93 वर्ष की उम्र में ‘अरण्यऋषि’ मारुति चित्तमपल्ली का निधन
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93 वर्ष की उम्र में ‘अरण्यऋषि’ मारुति चित्तमपल्ली का निधन, पद्मश्री से सम्मानित प्रकृति प्रेमी का सफर हुआ समाप्त।
सोलापुर/ महाराष्ट्र के महान प्रकृतिवेत्ता, पर्यावरण प्रेमी, वरिष्ठ वन अधिकारी और प्रसिद्ध साहित्यकार मारुति भुजंगराव चित्तमपल्ली का बुधवार, 18 जून 2025 को सोलापुर में निधन हो गया। वे 93 वर्ष के थे और लंबे समय से अस्वस्थ चल रहे थे। हाल ही में 30 मार्च को भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया था।
चित्तमपल्ली का जीवन पर्यावरण और वन्यजीवन के प्रति समर्पित था। उन्हें ‘अरण्यऋषि’ की उपाधि उनके जीवनभर प्रकृति सेवा और निसर्ग साक्षात्कार के लिए दी गई थी। उन्होंने मराठी भाषा में प्रकृति, पक्षियों और वन्य प्राणियों पर 40 से अधिक पुस्तकें लिखीं, जिनमें ‘पक्षी जाय दिगंतरा’, ‘रानवाटा’, ‘प्राणीकोश’, ‘पक्षिकोश’, और ‘चकवा चांदण’ (आत्मकथा) प्रमुख हैं।
चित्तमपल्ली महाराष्ट्र के वन विभाग में वरिष्ठ अधिकारी रहे। उन्होंने कर्नाळा पक्षी अभयारण्य, नागझीरा, नवेगाव, और मेळघाट जैसे अनेक अभयारण्यों के विकास और संरक्षण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके संरक्षण प्रयासों ने महाराष्ट्र में जैव विविधता को संरक्षित रखने में उल्लेखनीय योगदान दिया।
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पद्मश्री – भारत सरकार द्वारा 2025 में
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विंदा करंदीकर जीवनगौरव पुरस्कार – 2017
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अनेक राज्य स्तरीय साहित्यिक व पर्यावरणीय सम्मान
उनका लेखन वैज्ञानिक दृष्टिकोण से परिपूर्ण होने के साथ-साथ जनसामान्य की समझ में आने योग्य भाषा में होता था, जिससे उन्होंने निसर्ग को आम जनता से जोड़ा।
अंतिम यात्रा और श्रद्धांजलि
उनका अंतिम संस्कार 19 जून 2025 को सोलापुर में पारिवारिक रीति-रिवाजों के अनुसार किया जाएगा। सोशल मीडिया से लेकर साहित्यिक, पर्यावरणीय और शैक्षणिक संस्थानों तक उन्हें श्रद्धांजलि दी जा रही है। अनेक बुद्धिजीवियों ने उनके निधन को एक युग का अंत बताया है।