मोबाइल की लत से बिगड़ते रिश्ते, परिवारों में बढ़ती भावनात्मक दूरी

Thu 20-Nov-2025,07:15 PM IST +05:30

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मोबाइल की लत से बिगड़ते रिश्ते, परिवारों में बढ़ती भावनात्मक दूरी
  • मोबाइल की लत से परिवारों में संवादहीनता, भावनात्मक दूरी और बच्चों के व्यवहार में नकारात्मक बदलाव तेजी से बढ़ रहे हैं।

  • विशेषज्ञ संतुलित उपयोग, नो मोबाइल टाइम और डिजिटल अनुशासन को रिश्तों में सुधार का सबसे प्रभावी उपाय मानते हैं।

Maharashtra / Nagpur :

नागपुर/ आज के डिजिटल युग में मोबाइल फोन आधुनिक जीवन का अहम हिस्सा बन चुका है, लेकिन इसके अत्यधिक उपयोग से पारिवारिक और सामाजिक रिश्तों में खटास बढ़ती जा रही है। विशेषज्ञों की मानें तो मोबाइल की लत न सिर्फ मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर रही है, बल्कि परिवारों में संवादहीनता, गलतफहमियाँ और भावनात्मक दूरी भी तेजी से बढ़ा रही है।

घरों में भोजन के समय बातचीत की जगह अब स्क्रीन ने ले ली है। पति-पत्नी, माता-पिता और बच्चों के बीच पहले जैसी आत्मीयता देखने को कम मिल रही है। सोशल मीडिया, ऑनलाइन गेमिंग और लगातार नोटिफिकेशन की वजह से लोग वास्तविक जीवन के जुड़ाव से दूर हो रहे हैं। मनोवैज्ञानिकों के अनुसार, मोबाइल फोन पर अत्यधिक निर्भरता ‘डिजिटल डिस्टेंसिंग’ का कारण बन रही है, जिसमें एक ही घर में रहते हुए भी लोग आपस में कम बात करते हैं।

समाज में कई ऐसे उदाहरण सामने आ चुके हैं जहाँ मोबाइल ने रिश्तों को गहरा नुकसान पहुँचाया है। बच्चों के अध्ययन में गिरावट, दांपत्य जीवन में तनाव, बुजुर्गों की उपेक्षा और दोस्तों के साथ दूरी बनना सामान्य बात हो चली है। खासकर युवा पीढ़ी में मोबाइल की आदत इतनी बढ़ गई है कि नींद, दिनचर्या और व्यवहार पर भी इसका सीधा असर दिखाई देता है।

विशेषज्ञों का कहना है कि मोबाइल का उपयोग पूरी तरह गलत नहीं है, लेकिन संतुलन बनाना बेहद जरूरी है। परिवारों को ‘नो मोबाइल टाइम’ जैसे नियम तय करने चाहिए, जैसे- रात के खाने के दौरान, सुबह की पारिवारिक चर्चा के समय, या सप्ताह में कुछ घंटे पूरी तरह मोबाइल से दूर रहना। यह छोटे-छोटे उपाय रिश्तों में गर्माहट लौटाने में मदद कर सकते हैं। स्कूलों और संस्थाओं में भी डिजिटल अवेयरनेस पर ज़ोर दिया जा रहा है, ताकि बच्चे मोबाइल का सही उपयोग सीख सकें। वहीं कई परिवार अब बच्चों को मोबाइल देने के नियम तय कर रहे हैं समय सीमा, पैरेंटल कंट्रोल और ऑफलाइन गतिविधियों को बढ़ावा देकर। सार में, मोबाइल सुविधा का साधन है, लेकिन इसका अति-उपयोग हमारी सामाजिक संरचना को प्रभावित कर रहा है। जागरूकता और संतुलन ही इसका समाधान है।