झारखंड की सोहराय कला ने राष्ट्रपति भवन में बिखेरी छटा | कला उत्सव 2025
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IGNCA द्वारा कला संरक्षण और प्रोत्साहन का प्रयास
झारखंड की जनजातीय महिलाओं की पारंपरिक चित्रकला को सम्मान
राष्ट्रपति भवन में सोहराय कला का भव्य प्रदर्शन
राष्ट्रपति भवन में आयोजित 'कला उत्सव 2025 – आर्टिस्ट्स इन रेजिडेंस कार्यक्रम' के दूसरे संस्करण में झारखंड की पारंपरिक आदिवासी भित्ति चित्रकला सोहराय ने सबका ध्यान खींचा। यह दस दिवसीय आवासीय कार्यक्रम भारत की लोक और जनजातीय कला परंपराओं को समर्पित रहा, जिसमें भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने स्वयं उपस्थित होकर कलाकारों से मुलाकात की और उनकी कला की सराहना की।
राष्ट्रपति मुर्मू ने कलाकारों से बातचीत करते हुए कहा,
"इन कलाकृतियों में भारत की आत्मा बसती है – प्रकृति से हमारा संबंध, पौराणिकता और सामुदायिक जीवन की झलक। आप सभी जिस लगन से इस परंपरा को जीवित रखे हुए हैं, वह अत्यंत सराहनीय है।"
इस अवसर पर इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (IGNCA) से डॉ. सच्चिदानंद जोशी (सदस्य सचिव), डॉ. कुमार संजय झा (क्षेत्रीय निदेशक), एवं श्रीमती सुमेधा सेनगुप्ता (परियोजना सहयोगी, IGNCA रांची) उपस्थित रहे। IGNCA द्वारा परंपरा अनुसार राष्ट्रपति महोदया को एक पारंपरिक साड़ी भेंट कर सम्मानित किया गया।
IGNCA के रांची क्षेत्रीय केंद्र की परियोजना सहायक टीम – श्रीमती बोलो कुमारी उरांव, श्री प्रभात लिंडा, और डॉ. हिमांशु शेखर – ने कलाकारों के चयन, समन्वय और उनके राष्ट्रीय मंच तक पहुंच सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभाई।
सोहराय कला, जो झारखंड की जनजातीय महिलाओं द्वारा त्योहारों और फसल कटाई के समय बनाई जाती है, मिट्टी की दीवारों पर प्राकृतिक रंगों और बाँस की कूचियों से बनाई जाती है। इस कला में पशु-पक्षी, वनस्पतियाँ और ज्यामितीय आकृतियाँ प्रमुख होती हैं, जो कृषि जीवन और आध्यात्मिक विश्वासों से जुड़ी होती हैं।
हजारीबाग जिले की दस प्रख्यात सोहराय कलाकारों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया, जिनमें शामिल थीं –
श्रीमती रुदन देवी, श्रीमती अनीता देवी, श्रीमती सीता कुमारी, श्रीमती मालो देवी, श्रीमती सजवा देवी, श्रीमती पार्वती देवी, श्रीमती आशा देवी, श्रीमती कदमी देवी, श्रीमती मोहिनी देवी और श्रीमती रीना देवी।
कलाकार मालो देवी और सजवा देवी ने अपनी खुशी साझा करते हुए कहा:
"हमारे लिए यह एक बहुत गर्व की बात है कि हम अपने राज्य की परंपरागत सोहराय कला को ऐसे बड़े मंच पर प्रस्तुत कर सके। यह अनुभव हमारे लिए अविस्मरणीय रहा।"
यह झारखंड के लिए गर्व का विषय है कि जहां सोहराय कला अब तक गोंड, मधुबनी या वारली जैसी अन्य पारंपरिक कलाओं की तरह राष्ट्रीय पहचान नहीं पा सकी थी, वहीं अब उसे एक प्रतिष्ठित मंच मिला है। इस पहल ने झारखंड की सांस्कृतिक समृद्धि को भारत के सांस्कृतिक परिदृश्य में प्रमुखता से स्थापित किया है।
IGNCA और उसका रांची केंद्र निरंतर इस दिशा में कार्यरत है कि देश के दूरदराज क्षेत्रों की विलुप्तप्राय लोक कलाओं को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान और सम्मान मिले।
कला उत्सव 2025 के माध्यम से सोहराय कला को जो राष्ट्रीय मंच मिला, वह झारखंड की जनजातीय आत्मा की एक जीवंत घोषणा है। IGNCA की प्रतिबद्धता और प्रयासों ने यह सुनिश्चित किया कि भारत की मूल सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ी यह कला राष्ट्रपति भवन जैसे गरिमामय स्थान पर सम्मानित हो सके।