भैरों सिंह शेखावत: भारतीय राजनीति के आदर्श, पारदर्शिता और जनसेवा का प्रतीक- उपराष्ट्रपति

Thu 15-May-2025,09:19 PM IST +05:30

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भैरों सिंह शेखावत: भारतीय राजनीति के आदर्श, पारदर्शिता और जनसेवा का प्रतीक- उपराष्ट्रपति भैरों सिंह शेखावत स्मारक पुस्तकालय, जयपुर के उद्घाटन अवसर पर उपराष्ट्रपति ने किया संबोधन
  • भैरों सिंह शेखावत के राजनीतिक योगदान पर विस्तृत भाषण।

  • भारतीय लोकतंत्र और राष्ट्रवाद की प्रेरक मिसाल।

  • पारदर्शिता, सेवा और जनहित की राजनीति का प्रतीक व्यक्तित्व।

Rajasthan / Jaipur :

जयपुर में आयोजित एक विशेष समारोह में भैरों सिंह शेखावत स्मारक पुस्तकालय का उद्घाटन देश के वर्तमान उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ द्वारा किया गया। इस अवसर पर उन्होंने गहराई से भावुक और प्रेरणादायक भाषण दिया, जिसमें स्वर्गीय भैरों सिंह शेखावत के जीवन, विचारों और योगदान को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।

मंचासीन महानुभावों को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने बताया कि शेखावत केवल एक राजनेता नहीं, बल्कि एक विचारधारा थे—जनसेवा, पारदर्शिता और लोकतंत्र के प्रति अटूट निष्ठा के प्रतीक। वे न केवल तीन बार राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे, बल्कि राज्यसभा के सभापति के रूप में भी अपनी अमिट छाप छोड़ गए। धनखड़ ने भावुक होकर कहा कि वे स्वयं उनके राजनीतिक मार्गदर्शक रहे हैं, जिन्होंने उन्हें राजनीति में प्रवेश कराया, दिशा दी और सदैव उनके साथ खड़े रहे।

उन्होंने बताया कि भैरों सिंह जी का व्यक्तित्व इतना विशाल था कि उन्होंने राजनीति को कभी वैर-विरोध की दृष्टि से नहीं देखा। उनके अनुसार, शेखावत राजनीति के 'अजातशत्रु' थे, जिनका विरोधी भी सम्मान करते थे। उन्होंने सभी राजनीतिक दलों के नेताओं को समान दृष्टि से देखा, यही कारण था कि जब वे राज्यसभा से विदा हुए, तब हर दल के नेता ने उन्हें 'बेमिसाल' बताया।

धनखड़ ने इस अवसर पर भारतीय संविधान की हिंदी और अंग्रेजी दोनों आधिकारिक प्रतियों को पुस्तकालय को भेंट किया। यह न केवल उनकी श्रद्धांजलि का प्रतीक था, बल्कि संविधान के प्रति उनके आदर और भैरों सिंह जी के विचारों के साथ उनका भावनात्मक जुड़ाव भी दर्शाता है।

अपने संबोधन में उपराष्ट्रपति ने भारत की सैन्य और कूटनीतिक उपलब्धियों पर भी प्रकाश डाला, जैसे सर्जिकल स्ट्राइक, पोखरण परमाणु परीक्षण और सिंधु जल संधि पर भारत की सशक्त भूमिका। उन्होंने इन घटनाओं में भैरों सिंह शेखावत की प्रेरक भूमिका का स्मरण किया और कहा कि राजस्थान की धरती, जिसने शेखावत जैसे नेता को जन्म दिया, आज भी देश की अस्मिता की रक्षक है।

कार्यक्रम के अंत में उन्होंने यह भी घोषणा की कि भैरों सिंह शेखावत द्वारा राज्यसभा में दिए गए ऐतिहासिक वक्तव्यों और संसदीय दस्तावेज़ों को इस पुस्तकालय से जोड़ा जाएगा, जिससे आने वाली पीढ़ियाँ उनके विचारों और कार्यशैली से प्रेरणा ले सकें। उन्होंने इस पुस्तकालय को ‘ज्ञान का वटवृक्ष’ बताते हुए इसे भावी भारत के लिए एक अनमोल धरोहर बताया।

उपस्थितजनों को संबोधित करते हुए उन्होंने राष्ट्रभक्ति, भारतीयता और जनकल्याण को सर्वोपरि बताते हुए कहा कि राजनीति में विचार हो सकते हैं, पर राष्ट्रहित से ऊपर कोई भी विचार नहीं होना चाहिए। यही भैरों सिंह शेखावत की सबसे बड़ी सीख है, जो युगों तक प्रासंगिक रहेगी।