरुआत उम्मीदों के मुताबिक रही, जिससे वैज्ञानिकों को सकारात्मक संकेत मिले थे। लेकिन जैसे ही तीसरे चरण की प्रक्रिया शुरू हुई, एक असामान्य गतिविधि दर्ज की गई। इसरो की कंट्रोल टीम ने तुरंत हालात पर नजर रखी और मिशन को स्थगित करने का निर्णय लिया। यह निर्णय सुरक्षा और तकनीकी सतर्कता की दृष्टि से आवश्यक था।

ISRO अब लॉन्च के दौरान सामने आई इस तकनीकी बाधा की विस्तृत जांच करेगा। संगठन की तकनीकी टीम डाटा का गहन विश्लेषण कर यह जानने की कोशिश करेगी कि खामी किस स्तर पर और क्यों उत्पन्न हुई। इससे न सिर्फ भविष्य के मिशनों में सुधार किया जा सकेगा, बल्कि PSLV जैसी विश्वसनीय रॉकेट प्रणाली की विश्वसनीयता को भी फिर से सिद्ध किया जा सकेगा।

EOS-09 सैटेलाइट से देश की रिमोट सेंसिंग क्षमताओं को एक नई दिशा मिलने की उम्मीद थी। यह मिशन न केवल वैज्ञानिक दृष्टिकोण से, बल्कि सुरक्षा और राष्ट्रीय निगरानी के नजरिए से भी महत्वपूर्ण था। इसरो पहले भी कई बार तकनीकी चुनौतियों के बावजूद अपने मिशनों में सफल रहा है, इसलिए विशेषज्ञों का मानना है कि इस बाधा के बाद जल्द ही नया मिशन सामने आएगा।

मिशन की असफलता के बाद वैज्ञानिक समुदाय और आम जनता दोनों की नजरें ISRO की अगली रणनीति पर टिकी हैं। इससे पहले इसरो ने चंद्रयान-3 और आदित्य L1 जैसे मिशनों में अद्वितीय सफलता हासिल की है, जिसने भारत को अंतरिक्ष क्षेत्र में अग्रणी राष्ट्रों की श्रेणी में ला खड़ा किया है। PSLV-C61 की असफलता भले ही एक अस्थायी झटका हो, लेकिन इससे मिली सीख भविष्य की सफलता की नींव रखेगी।

अब सभी को ISRO की तकनीकी टीम की रिपोर्ट और आगामी लॉन्च योजना का इंतजार है, जो यह तय करेगी कि EOS-09 को फिर से कब और कैसे भेजा जाएगा।