Delhi / New Delhi : Iran / न्यूक्लियर साइट पर हुए हमले के जवाब में ईरान ने अमेरिका के खिलाफ 'ऑपरेशन बशरत अल फतह' की शुरुआत कर दी है। इस ऑपरेशन के तहत ईरानी सेना ने कतर में स्थित अमेरिकी एयर बेस पर मिसाइल से हमला किया। इस हमले के बाद कतर में भारी अफरा-तफरी मच गई और कई इलाकों में जोरदार धमाकों की आवाजें सुनी गईं। कतर की राजधानी दोहा में भी मिसाइल हमले की पुष्टि की गई है, जिससे पूरे खाड़ी क्षेत्र में दहशत और अस्थिरता का माहौल बन गया है।
इस हमले के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान-इजराइल युद्ध की आधिकारिक घोषणा कर दी है। ट्रंप के इस ऐलान से वैश्विक स्तर पर तनाव और अधिक गहरा गया है, और इसका सीधा असर अंतरराष्ट्रीय उड़ानों और यातायात पर पड़ा है। खाड़ी क्षेत्र में युद्ध की आंशका के चलते एयरस्पेस के बंद होने से कई एयरलाइंस ने अपने उड़ानों को रद्द या डायवर्ट कर दिया है।
भारत की प्रमुख एयरलाइंस कंपनियों ने स्थिति को देखते हुए तत्काल कदम उठाए हैं। अकासा एयर ने 23 और 24 जून को दोहा, कुवैत और अबू धाबी के लिए आने-जाने वाली सभी उड़ानों को रद्द कर दिया है। एयरलाइन के प्रवक्ता ने बयान जारी कर कहा, “मिडिल ईस्ट के कुछ हिस्सों में एयरस्पेस बंद होने के कारण हमने यह निर्णय लिया है। हम स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं और अंतरराष्ट्रीय एविएशन दिशा-निर्देशों व सुरक्षा मानकों का पालन करते हुए अपनी उड़ानों का संचालन फिर से शुरू करेंगे। यात्रियों की सुरक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है।”
एयर इंडिया ने इससे भी बड़ा फैसला लेते हुए मिडिल ईस्ट, उत्तरी अमेरिका और यूरोप के लिए अपनी सभी उड़ानों को अगले आदेश तक सस्पेंड कर दिया है। एयर इंडिया की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि भारत लौटने वाली सभी उड़ानें अब अपने मूल स्थान पर वापस भेजी जा रही हैं या वैकल्पिक मार्गों से भेजी जा रही हैं। एयर इंडिया एक्सप्रेस ने भी तनावपूर्ण स्थिति और एयरस्पेस बंद होने का हवाला देते हुए मिडिल ईस्ट में अपने ऑपरेशन्स को अस्थायी रूप से सस्पेंड कर दिया है।
स्पाइसजेट ने भी अपने यात्रियों के लिए एडवाइजरी जारी की है जिसमें कहा गया है कि आने-जाने वाली उड़ानों में देरी या रद्दीकरण संभव है। एयरलाइंस कंपनियों का कहना है कि वे स्थिति की निरंतर समीक्षा कर रही हैं और यात्रियों को हर जरूरी अपडेट समय पर दिया जाएगा।
यह घटना न केवल मिडिल ईस्ट में शांति और स्थिरता को खतरे में डाल रही है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की सुरक्षा व वैश्विक हवाई परिवहन प्रणाली पर भी गहरा प्रभाव डाल रही है। यदि तनाव और बढ़ता है, तो आने वाले दिनों में और भी गंभीर परिणाम सामने आ सकते हैं।