बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान पर सियासी संग्राम, पप्पू यादव ने जताया विरोध
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पप्पू यादव ने मतदाता सूची सत्यापन अभियान का बहिष्कार किया।
गरीब और दलित वोटरों को वंचित करने का लगाया आरोप।
विपक्ष ने चुनाव आयोग की प्रक्रिया पर सवाल उठाए।
Bihar / बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान को लेकर राजनीति गरमा गई है। इस अभियान के तहत चुनाव आयोग 22 वर्षों बाद राज्यभर में घर-घर जाकर वोटर सत्यापन करवा रहा है। जिन मतदाताओं के नाम 2003 के बाद जोड़े गए हैं, उन्हें पहचान प्रमाण प्रस्तुत करना अनिवार्य किया गया है। यह प्रक्रिया अक्टूबर-नवंबर में संभावित चुनाव से पहले पूरी की जाएगी।
हालांकि, इस अभियान को लेकर विपक्षी दलों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। पूर्णिया से सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने इस अभियान का खुला बहिष्कार करते हुए जनता से भी इसमें सहयोग न करने की अपील की है। उन्होंने इसे “नौटंकी” करार देते हुए लोकतांत्रिक अधिकारों पर सीधा हमला बताया है। सोशल मीडिया के माध्यम से पप्पू यादव ने लोगों से अपील की कि वे किसी भी बीएलओ (BLO) या चुनाव कर्मी को अपने गांव में प्रवेश न करने दें और उन्हें कोई दस्तावेज न दें।
उन्होंने आरोप लगाया कि यह कवायद गरीब, दलित, पिछड़े और युवा मतदाताओं को मतदाता सूची से बाहर करने की एक सोची-समझी साजिश है। पप्पू यादव का कहना है कि गरीबों के पास आवश्यक दस्तावेज नहीं होते, और ऐसे में लाखों लोग मतदाता बनने से वंचित रह सकते हैं।
राजद, कांग्रेस और वाम दलों ने भी इस अभियान की टाइमिंग पर सवाल खड़े किए हैं और इसे सत्ता पक्ष की वोट कटवाने की रणनीति बताया है। इससे साफ है कि यह मुद्दा आने वाले चुनावों में बड़ा राजनीतिक मोड़ ले सकता है।