हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा में शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, विदर्भ प्रांत की प्रांतीय बैठक संपन्न
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भारतीय शिक्षा में संस्कृति और परंपरा के समावेश पर जोर।
मातृभाषा, वैदिक गणित और पर्यावरण शिक्षा को बढ़ावा।
मीडिया, शोध व महिला सशक्तिकरण जैसे मुद्दों पर गहन चर्चा।
Wardha / महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा में दिनांक 25 जून को शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, विदर्भ प्रांत की प्रांतीय बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक में भारतीय शिक्षा प्रणाली को भारतीय संस्कृति से जोड़ने पर गंभीर विचार-विमर्श हुआ। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. कुमुद शर्मा की विशेष उपस्थिति रही। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद की शिक्षा व्यवस्था में भारतीय ज्ञान परंपरा की उपेक्षा हुई थी और आधुनिकता के नाम पर भारतीयता को हाशिए पर डाल दिया गया। लेकिन नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारतीयता की पुनर्वापसी का मार्ग प्रशस्त कर रही है। उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षा का उद्देश्य केवल डिग्रियां अर्जित करना नहीं बल्कि अच्छा-बुरा का विवेक पैदा करना होना चाहिए।
कार्यक्रम की अध्यक्षता शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास की महिला कार्य संयोजक सुश्री शोभाताई पैठणकर ने की। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि न्यास का उद्देश्य प्रारंभ से ही मातृभाषा में शिक्षा, वैदिक गणित, पर्यावरण शिक्षा और भारतीय ज्ञान परंपरा को शिक्षा व्यवस्था में पुनः प्रतिष्ठित करना रहा है। उन्होंने कहा कि शोध का मूल उद्देश्य भारतीयता की पुनर्प्रतिष्ठा होना चाहिए तथा महिलाओं की भागीदारी, स्वास्थ्य और स्वावलंबन जैसे विषय भी संस्था के केंद्र में होने चाहिए।
विदर्भ प्रांत संयोजक श्री मनोज पांडे ने बताया कि संस्था ने अब तक 38 शिक्षण संस्थानों के साथ एमओयू किया है ताकि भारतीय शिक्षा प्रणाली में वैदिक गणित और भारतीय परंपराएं शामिल की जा सकें। उन्होंने कहा कि मां, मातृभूमि और मातृभाषा का कोई विकल्प नहीं होता और शिक्षा को समस्या नहीं बल्कि समाधान केंद्रित होना चाहिए। कार्यक्रम का संचालन अनुवाद एवं निर्वाचन विद्यापीठ की सहायक आचार्य मीरा निचले ने किया। बैठक में विश्वविद्यालय के शिक्षक, विद्यार्थी और न्यास के पदाधिकारी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। प्रथम उद्घाटन सत्र का धन्यवाद ज्ञापन डॉ गुंजन जैन जी के द्वारा किया।द्वितीय सत्र में विजय गुर्गे जी ने पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकता पर बल देते हुए शुभचिंतक की भूमिका को रेखांकित किया तथा संगठनात्मक विषयों पर भी चर्चा की।
तृतीय सत्र में जनसंचार विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. राजेश लहकपुरे ने पारंपरिक संचार माध्यमों, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और सोशल मीडिया की वर्तमान भूमिका पर विस्तार से प्रकाश डाला। चतुर्थ सत्र में (कार्यकारी कुलसचिव )प्रो. आनंद पाटील ने न्यास की कार्यप्रणाली एवं उद्देश्यों को संक्षिप्त व प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया। कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन डाॅ. शिवाजी जोगदंड द्वारा किया गया।