जम्मू-कश्मीर में बादल फटना और भूस्खलन: अगस्त 2025 में तबाही का महीना

Sat 30-Aug-2025,03:09 PM IST +05:30

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जम्मू-कश्मीर में बादल फटना और भूस्खलन: अगस्त 2025 में तबाही का महीना Jammu Kashmir cloudburst 2025
  • जम्मू-कश्मीर में अगस्त 2025 में बादल फटना और भूस्खलन से भारी तबाही।

  • रामबन, रियासी और किश्तवाड़ में फ्लैश फ्लड से 36 से अधिक मौतें।

  • प्रशासन ने राहत-बचाव कार्य और अस्थायी राहत केंद्र शुरू किए।

Jammu and Kashmir / Jammu :

Jammu / जम्मू-कश्मीर एक बार फिर से प्राकृतिक आपदा की चपेट में है। रामबन जिले के राजगढ़ इलाके में भारी बारिश और ऊपरी इलाकों में बादल फटने से फ्लैश फ्लड जैसी स्थिति पैदा हो गई है। इस घटना में अब तक चार लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, जबकि चार लोग लापता बताए जा रहे हैं। राहत और बचाव कार्य युद्ध स्तर पर चलाया जा रहा है।

वहीं रियासी जिले के महौर क्षेत्र में लगातार भारी बारिश से भूस्खलन की घटनाएं सामने आई हैं। शुरुआती रिपोर्ट्स के अनुसार मलबे से सात शव बरामद किए जा चुके हैं, जबकि कई लोगों के दबे होने की आशंका है। प्रशासन ने तुरंत राहत-बचाव अभियान शुरू कर दिया है और प्रभावित परिवारों को अस्थायी राहत केंद्रों में भेजा जा रहा है। स्थानीय प्रशासन का कहना है कि जरूरत पड़ने पर अतिरिक्त टीमें भी भेजी जाएंगी।

लगातार हो रही बारिश से नदी-नालों का जलस्तर तेजी से बढ़ गया है, जिससे बाढ़ जैसी स्थिति बन रही है। कई मकानों को नुकसान पहुंचा है और कुछ घर पूरी तरह से पानी में बह गए। प्रशासन ने लोगों को सतर्क रहने की अपील की है। रेस्क्यू टीमें लगातार सर्च ऑपरेशन चला रही हैं ताकि लापता लोगों को ढूंढा जा सके।

अगस्त 2025 जम्मू-कश्मीर के लिए तबाही का महीना साबित हो रहा है। बीते एक हफ्ते में भारी बारिश और आपदाओं ने जम्मू, सांबा, कठुआ, रियासी और डोडा जिलों में व्यापक नुकसान पहुंचाया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस दौरान अब तक 36 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। सिर्फ रियासी और डोडा जिलों में ही कम से कम नौ लोगों की मौत हुई है।

इससे पहले, 14 अगस्त को किश्तवाड़ जिले के चिशोटी गांव में बादल फटने की भयंकर घटना हुई थी। समुद्र तल से 9,000 फीट की ऊंचाई पर बसे इस गांव में क्लाउडबर्स्ट से तबाही मच गई। कम से कम 60 लोगों की मौत हुई, जबकि कई लोग घायल और लापता बताए गए। तेज फ्लैश फ्लड्स ने श्रद्धालुओं के कैंप, मकान और पुल बहा दिए। आश्चर्य की बात यह रही कि सामान्य बारिश दर्ज की गई थी, लेकिन सीमित क्षेत्र में अचानक पानी का सैलाब आने से तबाही मच गई।

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, जब किसी छोटे क्षेत्र (20-30 वर्ग किलोमीटर) में एक घंटे में 10 सेंटीमीटर या उससे अधिक बारिश होती है तो उसे क्लाउडबर्स्ट कहा जाता है। यह घटना अक्सर पहाड़ी इलाकों में होती है। वैज्ञानिक बताते हैं कि मॉनसून की नमी से भरी हवाएं जब पहाड़ों से टकराकर ऊपर उठती हैं, तो ठंडी होकर घने बादल बना लेती हैं। इनमें जब पानी का भार असहनीय हो जाता है, तो अचानक भारी बारिश होती है और मिनटों में फ्लैश फ्लड, लैंडस्लाइड और मडफ्लो जैसी स्थितियां पैदा हो जाती हैं।

विशेषज्ञ मानते हैं कि क्लाइमेट चेंज की वजह से इस तरह की घटनाओं की संख्या और तीव्रता दोनों बढ़ रही हैं। बदलते मौसम पैटर्न और अत्यधिक वर्षा से पहाड़ी राज्य लगातार खतरे का सामना कर रहे हैं। अगस्त 2025 की घटनाएँ इस बात का उदाहरण हैं कि प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए बेहतर पूर्वानुमान प्रणाली और आपदा प्रबंधन की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक बढ़ गई है।