प्रधानमंत्री का योग दिवस संबोधन: विशाखापट्टनम से वैश्विक शांति और स्वास्थ्य की अपील

Sat 21-Jun-2025,10:40 AM IST +05:30

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प्रधानमंत्री का योग दिवस संबोधन: विशाखापट्टनम से वैश्विक शांति और स्वास्थ्य की अपील "योग से शांति, स्वास्थ्य और समरसता की ओर—विशाखापट्टनम से प्रधानमंत्री मोदी का वैश्विक संदेश"
  • योग को वैश्विक नीति का आधार बनाने का आह्वान।

  • योगांध्रा अभियान से 2 करोड़ लोगों की भागीदारी।

  • ओबेसिटी के खिलाफ तेल खपत घटाने की पहल।

Andhra Pradesh / Visakhapatnam :

Andhra Pradesh / 21 जून को आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 11वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर देश और दुनिया को संबोधित किया। इस दौरान आंध्र प्रदेश के राज्यपाल सैयद अब्दुल नजीर, मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू, डिप्टी सीएम पवन कल्याण, केंद्रीय मंत्री राममोहन नायडू और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित रहे।

कार्यक्रम का आयोजन योग को जन आंदोलन बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम रहा। प्रधानमंत्री ने कहा कि योग जोड़ने की प्रक्रिया है और यह देखकर सुखद अनुभूति होती है कि कैसे इसने पूरे विश्व को एक सूत्र में बांधा है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस घोषित किए जाने की ऐतिहासिक पहल को याद किया और बताया कि 175 देशों ने भारत के इस प्रस्ताव का समर्थन किया था।

प्रधानमंत्री ने आंध्र प्रदेश सरकार और खासतौर पर नारा लोकेश के नेतृत्व में चलाए गए योगांध्रा अभियान की प्रशंसा की, जिससे दो करोड़ से अधिक लोग जुड़े। उन्होंने कहा कि यह अभियान पब्लिक पार्टिसिपेशन और विकसित भारत की भावना का जीवंत उदाहरण है।

उन्होंने योग को ‘Me to We’ की भावना से जोड़ते हुए कहा कि जब कोई व्यक्ति ‘मैं’ से ‘हम’ की ओर बढ़ता है, तो वही सेवा, समर्पण और सामाजिक समरसता को जन्म देता है। उन्होंने योग को तनाव और अस्थिरता से जूझ रही दुनिया के लिए ‘शांति का मार्ग’ बताया।

मोदी ने विश्व समुदाय से अपील की कि योग को केवल व्यक्तिगत अभ्यास न बनाकर वैश्विक साझेदारी का माध्यम बनाया जाए। उन्होंने इसे ‘Yoga for Humanity 2.0’ की शुरुआत करार दिया, जिसमें आंतरिक शांति को वैश्विक नीति का आधार बनाने की बात कही गई।

प्रधानमंत्री ने वैज्ञानिक और चिकित्सा क्षेत्र में योग की भूमिका पर भी प्रकाश डाला। AIIMS जैसी संस्थाओं में कार्डियक, न्यूरोलॉजिकल और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े शोध कार्यों की प्रशंसा करते हुए उन्होंने बताया कि योग की वैज्ञानिकता को आधुनिक चिकित्सा में स्थान दिलाने के प्रयास किए जा रहे हैं।

उन्होंने हेल्थ सेक्टर में भारत की पहचान ‘Heal in India’ को बल देने में योग की भूमिका का जिक्र किया और Yoga Certification Board, Ayush Visa और Ayushman Aarogya Mandir जैसे प्रयासों की जानकारी दी।

अंत में उन्होंने ओबेसिटी को लेकर चेतावनी दी और तेल की खपत 10 प्रतिशत कम करने का आह्वान करते हुए योग, संतुलित आहार और फिटनेस को जीवन का हिस्सा बनाने का संदेश दिया।

उन्होंने कहा कि योग ‘One Earth, One Health’ का एक वैश्विक संकल्प बनना चाहिए और इसे दुनिया के हर व्यक्ति तक पहुंचाने के लिए हम सबको मिलकर प्रयास करना चाहिए।