चीन, तुर्की और पाकिस्तान में लगातार भूकंप: क्या प्रकृति दे रही है चेतावनी?
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पाकिस्तान, तुर्की, चीन में एक साथ भूकंप की घटनाएं।
सोशल मीडिया पर "प्राकृतिक चेतावनी" की चर्चा।
भारत के ऑपरेशन सिंदूर के बाद बढ़ी चर्चा।
Delhi / भारत के साथ बढ़ते सैन्य तनाव और पाकिस्तान में आतंकवादी गतिविधियों के खिलाफ भारतीय ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत के बीच, पाकिस्तान, तुर्की और चीन में एक के बाद एक भूकंप के झटकों ने सबका ध्यान खींचा है। सोशल मीडिया पर इसे लेकर जबरदस्त प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। कई यूजर्स इसे "प्राकृतिक न्याय" बताते हुए मीम और टिप्पणियों के ज़रिए कह रहे हैं कि ये झटके भारत के विरोध में खड़े इन देशों के लिए प्रकृति की चेतावनी हैं।
पाकिस्तान में भूकंप के झटके और संदिग्ध समय
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा "ऑपरेशन सिंदूर" शुरू किया गया। इसी दौरान 10 मई को पाकिस्तान में दो बार भूकंप आया, जिसकी तीव्रता क्रमशः 4.7 और 4.0 मापी गई। इसके बाद 12 मई को भी एक और झटका महसूस किया गया जिसकी तीव्रता 4.6 थी। ये भूकंपीय घटनाएं पाकिस्तान के उत्तरी और पश्चिमी इलाकों में केंद्रित थीं — वो क्षेत्र जो अक्सर भारत के खिलाफ सैन्य गतिविधियों में सक्रिय रहते हैं।
भूगर्भ वैज्ञानिकों के अनुसार, ये भूकंप हिमालय क्षेत्र की टेक्टोनिक प्लेट्स में हलचल के कारण थे। हालांकि, सोशल मीडिया पर इसे भारत के सैन्य रुख और पाकिस्तान की गतिविधियों से जोड़कर देखा जा रहा है।
तुर्की में 15 मई को फिर भूकंप
तुर्की के कोन्या प्रांत में 15 मई की शाम को रिक्टर स्केल पर 5.2 तीव्रता का शक्तिशाली भूकंप आया। इसका प्रभाव राजधानी अंकारा तक महसूस किया गया। इससे पहले भी अप्रैल में तुर्की के इस्तांबुल समेत अन्य शहरों में 5.2 तीव्रता के झटके आए थे जिससे लोगों में दहशत फैल गई थी।
तुर्की एक अत्यंत संवेदनशील भूकंपीय क्षेत्र में स्थित है। यहां हर साल कई बार 5.0 या उससे अधिक तीव्रता वाले भूकंप आते हैं। फरवरी 2023 में तुर्की और सीरिया में आए दो भूकंपों (7.8 और 7.5 तीव्रता) ने भारी तबाही मचाई थी जिसमें 67,000 से ज्यादा लोगों की जान गई थी।
चीन भी नहीं रहा अछूता
16 मई की सुबह चीन में भी भूकंप आया जिसकी तीव्रता 4.5 मापी गई। इसका केंद्र युन्नान प्रांत के पास 10 किलोमीटर की गहराई में था। इससे पहले 12 मई को तिब्बत क्षेत्र में 5.6 तीव्रता का भूकंप आया था जिसकी गहराई मात्र 9 किलोमीटर थी। विशेषज्ञों के अनुसार, सतह के पास आए भूकंप अधिक नुकसानदायक होते हैं क्योंकि उनकी तरंगें सीधे और तेजी से सतह तक पहुंचती हैं।
चीन यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेट पर स्थित है और यह दुनिया के सर्वाधिक भूकंप संभावित देशों में शामिल है। बीते कुछ वर्षों में यहां दर्जनों बार शक्तिशाली भूकंप आ चुके हैं।
क्या यह महज़ संयोग है या कोई संकेत?
भारत में सोशल मीडिया यूजर्स इन घटनाओं को केवल भूवैज्ञानिक प्रक्रियाएं नहीं मान रहे। बहुतों का मानना है कि भारत के विरोध में लगातार खड़े रहने वाले इन तीन देशों—पाकिस्तान, तुर्की और चीन—को प्रकृति से अब चेतावनी मिल रही है। ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर कई मीम्स वायरल हो रहे हैं जिनमें इन भूकंपों को "कर्म का फल" बताया जा रहा है।
हालांकि वैज्ञानिक इन घटनाओं को टेक्टोनिक प्लेटों की सामान्य गतिविधि बताते हैं, लेकिन इन देशों के एक साथ भूकंप की चपेट में आना और वह भी भारत के सैन्य सक्रियता के दौर में—इसे लेकर चर्चा जरूर गरम है।
निष्कर्षतः चाहे इसे संयोग मानें या संकेत, इन घटनाओं ने निश्चित रूप से भारत-पड़ोसी संबंधों और भू-राजनीतिक हालात में नई दिलचस्पी जोड़ दी है। भविष्य क्या लाएगा यह कहना कठिन है, लेकिन एक बात तय है—प्रकृति का व्यवहार कब किसे चौंका दे, कहा नहीं जा सकता।