Kalkaji Mandir murder case 2025 | प्रसाद में चुनरी न देने पर सेवादार की पिटाई कर हत्या, पुलिस ने 5 आरोपी किए गिरफ्तार
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Kalkaji Mandir murder case 2025
कालकाजी मंदिर में प्रसाद विवाद के बाद सेवादार की हत्या.
पुलिस ने चार आरोपियों को किया गिरफ्तार, अन्य फरार.
सीसीटीवी फुटेज से मामले की गहन जांच जारी.
New Delhi / दक्षिण-पूर्व दिल्ली का कालकाजी मंदिर इन दिनों एक सनसनीखेज वारदात को लेकर सुर्खियों में है। प्रसाद में चुनरी न देने के विवाद ने इतना बड़ा रूप ले लिया कि सेवादार योगेंद्र सिंह की बेरहमी से हत्या कर दी गई। घटना ने न केवल स्थानीय लोगों को झकझोर कर रख दिया है, बल्कि दिल्ली पुलिस और प्रशासन को भी अलर्ट कर दिया है।
घटना का प्रारंभ
शुक्रवार को मोहन उर्फ भूरा (19) मंदिर दर्शन के लिए पहुंचा था। दर्शन के बाद उसने प्रसाद में चुनरी मांगी। सेवादारों ने उसके अनुरोध को ठुकरा दिया। जब उसने जोर देकर चुनरी मांगी तो बहस शुरू हो गई और मामला झगड़े तक पहुंच गया। इस दौरान मोहन को कुछ सेवादारों ने पीट दिया। इसी अपमान और आक्रोश ने इस वारदात की नींव रखी।
बदले की नीयत से हमला
रात को मोहन करीब 8-9 लड़कों के साथ फिर मंदिर परिसर में पहुंचा। सुबह हुए झगड़े में शामिल रहे सेवादार योगेंद्र सिंह को उसने धर्मशाला की ओर जाते हुए देख लिया। इसके बाद सभी आरोपी योगेंद्र का पीछा करते हुए धर्मशाला पहुंचे। वहां से उसे घसीटकर मंदिर के रास्ते तक लाया गया और लाठी-डंडों से बेरहमी से पीटना शुरू कर दिया।
चीख-पुकार के बावजूद किसी ने उसे बचाने की हिम्मत नहीं की। आरोपियों ने तब तक मारपीट जारी रखी जब तक योगेंद्र अचेत नहीं हो गया। पुलिस के अनुसार, उसके शरीर पर कई फ्रैक्चर मिले हैं, जिससे पता चलता है कि पिटाई कितनी खतरनाक थी।
पुलिस की कार्रवाई
घटना के कुछ ही घंटों बाद पुलिस हरकत में आई और चार आरोपियों — मोहन उर्फ भूरा, अतुल पांडेय, कुलदीप बिधूड़ी और नितिन को गिरफ्तार कर लिया। वहीं, अन्य आरोपियों रोहित, संदीप, काला और बॉबी की तलाश अभी जारी है। नितिन के पिता को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया है क्योंकि उन्होंने आरोपियों को शरण देने और मदद करने की कोशिश की थी।
सीसीटीवी फुटेज के आधार पर पुलिस इस मामले की गहराई से जांच कर रही है। अधिकारियों का मानना है कि आरोपी पूरी साजिश के तहत बदला लेने आए थे।
मंदिर परिसर का माहौल
मंदिर परिसर में यह घटना लोगों के बीच खौफ का माहौल पैदा कर गई है। कई सेवादारों का कहना है कि योगेंद्र स्वभाव से शांत थे और उन्होंने कभी किसी से झगड़ा नहीं किया। शुक्रवार को हुए विवाद के समय भी वे केवल मौजूद थे, लेकिन मारपीट में शामिल नहीं थे। इसके बावजूद मोहन ने उन्हें पहचानकर हमला कर दिया।
परिवार का दर्द
योगेंद्र के बड़े भाई कौशल ने कहा कि उनके भाई को बिना किसी कारण ही मौत के घाट उतार दिया गया। उन्होंने आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है ताकि ऐसी घटनाएं दोबारा न हो सकें।
निष्कर्ष
यह घटना इस बात की ओर इशारा करती है कि कैसे मामूली विवाद भी बड़े अपराध में बदल सकते हैं। एक साधारण-सा प्रसाद विवाद खून-खराबे तक पहुंच गया और एक निर्दोष व्यक्ति की जान चली गई। पुलिस की त्वरित कार्रवाई सराहनीय है, लेकिन जरूरत इस बात की है कि धार्मिक स्थलों पर सुरक्षा और व्यवस्था को और मजबूत किया जाए। ताकि श्रद्धालुओं के साथ-साथ सेवादार भी सुरक्षित माहौल में अपनी सेवाएं दे सकें।