भारत में नशे पर सरकार की सख्ती: 16,000 विदेशी तस्करों की विदाई और 4,000 किलो ड्रग्स नष्ट
ताजा खबरों से अपडेट रहने के लिए हमारे Whatsapp Channel को Join करें |

16,000 विदेशी ड्रग तस्करों को डिपोर्ट करने की तैयारी.
अमित शाह की मौजूदगी में 4,000 किलो नशीले पदार्थ नष्ट.
‘ड्रग फ्री इंडिया’ अभियान को नई मजबूती.
Delhi / भारत सरकार ने नशे की समस्या को खत्म करने के लिए 'जीरो टॉलरेंस' की नीति को और भी कड़ा बना दिया है। गृह मंत्रालय ने हाल ही में बड़ा निर्णय लिया है कि ड्रग्स की तस्करी में लिप्त करीब 16,000 विदेशी नागरिकों को देश से बाहर किया जाएगा। ये सभी विदेशी तस्कर विभिन्न राज्यों में हिरासत में हैं और उनका रिकॉर्ड नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) की रिपोर्ट के आधार पर तैयार किया गया है। यह कदम भारत को नशामुक्त बनाने की दिशा में अब तक की सबसे बड़ी कार्यवाही मानी जा रही है।
गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में हाल ही में देशभर में 4,000 किलो से अधिक नशीले पदार्थों को नष्ट करने का विशाल अभियान चलाया गया। यह प्रक्रिया वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए गृह मंत्री ने खुद देखी और इसे 'नशा मुक्ति अभियान' में एक अहम पड़ाव बताया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के "ड्रग फ्री इंडिया" के संकल्प को साकार करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को साझा जिम्मेदारी के तहत काम करना होगा।
इस मौके पर नई दिल्ली में एंटी-नारकोटिक्स टास्क फोर्स (ANTF) के दूसरे राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन भी हुआ। इस दो दिवसीय सम्मेलन में देश के सभी 36 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के अधिकारी शामिल हुए। सम्मेलन का थीम "United Resolve, Shared Responsibility" रखा गया, जो यह संदेश देता है कि नशे के खिलाफ लड़ाई सामूहिक प्रयासों से ही सफल हो सकती है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, आने वाले 15 दिनों में पूरे देश में करीब 1 लाख किलो नशीले पदार्थों को नष्ट करने का लक्ष्य रखा गया है। इन ड्रग्स की अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत लगभग 4,000 करोड़ रुपये आंकी गई है। यह अभियान 'ड्रग डिस्पोजल फोर्टनाइट' का हिस्सा है, जिसे जून 2022 से चलाया जा रहा है। अब तक इस अभियान के तहत 6 लाख किलो से ज्यादा ड्रग्स नष्ट की जा चुकी हैं। यह संख्या 2014 से पहले की तुलना में लगभग 30 गुना अधिक है, जो दर्शाता है कि मौजूदा सरकार ने इस दिशा में कितनी सख्ती और तेजी दिखाई है।
ड्रग्स की समस्या सिर्फ कानून व्यवस्था का मुद्दा नहीं है, बल्कि यह समाज और आने वाली पीढ़ियों के भविष्य से भी जुड़ा हुआ है। ड्रग तस्करी आतंकवाद और संगठित अपराधों को भी बढ़ावा देती है। ऐसे में विदेशी तस्करों को देश से बाहर करने का फैसला इस समस्या की जड़ पर प्रहार करेगा। नए इमिग्रेशन कानूनों से यह प्रक्रिया और अधिक प्रभावी और तेज हो जाएगी।
गृह मंत्री ने अपने संबोधन में यह भी कहा कि भारत जैसे विशाल देश को ड्रग फ्री बनाने के लिए केवल सरकारी प्रयास ही काफी नहीं होंगे। इसके लिए समाज, परिवार और युवाओं को भी जागरूक होना होगा। उन्होंने इस दिशा में जागरूकता अभियान को तेज करने पर भी जोर दिया।
कुल मिलाकर, 16,000 विदेशी तस्करों की डिपोर्टेशन की तैयारी, 4,000 किलो से ज्यादा ड्रग्स का नष्ट होना और आने वाले दिनों में 1 लाख किलो ड्रग्स को खत्म करने का लक्ष्य इस बात का प्रमाण है कि भारत सरकार नशे की समस्या को लेकर पूरी तरह गंभीर है। यह कदम निश्चित रूप से नशे के खिलाफ भारत की लड़ाई को और मजबूत करेगा और "नशामुक्त भारत" के सपने को साकार करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।