हिंदी भाषा की संयुक्ता जरूरी : डॉ. संदीप कुमार वर्मा

Tue 16-Sep-2025,11:33 PM IST +05:30

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हिंदी भाषा की संयुक्ता जरूरी : डॉ. संदीप कुमार वर्मा
  • हिंदी भाषा रोजगार और व्यवसाय के नए अवसरों का माध्यम.

  • डिजिटल युग में हिंदी से कंटेंट क्रिएशन और ब्लॉगिंग का विस्तार. 

  • कार्यशाला में तकनीकी और सांस्कृतिक पहलुओं पर गहन चर्चा.

Maharashtra / Wardha :

वर्धा / एमएसएमई मंत्रालय के अधीन कार्यरत महात्मा गांधी ग्रामीण औद्योगिकरण संस्थान में चल रहे हिंदी पखवाड़े के अंतर्गत “रोजगार और व्यवसाय के क्षेत्र में हिंदी की भूमिका” विषय पर एक सारगर्भित कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. जय किशोर छांगाणी ने किया। अध्यक्षता तापस रंजनकर ने की और प्रमुख अतिथि के रूप में डॉ. संदीप कुमार वर्मा उपस्थित रहे। मंच पर विकास जी भी अतिथियों में शामिल रहे।

कार्यक्रम की शुरुआत भारत माता और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन से हुई। प्रमुख अतिथि डॉ. संदीप कुमार वर्मा का स्वागत तपश रंजनकर ने सूत माला से तथा विकास जी ने स्मृति चिन्ह भेंट कर किया।
अपने मुख्य वक्तव्य में डॉ. वर्मा ने कहा कि हिंदी भाषा सिर्फ संवाद का माध्यम ही नहीं, बल्कि रोजगार और व्यवसाय की नई संभावनाओं का भी द्वार खोल रही है। उन्होंने बताया कि हिंदी मीडिया, हिंदी सिनेमा और हिंदी से जुड़े करीब 56 हजार से अधिक संस्थान प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लाखों लोगों को रोजगार दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि हिंदी भाषा में काम करने का दायरा तेजी से बढ़ रहा है और आज हिंदी अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी अपनी अहम पहचान बना चुकी है।

डॉ. वर्मा ने यह भी रेखांकित किया कि हिंदी भाषा में रोजगार की संभावनाएं केवल पारंपरिक क्षेत्रों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि डिजिटल युग में ब्लॉगिंग, कंटेंट क्रिएशन, यूट्यूब चैनल और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म भी हिंदी भाषा को रोजगार का सशक्त साधन बना रहे हैं।
अगले वक्ता के रूप में विकास चौधरी ने कहा कि हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार और उपयोग को तकनीकी साधनों के साथ जोड़े बिना रोजगार की संभावनाएं अधूरी रह जाएंगी। उन्होंने सी-डेक द्वारा विकसित “कंठस्थ” सॉफ्टवेयर का उल्लेख करते हुए कहा कि यह हिंदी लेखन और वाचन को सरल बनाने में बड़ी भूमिका निभा रहा है।

विकास जी ने भी अपने विचार रखते हुए कहा कि हिंदी भाषा की ताकत इसकी व्यापकता और सरलता में है। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे हिंदी माध्यम में उपलब्ध नए अवसरों को अपनाकर आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में योगदान दें। डॉ. छांगाणी ने एमगिरी के सभी अधिकारियों तथा कर्मचारियों से हिंदी पखवाड़े के अंतर्गत आयोजित होने वाले विभिन्न प्रतियोगियों में बढ़ - चढ़कर सहभागिता करने का आवाह्न किया।

कार्यशाला में उपस्थित संस्थान के कर्मियों ने अपनी उपस्थिति से कार्यशाला को समृद्ध बनाया। इस अवसर पर हिंदी पखवाड़े की विभिन्न प्रतियोगिताओं और गतिविधियों की झलक भी प्रस्तुत की गई।