उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) ने आयकर अधिनियम की संशोधित धारा 80-आईएसी के अंतर्गत 187 स्टार्टअप्स को आयकर राहत प्रदान करने की मंजूरी दी है। यह निर्णय 30 अप्रैल 2025 को हुई अंतर-मंत्रालयी बोर्ड (आईएमबी) की 80वीं बैठक में लिया गया, जहां देश में नवाचार, रोजगार सृजन और उद्यमिता को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से यह बड़ा कदम उठाया गया।
संशोधित योजना के तहत पात्र स्टार्टअप्स को निगमन की तारीख से दस वर्षों की अवधि में किसी भी तीन लगातार लाभदायक वर्षों के लिए 100% आयकर में छूट प्रदान की जाएगी। इस छूट का उद्देश्य नवोदित उद्यमों को शुरुआती वर्षों में वित्तीय सहारा प्रदान करना है, जिससे वे अपने विचारों को व्यवहार में बदल सकें और व्यावसायिक स्थिरता की दिशा में अग्रसर हो सकें।
स्वीकृत स्टार्टअप्स में से 75 को 79वीं बैठक और 112 को 80वीं बैठक में मंजूरी दी गई। अब तक इस योजना के तहत कुल 3,700 से अधिक स्टार्टअप्स को आयकर राहत का लाभ मिल चुका है। इसके अलावा, केंद्रीय बजट 2025-26 के दौरान सरकार ने एक और महत्वपूर्ण निर्णय लिया — अब 1 अप्रैल 2030 तक शामिल किए गए स्टार्टअप्स इस योजना के तहत लाभ के पात्र होंगे। इससे नए स्टार्टअप्स को योजना से जुड़ने के लिए अधिक समय मिलेगा और आवेदन की खिड़की विस्तारित हो गई है।
डीपीआईआईटी द्वारा लागू किया गया संशोधित मूल्यांकन ढांचा आवेदन प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और समयबद्ध बना रहा है। अब सभी पूर्ण आवेदनों की समीक्षा 120 दिनों के भीतर की जाती है, जिससे आवेदकों को तेजी से निर्णय मिल पाता है और प्रक्रियागत अड़चनें कम होती हैं।
जिन स्टार्टअप्स को हाल में स्वीकृति नहीं मिली है, उन्हें अपने आवेदनों को पुनः मूल्यांकन कर परिष्कृत करने की सलाह दी गई है। डीपीआईआईटी ने उन्हें तकनीकी नवाचार, बाजार की क्षमता, व्यावसायिक मापनीयता और रोजगार/आर्थिक विकास में योगदान जैसे पहलुओं को मजबूत करने की आवश्यकता पर बल दिया है।
सरकार की यह पहल आत्मनिर्भर भारत के विजन को साकार करने की दिशा में एक और मील का पत्थर है। नवाचार-आधारित अर्थव्यवस्था और मजबूत स्टार्टअप इकोसिस्टम को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता स्पष्ट रूप से झलकती है। कर छूट की प्रक्रिया, पात्रता मानदंड और विस्तृत विवरण स्टार्टअप इंडिया पोर्टल पर उपलब्ध कराए गए हैं, जिससे इच्छुक स्टार्टअप्स को सही दिशा में मार्गदर्शन मिल सके।