राष्ट्रपति द्वारा महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय के उद्घाटन पर उद्बोधन

Wed 02-Jul-2025,10:17 AM IST +05:30

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राष्ट्रपति द्वारा महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय के उद्घाटन पर उद्बोधन आयुष शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में भारत की प्राचीन विरासत को आधुनिक स्वरूप देने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम
  • राष्ट्रपति मुर्मू ने गोरखपुर में आयुष विश्वविद्यालय का उद्घाटन किया।

  • विश्वविद्यालय आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा का आधुनिक केंद्र बनेगा।

  • राष्ट्रपति ने योग और स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देने पर बल दिया।

Uttar Pradesh / Gorakhpur :

Gorakhpur / 1 जुलाई 2025 को राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने इस विश्वविद्यालय को हमारी समृद्ध प्राचीन परंपराओं का एक आधुनिक, प्रभावशाली केंद्र बताते हुए कहा कि यह उत्तर प्रदेश ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए चिकित्सा शिक्षा और सेवाओं के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि विश्वविद्यालय की उन्नत सुविधाएं अब बड़ी संख्या में लोगों को उपलब्ध हैं और इससे संबद्ध लगभग 100 आयुष कॉलेज इसकी उत्कृष्टता से लाभान्वित हो रहे हैं।

राष्ट्रपति ने अपने सार्वजनिक जीवन के अनुभव साझा करते हुए कहा कि जनसेवा हेतु व्यक्ति को अपनी सुख-सुविधाओं का त्याग करना पड़ता है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जनकल्याण के प्रति निष्ठा की सराहना की और कहा कि उनके सतत प्रयासों से क्षेत्र में स्वास्थ्य, शिक्षा और कृषि जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में आधारभूत ढांचे का विकास हुआ है। उन्होंने सभी प्रशासकों, डॉक्टरों और नर्सों से जनप्रतिनिधियों द्वारा आरंभ की गई कल्याणकारी योजनाओं को आगे बढ़ाने का आग्रह किया।

उन्होंने लोगों को याद दिलाया कि ‘स्वास्थ्य ही धन है’ और स्वयं को स्वस्थ बनाए रखने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने चाहिए। योग के लाभों को रेखांकित करते हुए उन्होंने विशेष रूप से उन लोगों को योग अपनाने की सलाह दी जो शारीरिक परिश्रम कम करते हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा, सिद्ध जैसी भारतीय चिकित्सा पद्धतियाँ समग्र जीवन का वैज्ञानिक मार्ग प्रस्तुत करती हैं। ये पद्धतियाँ न केवल हमारे खेतों और वनों की औषधीय संपदा से जुड़ी हैं, बल्कि विश्व समुदाय के लिए भारत का अमूल्य उपहार हैं। उन्होंने आशा व्यक्त की कि यह विश्वविद्यालय आयुष पद्धतियों की वैज्ञानिक स्वीकार्यता और लोकप्रियता बढ़ाने में निर्णायक भूमिका निभाएगा।