पद्मश्री कवि डॉ. सुरेन्द्र दुबे का हृदयाघात से निधन, साहित्य जगत में शोक की लहर

Fri 27-Jun-2025,11:42 AM IST +05:30

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पद्मश्री कवि डॉ. सुरेन्द्र दुबे का हृदयाघात से निधन, साहित्य जगत में शोक की लहर हास्य और व्यंग्य की दुनिया को अलविदा कह गए पद्मश्री डॉ. सुरेन्द्र दुबे – छत्तीसगढ़ी साहित्य के चमकते सितारे का अवसान
  • पद्मश्री कवि डॉ. सुरेन्द्र दुबे का हृदयाघात से निधन।

  • हास्य और व्यंग्य काव्य शैली के प्रखर हस्ताक्षर।

  • छत्तीसगढ़ी भाषा को वैश्विक पहचान दिलाने में योगदान।

Chhattisgarh / Raipur :

Raipur / देशभर में अपने हास्य और तीखे व्यंग्य के लिए लोकप्रिय पद्मश्री से सम्मानित कवि डॉ. सुरेन्द्र दुबे का गुरुवार को छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में एक सरकारी अस्पताल में हृदयाघात से निधन हो गया। वे 72 वर्ष के थे। बुधवार तड़के उन्हें दिल का दौरा पड़ा था, जिसके बाद उन्हें एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट (एसीआई) में भर्ती कराया गया था।

अस्पताल के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. स्मित श्रीवास्तव ने जानकारी दी कि बुधवार को उनकी एंजियोप्लास्टी सफल रही थी और उनकी हालत स्थिर मानी जा रही थी। उन्हें ICU से सामान्य वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया था ताकि वे अपने परिवार के साथ समय बिता सकें। लेकिन गुरुवार दोपहर को उन्हें दो बार दिल का दौरा पड़ा, जिसके बाद उनका निधन हो गया।

डॉ. सुरेन्द्र दुबे का जन्म 1953 में बेमेतरा जिले (तत्कालीन दुर्ग जिला) में हुआ था। पेशे से वे आयुर्वेदिक चिकित्सक थे, लेकिन उन्होंने साहित्य, विशेषकर हास्य और व्यंग्य कविता को अपनी पहचान बना लिया। उनके हास्य से भरे कवि सम्मेलनों ने उन्हें देशभर में लोकप्रिय बना दिया। वर्ष 2010 में भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया।

उनके परिवार में पत्नी शशि दुबे, एक पुत्र और एक पुत्री हैं। डॉ. दुबे की रचनाएँ आम जनता से जुड़ी होती थीं और उनका व्यंग्य सामाजिक विषयों को व्याख्यायित करता था। वे जीवन भर मंचों की शोभा बढ़ाते रहे और अपने चुटीले अंदाज से समाज को हंसी की सौगात देते रहे।

जैसे ही उनके निधन की खबर फैली, पूरे साहित्यिक और सांस्कृतिक जगत में शोक की लहर दौड़ गई। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा, “डॉ. दुबे छत्तीसगढ़ी साहित्य और हास्य कविता के शिखर पुरुष थे। उनका जाना अपूरणीय क्षति है। उन्होंने छत्तीसगढ़ी भाषा को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पहचान दिलाई।” मुख्यमंत्री ने उनके योगदान को सदा स्मरणीय बताया और ईश्वर से दिवंगत आत्मा की शांति की प्रार्थना की।