जीएसटी दरों में कटौती: छह महीने की तैयारी, विपक्षी राज्यों के विरोध के बाद बनी आम राय
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जीएसटी दरों में कटौती पर छह महीने की गहन तैयारी.
विपक्षी राज्यों के विरोध के बाद आम राय बनी.
वित्त मंत्री सीतारमण ने राज्यों के हित सुरक्षित रखने का भरोसा दिया.
Delhi / कहते हैं कि कोई भी बड़ा फैसला अचानक नहीं होता और हाल ही में जीएसटी दरों में की गई कटौती इसका स्पष्ट उदाहरण है। सूत्रों के अनुसार, आम जनता को राहत देने का यह निर्णय रातोंरात नहीं लिया गया, बल्कि इसके लिए सरकार ने करीब छह महीने पहले से ही गहन तैयारी शुरू कर दी थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का साफ निर्देश था कि मध्यम वर्ग और गरीब जनता को अधिकतम राहत दी जाए। इसी लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लगातार छह महीने तक विभिन्न समूहों और राज्यों के प्रतिनिधियों से बैठकें कर ठोस रणनीति तैयार की।
गृह मंत्री अमित शाह ने भी राजनीतिक रूप से संवेदनशील वस्तुओं पर कर दरों को लेकर बैठकें कीं ताकि आगे किसी प्रकार का विवाद न हो। प्रधानमंत्री ने यह भी स्पष्ट कर दिया था कि राज्यों के राजस्व पर नकारात्मक असर नहीं पड़ना चाहिए, जिससे संघीय ढांचा मजबूत बना रहे। तमाम होमवर्क के बाद जीएसटी परिषद की बैठक दो दिन के लिए बुलाई गई। चूंकि प्रधानमंत्री मोदी ने लालकिले से जनता को राहत का ऐलान कर दिया था, इसलिए फैसला जल्दी लेना भी आवश्यक हो गया।
बैठक के दौरान सबसे बड़ी चुनौती विपक्ष शासित राज्यों का विरोध था। 3 सितंबर को हुई बैठक में पश्चिम बंगाल, पंजाब, केरल और कर्नाटक ने दरों में कटौती का विरोध किया। उनका कहना था कि इससे राज्यों को राजस्व का नुकसान होगा। बैठक शाम सात बजे खत्म होनी थी, लेकिन विरोध और बहस के कारण यह रात साढ़े नौ बजे तक खिंच गई। पंजाब और पश्चिम बंगाल अंततः तैयार हो गए, लेकिन केरल और कर्नाटक आखिरी क्षण तक अड़े रहे। वे चाहते थे कि केंद्र सरकार राजस्व हानि की भरपाई का ठोस आश्वासन दे।
जब गतिरोध लंबा खिंचने लगा तो छत्तीसगढ़ के वित्त मंत्री ओ.पी. चौधरी ने सुझाव दिया कि अगर सहमति नहीं बन रही तो वोटिंग करा ली जाए। जीएसटी परिषद में निर्णय आम राय से ही होते आए हैं और अब तक केवल लॉटरी पर 28% जीएसटी के मामले में ही वोटिंग हुई थी। वोटिंग का जिक्र होते ही विपक्षी राज्य सतर्क हो गए, क्योंकि विरोध करने पर उनकी जनता नाराज हो सकती थी। नतीजतन, पश्चिम बंगाल ने पहल की और कर्नाटक व केरल को मनाया। इस तरह देर रात आम सहमति बन सकी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने निर्णय की घोषणा कर दी।
निर्मला सीतारमण ने सभी राज्यों को भरोसा दिलाया कि किसी के साथ अन्याय नहीं होगा। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य दोनों मिलकर जनता को राहत देंगे। बैठक कक्ष की मेज की ओर इशारा करते हुए उन्होंने समझाया कि यहां रखा पैसा केवल केंद्र का नहीं बल्कि राज्यों का भी है। अगर नुकसान हो रहा है तो सभी को मिलकर उसे झेलना होगा। लेकिन वर्तमान प्राथमिकता आम लोगों को राहत देना है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि राज्यों के हितों की पूरी तरह रक्षा की जाएगी।