हिमाचल प्रदेश भारी बारिश: भूस्खलन, रेड अलर्ट और मणिमहेश यात्रा प्रभावित
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हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश और भूस्खलन से हाहाकार.
सीएम ने प्रदेश को आपदा प्रभावित राज्य घोषित किया.
सड़कें, स्कूल और मणिमहेश यात्रा गंभीर रूप से प्रभावित.
Shimla / हिमाचल प्रदेश इस समय भारी बारिश और प्राकृतिक आपदाओं से जूझ रहा है। प्रदेश के कई हिस्सों में लगातार हो रही बारिश ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विधानसभा सत्र के दौरान प्रदेश को आपदा प्रभावित राज्य घोषित कर दिया है और इसकी नोटिफिकेशन जारी कर दी गई है। सीएम ने कहा कि लगातार बारिश से प्रदेश को भारी नुकसान हुआ है। मणिमहेश यात्रा को लेकर भी उन्होंने जानकारी दी और बताया कि मंत्री जगत सिंह नेगी चार दिन से पैदल चलकर भरमौर की ओर जा रहे हैं, जिससे हालात की गंभीरता का अंदाजा लगाया जा सकता है।
प्रदेश के छह जिलों में रेड अलर्ट घोषित किया गया है और बीती रात से भारी बारिश का सिलसिला जारी है। जगह-जगह भूस्खलन हो रहे हैं। शिमला में सुबह तीन घरों पर भूस्खलन हुआ, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई। इस घटना ने लोगों को गहरे सदमे में डाल दिया है। वहीं, मौसम विभाग के अलर्ट के बाद प्रदेश के 11 जिलों में स्कूल और कॉलेज बंद रखने का ऐलान कर दिया गया है। केवल किन्नौर जिला ऐसा है जहां स्कूल खुले हैं। चंडीगढ़-मनाली हाईवे और कालका-शिमला नेशनल हाईवे भूस्खलन के कारण बंद पड़े हैं। कुल मिलाकर 793 सड़कें राज्य में बंद हैं, जिससे यातायात पूरी तरह प्रभावित हुआ है।
मंडी जिले में पद्धर के पास उरला क्षेत्र में एचआरटीसी की एक बस रात करीब 11 बजे मलबे की चपेट में आ गई। यह बस पालमपुर से शिमला जा रही थी। बस फंस जाने के बाद प्रशासन और स्थानीय लोगों ने राहत कार्य शुरू कर यात्रियों को सुरक्षित निकाला। सिरमौर जिले के शाईमी गांव में भीषण भूस्खलन के दौरान पहाड़ से गिरी चट्टानें एक मकान पर गिरीं। इस हादसे में एक महिला की मौत हो गई, जबकि उसका पति और बेटा बाल-बाल बच गए। अचानक हुए इस हादसे ने पूरे क्षेत्र में दहशत का माहौल पैदा कर दिया।
मौसम विभाग ने ऊना, हमीरपुर, बिलासपुर, कांगड़ा, मंडी और सिरमौर के लिए भारी बारिश का रेड अलर्ट जारी किया है। वहीं, चंबा, कुल्लू और शिमला में ऑरेंज अलर्ट घोषित किया गया है। कुल्लू जिले में 1 और 2 सितम्बर को सभी शैक्षणिक संस्थान बंद रखने के आदेश दिए गए हैं, जबकि आनी और निरमंड में 1 सितम्बर को स्कूल बंद रहेंगे।
शिमला जिले में प्रशासन ने 2 सितम्बर को सभी स्कूल बंद रखने का आदेश दिया है, लेकिन छात्रों की पढ़ाई प्रभावित न हो इसके लिए शिक्षकों को ऑनलाइन कक्षाएं संचालित करने के निर्देश दिए गए हैं। सिरमौर जिले के नौहराधार क्षेत्र के बारा खनारा प्राथमिक विद्यालय में बारिश का मलबा घुस गया है जिससे स्कूल परिसर में पानी भर गया है।
शिमला जिले के मशोबरा और जुब्बल-कोटखाई क्षेत्र में हुए भूस्खलन में चार लोगों की मौत हो गई। इस दुखद घटना पर उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने शोक व्यक्त किया और प्रभावित परिवारों के प्रति संवेदना प्रकट की। शिमला के कोटखाई से एक वीडियो सामने आया जिसमें लैंडस्लाइड के दौरान देवदार के पेड़ घरों पर गिरते दिखे। समय रहते लोग बाहर निकल गए जिससे बड़ा हादसा टल गया।
शिमला के जुन्गा क्षेत्र में सोमवार को भूस्खलन से एक मकान जमींदोज हो गया और पिता-बेटी समेत पालतू मवेशियों की मौत हो गई। मृतक की पहचान वीरेंद्र कुमार और उनकी 10 वर्षीय बेटी के रूप में हुई है। कोटखाई में भी भूस्खलन से एक वृद्ध महिला की मौत हो गई। रोहडू के दयार मोली गांव में खतरे की स्थिति के चलते चार परिवारों को सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट किया गया।
चंबा जिले में भारी बारिश के कारण बड़ी संख्या में श्रद्धालु भरमौर में फंसे हुए थे। मणिमहेश यात्रा के दौरान हाईवे बंद होने से स्थिति और बिगड़ गई। हालांकि अब तक करीब 15 हजार श्रद्धालु सुरक्षित बाहर निकाले जा चुके हैं और शेष को निकालने का काम जारी है। चंबा जिले में जल शक्ति विभाग को 100 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है और 487 जल आपूर्ति योजनाएं प्रभावित हुई हैं, जिनमें से 394 को आंशिक रूप से बहाल कर दिया गया है। शेष योजनाओं को बहाल करने के लिए तेजी से कार्य हो रहा है।
पिछले 24 घंटों में कई इलाकों में रिकॉर्ड तोड़ बारिश हुई है। बिलासपुर के नंगल डैम में 220 एमएम, रायपुर मैदान में 215 एमएम, नैना देवी में 192 एमएम, सोलन में 187 एमएम और नाहन में 177.8 एमएम वर्षा दर्ज की गई। सिरमौर के जैतों बैराज में 170 एमएम, कसौली में 135 एमएम, ददाहू में 134 एमएम, मलरौं में 132 एमएम और रोहड़ू में 130 एमएम बारिश हुई। इसके अलावा धर्मपुर, ऊना, शिमला, पांवटा साहिब, कंडाघाट और जुब्बड़हट्टी सहित अन्य क्षेत्रों में भी भारी वर्षा दर्ज की गई।
हिमाचल प्रदेश के सामने इस वक्त हालात बेहद गंभीर हैं। लगातार हो रही बारिश और भूस्खलन ने लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। सड़कें, पुल, स्कूल और जल आपूर्ति जैसी बुनियादी व्यवस्थाएं बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। सरकार और प्रशासन राहत एवं बचाव कार्यों में जुटे हैं, लेकिन मौसम की बेरुखी ने आपदा की तस्वीर को और भयावह बना दिया है। प्रदेश के लोगों को इस मुश्किल घड़ी का सामना संयम और धैर्य के साथ करना होगा।