Karnataka Child Murder Case 2025 | हुबली में 13 साल के बच्चे ने 12 साल के दोस्त की हत्या
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13 साल के लड़के ने 12 साल के दोस्त की चाकू घोंपकर हत्या की।
घटना हुबली के मूरुसाविरा मठ इलाके की, जहां दोनों बच्चों के बीच बहस हुई।
पुलिस ने मामले की जांच शुरू की, और किशोर न्याय अधिनियम के तहत कार्रवाई होगी।
कर्नाटक के हुबली शहर में एक दर्दनाक और चौंकाने वाली घटना ने सबको स्तब्ध कर दिया, जहां महज 13 साल के एक लड़के ने अपने 12 वर्षीय दोस्त की चाकू घोंपकर हत्या कर दी। घटना मंगलवार शाम मूरुसाविरा मठ इलाके में हुई, जब दोनों बच्चों के बीच किसी बात को लेकर बहस छिड़ गई। बहस धीरे-धीरे झगड़े में बदल गई और इसी दौरान आरोपी लड़का घर से चाकू लेकर आया और चेतन नामक लड़के पर हमला कर दिया। चेतन 9वीं कक्षा का छात्र था और आरोपी लड़का 6वीं कक्षा में पढ़ता है। बताया जा रहा है कि चेतन ने अभी हाल ही में 8वीं पास की थी और एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखता था। उसके पिता रोटी बेचकर घर चलाते हैं और चेतन इकलौता बेटा था। घटना के बाद इलाके में हड़कंप मच गया। आसपास के लोगों ने घायल चेतन को आनन-फानन में हुबली के KIMS अस्पताल पहुंचाया, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
अस्पताल की रिपोर्ट के मुताबिक चेतन की रास्ते में ही मौत हो चुकी थी। हमले के दौरान चेतन को इतनी गंभीर चोट आई थी कि वह बच नहीं सका। इस पूरे घटनाक्रम के बाद पुलिस मौके पर पहुंची और जांच शुरू की। कमरी पेट थाने की पुलिस ने मामले को संज्ञान में लेते हुए जांच का दायरा बढ़ा दिया है। हुबली-धारवाड़ के पुलिस कमिश्नर एन. शशिकुमार ने इस घटना पर गहरा दुख जताया और कहा कि यह उनकी सेवा में अब तक की सबसे दिल दहला देने वाली घटनाओं में से एक है। उन्होंने कहा कि यह समझ से परे है कि एक 6वीं कक्षा का बच्चा हत्या जैसी मानसिकता कैसे विकसित कर सकता है। उन्होंने माता-पिता से अपील की कि वे बच्चों के व्यवहार पर नजर रखें और उन्हें हिंसा से दूर रखने की जिम्मेदारी निभाएं। उन्होंने यह भी कहा कि आरोपी और पीड़ित दोनों ही आर्थिक रूप से पिछड़े परिवारों से आते हैं, जिससे यह साफ होता है कि सामाजिक और मानसिक समर्थन की कमी बच्चों में इस तरह की आक्रामक प्रवृत्ति को जन्म दे सकती है।
चाकू से हमला करने के बाद आरोपी लड़के की मां ने भी स्थिति की गंभीरता को देखते हुए घायल बच्चे को तुरंत अस्पताल पहुंचाने में मदद की। हालांकि तब तक बहुत देर हो चुकी थी। यह घटना न केवल कानून व्यवस्था बल्कि समाज के लिए भी चेतावनी है। अब पुलिस किशोर न्याय अधिनियम के तहत आगे की कार्रवाई करेगी और विशेषज्ञों की सहायता से आरोपी की मानसिक स्थिति की भी जांच की जा सकती है। यह घटना बाल अपराध, मानसिक स्वास्थ्य, पारिवारिक शिक्षा और सामाजिक सुरक्षा से जुड़े कई अहम सवाल खड़े करती है। समाज को इस पर गंभीरता से सोचने की जरूरत है, ताकि इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोका जा सके।