Gujrat / चार राज्यों – केरल, गुजरात, पंजाब और पश्चिम बंगाल – की पांच विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की मतगणना जारी है। इन उपचुनावों के नतीजे राष्ट्रीय राजनीति में महत्त्वपूर्ण माने जा रहे हैं, क्योंकि ये विभिन्न दलों के जनाधार और रणनीति को दर्शाते हैं।
केरल: कांग्रेस को बड़ी जीत
केरल की नीलांबुर विधानसभा सीट से कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (UDF) को बड़ी सफलता मिली है। कांग्रेस उम्मीदवार आर्यदान शौकत ने CPI(M) के उम्मीदवार एम. स्वराज को 11,077 वोटों से हराकर जीत दर्ज की। जीत के बाद कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने काउंटिंग सेंटर के बाहर जमकर जश्न मनाया। 17 राउंड की मतगणना के बाद शौकत ने निर्णायक बढ़त बनाई और अपनी जीत पक्की कर ली।
गुजरात: बीजेपी और AAP में टक्कर
गुजरात की कडी सीट पर बीजेपी ने मजबूत बढ़त बना ली है, जबकि विसावदर सीट पर आम आदमी पार्टी (AAP) ने पकड़ मजबूत की है। यहां AAP के उम्मीदवार गोपाल इटालिया 12 राउंड की काउंटिंग के बाद बीजेपी के कीर्ति पटेल से 7,232 वोटों से आगे चल रहे हैं। शुरुआत में कीर्ति पटेल ने बढ़त बनाई थी, लेकिन गोपाल इटालिया ने वापसी करते हुए बढ़त बना ली।
पंजाब: AAP उम्मीदवार की बढ़त, केजरीवाल के राज्यसभा जाने के कयास
पंजाब की लुधियाना वेस्ट सीट पर AAP के उम्मीदवार और राज्यसभा सांसद संजीव अरोड़ा आगे चल रहे हैं। यह सीट पहले से ही AAP के पास थी। अगर अरोड़ा विधायक बनते हैं, तो उन्हें राज्यसभा सीट छोड़नी पड़ेगी। ऐसे में यह अटकलें लगाई जा रही हैं कि आम आदमी पार्टी अरविंद केजरीवाल को पंजाब से राज्यसभा भेज सकती है, जिससे पार्टी का राजनीतिक संतुलन बेहतर हो सकेगा।
पश्चिम बंगाल: कालीगंज में TMC आगे
बंगाल की कालीगंज सीट पर तृणमूल कांग्रेस (TMC) के उम्मीदवार आगे चल रहे हैं। हालांकि मुकाबला कांटे का माना जा रहा है, लेकिन शुरुआती रुझानों में टीएमसी को बढ़त मिलती दिख रही है।
राजनीतिक महत्व और भविष्य की रणनीति
इन उपचुनावों के नतीजे राजनीतिक दलों के लिए आगामी चुनावों की दिशा तय करने वाले हो सकते हैं। खासकर कांग्रेस और AAP जैसी पार्टियों के लिए यह जनता के मूड का संकेत है। वहीं, बीजेपी गुजरात जैसे मजबूत गढ़ में अपनी पकड़ बनाए रखने की कोशिश कर रही है। टीएमसी बंगाल में लगातार अपना दबदबा बनाए रखने के लिए प्रयासरत है।
निष्कर्ष
पांचों सीटों के परिणामों से यह स्पष्ट हो रहा है कि क्षेत्रीय दलों और प्रमुख राष्ट्रीय पार्टियों के बीच सीधा मुकाबला है। इन उपचुनावों के परिणाम न सिर्फ इन राज्यों में, बल्कि आगामी आम चुनावों में भी राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित कर सकते हैं।