भारत की आत्मा: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का बिहार की विरासत पर प्रेरणादायक संबोधन

Wed 25-Jun-2025,10:44 AM IST +05:30

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भारत की आत्मा: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का बिहार की विरासत पर प्रेरणादायक संबोधन बिहार: भारत की आत्मा और ज्ञान परंपरा का जीवंत प्रतीक — उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का प्रेरक संबोधन
  • उपराष्ट्रपति ने बिहार को भारत की आत्मा बताया।

  • नालंदा विश्वविद्यालय की गौरवशाली परंपरा की सराहना।

  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को मूल्य आधारित बताया।

Bihar / Patna :

Bihar / भारत के उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने बिहार की ऐतिहासिक, बौद्धिक और संवैधानिक विरासत का स्मरण करते हुए इसे "भारत की आत्मा" कहा। उन्होंने यह उद्बोधन ललित नारायण मिश्रा कॉलेज ऑफ बिज़नेस मैनेजमेंट, मुज़फ्फरपुर के स्थापना दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में जनसभा को संबोधित करते हुए दिया।

धनखड़ जी ने कहा कि बिहार केवल एक राज्य नहीं, बल्कि वह भूमि है जहाँ बुद्ध को ज्ञान मिला, महावीर को आत्मबोध हुआ, चंपारण में गांधी जी का पहला सत्याग्रह हुआ और डॉ. राजेन्द्र प्रसाद जैसे संविधान निर्माता का जन्म हुआ। उन्होंने इसे भारत की दार्शनिक नींव का जन्मस्थल बताया।

उपराष्ट्रपति ने बिहार की शिक्षा परंपरा का गौरवगान करते हुए नालंदा, विक्रमशिला और ओदंतपुरी जैसे प्राचीन विश्वविद्यालयों का उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि नालंदा एक ऐसा आवासीय विश्वविद्यालय था जहाँ 10,000 छात्र और 2,000 आचार्य शिक्षा देते थे। चीन, जापान, कोरिया, तिब्बत से विद्यार्थी यहाँ ज्ञान अर्जन के लिए आते थे। उन्होंने कहा कि आज की विश्वप्रसिद्ध यूनिवर्सिटियाँ भी नालंदा के सामने छोटी पड़ती हैं।

बख्तियार खिलजी द्वारा नालंदा को जलाने की त्रासदी का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि ज्ञान की ज्वाला बुझी नहीं — भारत आज भी विश्व का सबसे बड़ा ज्ञान भंडार है।

धनखड़ जी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की सराहना करते हुए कहा कि यह नीति भारत को वैश्विक मंच पर प्रतिष्ठा दिलाने में सहायक सिद्ध होगी। उन्होंने वैदिक उक्ति "सा विद्या या विमुक्तये" को उद्धृत करते हुए शिक्षा को मुक्ति का मार्ग बताया। उन्होंने कहा कि भारत की शिक्षा प्रणाली मूल्य-आधारित है, जो केवल रोजगार नहीं, बल्कि चरित्र निर्माण करती है।

डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की भूमिका को रेखांकित करते हुए उपराष्ट्रपति ने सोमनाथ मंदिर के उद्घाटन और संविधान सभा में उनकी अडिग भूमिका का उल्लेख किया। उन्होंने डॉ. अंबेडकर के साथ मिलकर संविधान में उच्चतम मानक स्थापित करने के लिए डॉ. प्रसाद की सराहना की और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को उस परंपरा की अगली कड़ी बताया।

धनखड़ जी ने अपने मंत्रीकाल की याद करते हुए कहा कि जब मंडल आयोग लागू हुआ तब वे केंद्र में मंत्री थे और आज उन्हें कर्पूरी ठाकुर जी को भारत रत्न से सम्मानित होते देखना गर्व का विषय है।

उन्होंने 25 जून, आपातकाल के दिन को लोकतंत्र का काला अध्याय बताया और जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में चली 'सम्पूर्ण क्रांति' को राष्ट्र के पुनर्जागरण की पुकार बताया।

इस अवसर पर बिहार सरकार के उद्योग मंत्री नीतीश मिश्र, कुलपति दिनेश राय, कॉलेज निदेशक मनीष कुमार सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। उपराष्ट्रपति का यह संबोधन बिहार की गौरवगाथा और भारत के भविष्य की दिशा में प्रेरणास्रोत साबित हुआ।