वाइस एडमिरल संजय साधु ने युद्धपोत उत्पादन एवं अधिग्रहण नियंत्रक का पदभार संभाला
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वाइस एडमिरल संजय साधु ने युद्धपोत उत्पादन और अधिग्रहण नियंत्रक का पद संभालकर भारतीय नौसेना के स्वदेशी युद्धपोत निर्माण कार्यक्रम को नई गति दी।
विक्रमादित्य विमानवाहक पोत परियोजना और डॉकयार्ड नेतृत्व अनुभव के कारण साधु से नौसेना की तकनीकी एवं उत्पादन क्षमताओं में तेजी की उम्मीद बढ़ी।
राजाराम स्वामीनाथन के कार्यकाल में आठ युद्धपोत शामिल होने के बाद नया नेतृत्व आत्मनिर्भर युद्धपोत निर्माण में निरंतरता सुनिश्चित करेगा।
Delhi/ वाइस एडमिरल संजय साधु, एवीएसएम, एनएम ने 28 नवंबर 2025 को युद्धपोत उत्पादन और अधिग्रहण नियंत्रक (Controller of Warship Production & Acquisition – CWP&A) के रूप में पदभार ग्रहण कर भारतीय नौसेना की प्रगतिशील व आत्मनिर्भर समुद्री क्षमता को नई दिशा देने की जिम्मेदारी संभाली है। वह 1987 में भारतीय नौसेना में शामिल हुए थे और मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातकोत्तर एवं रक्षा एवं सामरिक अध्ययन में एमफिल हैं।
38 वर्षों से अधिक के अपने शानदार सैन्य करियर में वाइस एडमिरल साधु ने अनेक संचालनात्मक, तकनीकी व रणनीतिक जिम्मेदारियाँ निभाईं। उन्होंने विमानवाहक पोत आईएनएस विराट पर कई नियुक्तियाँ संभालीं और अग्रिम पंक्ति के युद्धपोत आईएनएस ब्रह्मपुत्र और आईएनएस दूनागिरी पर भी महत्वपूर्ण तकनीकी जिम्मेदारियों का नेतृत्व किया।
तकनीकी प्रशासनिक पदों की बात करें तो वे नौसेना डॉकयार्ड (मुंबई) में अतिरिक्त महाप्रबंधक (उत्पादन), नौसेना पोत मरम्मत यार्ड (कारवार) के कमोडोर अधीक्षक और नौसेना मुख्यालय, नई दिल्ली में प्रधान निदेशक समुद्री इंजीनियरिंग जैसे प्रमुख पदों पर कार्य कर चुके हैं।
वाइस एडमिरल साधु रूस से विमानवाहक पोत विक्रमादित्य के आधुनिकीकरण एवं अधिग्रहण में भी निर्णायक भूमिका में रहे। इस परियोजना के दौरान उन्होंने वरिष्ठ नौसेना इंजीनियर ओवरसियर, विमानवाहक परियोजना निदेशक तथा नौसेना मुख्यालय में विमानवाहक परियोजना के प्रधान निदेशक के रूप में जिम्मेदारियाँ निभाईं।
फ्लैग रैंक में पदोन्नति के बाद उन्होंने युद्धपोत डिज़ाइन ब्यूरो (पनडुब्बी डिज़ाइन समूह) के अतिरिक्त महानिदेशक, पूर्वी एवं पश्चिमी नौसेना कमान के मुख्य कर्मचारी अधिकारी (तकनीकी) तथा विशाखापत्तनम और मुंबई स्थित दो प्रमुख डॉकयार्डों के एडमिरल अधीक्षक के रूप में महत्वपूर्ण नेतृत्व किया। उन्हें दोनों तटों के डॉकयार्ड और दोनों कमानों में तकनीकी प्रमुख अधिकारी के रूप में सेवा देने का दुर्लभ गौरव प्राप्त है।
उच्च कोटि की विशिष्ट सेवा के लिए उन्हें राष्ट्रपति द्वारा अति विशिष्ट सेवा पदक और नौसेना पदक से सम्मानित किया गया है। सीडब्ल्यूपीएंडए का पदभार ग्रहण करने से पहले वे नई दिल्ली में उन्नत प्रौद्योगिकी पोत कार्यक्रम के कार्यक्रम निदेशक के रूप में सेवारत थे।
उन्होंने वाइस एडमिरल राजाराम स्वामीनाथन, एवीएसएम, एनएम से कार्यभार ग्रहण किया, जो 38 वर्षों की विशिष्ट सेवा के उपरांत 30 नवंबर 2025 को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। उनके कार्यकाल में भारतीय नौसेना में आठ नए युद्धपोत शामिल किए गए — जो आत्मनिर्भर व आधुनिक नौसेना निर्माण के तेज होते कदमों का प्रतीक है।