Delhi / भारत वर्ष 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस के रूप में उन वीर सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित करता है जिन्होंने 1999 के कारगिल युद्ध में मातृभूमि की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी। 2025 में इस ऐतिहासिक दिन को चिरस्मरणीय बनाने के लिए देशभर में श्रद्धा, सम्मान और गौरव के साथ कार्यक्रम आयोजित किए गए। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय युद्ध स्मारक (NWM) पर पुष्पांजलि अर्पित कर शहीदों को नमन किया और आगंतुक पुस्तिका में वीरों के प्रति राष्ट्र की कृतज्ञता प्रकट की।
रक्षा मंत्री ने अपने संदेश में लिखा, "कारगिल विजय आने वाली पीढ़ियों के लिए वीरता और पराक्रम का अद्वितीय प्रतीक रहेगा।" उन्होंने NWM को बलिदान की जीवंत मूर्ति बताया और वीर सैनिकों की वीरता को याद करते हुए कहा कि कारगिल युद्ध के दौरान सैनिकों ने कठिन परिस्थितियों में राष्ट्र के सम्मान की रक्षा के लिए अद्वितीय साहस और धैर्य का परिचय दिया। X (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए उन्होंने कहा, "भारत उनकी सेवा और बलिदान का सदा ऋणी रहेगा।"
कारगिल के द्रास क्षेत्र में, युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय द्वारा 'कारगिल विजय दिवस पदयात्रा' का आयोजन किया गया, जिसका नेतृत्व केंद्रीय मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया और रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ ने किया। इस पदयात्रा में 1,000 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिनमें युवा, सेवारत और सेवानिवृत्त सैनिक, शहीदों के परिजन और आम नागरिक शामिल थे। पदयात्रा हिमाबास पब्लिक हाई स्कूल से शुरू होकर भीमबेट के सरकारी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय तक 1.5 किमी तक चली।
रक्षा राज्य मंत्री ने कहा कि "वीरों की शौर्यगाथाएं आने वाली पीढ़ियों को देशभक्ति की प्रेरणा देती रहेंगी। उनका बलिदान हर भारतीय के हृदय में मातृभूमि के प्रति अगाध प्रेम की लौ प्रज्वलित करता रहेगा।"
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी, वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने भी राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर श्रद्धा सुमन अर्पित किए। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ ने संदेश में लिखा, "कारगिल विजय दिवस हमारे शूरवीरों की बहादुरी, दृढ़ संकल्प और देशभक्ति की याद दिलाता है। पाकिस्तान के विश्वासघात के विरुद्ध यह युद्ध हमारे संकल्प की परीक्षा थी, जिसमें हमने अपनी एकता और वीरता से विजय प्राप्त की। ऑपरेशन सिंदूर जैसी हाल की कार्रवाइयों से यह सिद्ध हो गया है कि हम हर चुनौती का सामना साहस और तैयारी से करने में सक्षम हैं।"
नौसेना प्रमुख ने अपने संदेश में कहा, "वीरों द्वारा गढ़ी गई विरासत 'स्वयं से पहले सेवा' की भावना की प्रतीक है। उनका बलिदान हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है जो राष्ट्र सेवा के लिए समर्पित है।"
थल सेनाध्यक्ष ने कारगिल विजय दिवस को भारतीय सेना के अदम्य साहस और राष्ट्र की संप्रभुता की रक्षा के संकल्प का प्रतीक बताया। उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय सेना हमेशा देश के स्वाभिमान की रक्षा के लिए तैयार है।
वायुसेना प्रमुख ने राष्ट्रीय युद्ध स्मारक को उन वीरों की अमर विरासत का प्रतीक बताया, जिनकी वीरता और समर्पण आज भी भारतीय सशस्त्र बलों को प्रेरणा देता है। उन्होंने कहा, "भारतीय वायुसेना अपने साहस, कर्तव्य और सम्मान की गौरवशाली परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए सदैव तत्पर रहेगी।"
कारगिल विजय दिवस न केवल शौर्य का उत्सव है, बल्कि यह दिन देशवासियों को यह याद दिलाता है कि राष्ट्र की रक्षा में लगे हर सैनिक का बलिदान अनमोल और अविस्मरणीय है। यह दिवस भारतीय नागरिकों के भीतर देशभक्ति, एकता और राष्ट्रीय गर्व की भावना को और भी दृढ़ करता है।