संभल हिंसा पर आयोग की 450 पन्नों की रिपोर्ट सीएम योगी को सौंपी
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Sambhal violence report
संभल हिंसा पर आयोग की 450 पन्नों की रिपोर्ट सीएम योगी को सौंपी.
78 सालों में हिंदू जनसंख्या 45% से घटकर 15-20% रह गई.
24 नवंबर, 2024 की जामा मस्जिद हिंसा में 4 लोगों की मौत.
Sambhal / संभल हिंसा की जांच के लिए गठित न्यायिक आयोग ने अपनी 450 पन्नों की रिपोर्ट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंप दी है। रिपोर्ट में 24 नवंबर, 2024 को जामा मस्जिद सर्वे के दौरान हुई हिंसा के अलावा संभल में समय-समय पर हुए दंगों का भी विस्तृत उल्लेख किया गया है। आयोग के अनुसार, लगातार दंगों के कारण शहर की हिंदू आबादी में भारी गिरावट दर्ज की गई। आज़ादी के समय नगर पालिका में हिंदुओं की हिस्सेदारी 45 प्रतिशत थी, जो अब घटकर मात्र 15-20 प्रतिशत रह गई है। यानी, पिछले 78 वर्षों में करीब 30 प्रतिशत हिंदू आबादी का पलायन हो चुका है।
पिछले वर्ष जामा मस्जिद सर्वे को लेकर उपजे विवाद के बाद हिंसा भड़क उठी थी। इसे लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस देवेंद्र कुमार अरोड़ा, रिटायर्ड IAS अमित मोहन और रिटायर्ड IPS अरविंद कुमार जैन की अध्यक्षता में आयोग गठित किया गया था। आयोग ने अपनी गोपनीय रिपोर्ट में कहा है कि हिंसा पूर्व नियोजित साजिश का परिणाम थी। प्रशासन ने मस्जिद प्रबंधन को सर्वे की सूचना दी थी, वहीं से जानकारी लीक हुई और भीड़ जुटने लगी। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि संभल का इलाका अवैध हथियारों और नशीले पदार्थों का गढ़ बन चुका है।
19 नवंबर, 2024 को संभल कोर्ट ने हिंदू पक्ष की याचिका पर मस्जिद के अंदर सर्वे का आदेश दिया था। कोर्ट ने एडवोकेट कमिश्नर रमेश सिंह राघव को नियुक्त किया। 19 नवंबर की शाम को सर्वे प्रारंभ हुआ लेकिन अधूरा रह गया। 24 नवंबर को जब टीम दोबारा सर्वे के लिए पहुंची, तो बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा हो गए और पुलिस पर पथराव करने लगे। स्थिति बेकाबू होने पर हिंसा फैल गई, जिसमें गोली लगने से चार लोगों की मौत हो गई।
घटना के बाद पुलिस ने 79 उपद्रवियों को गिरफ्तार किया था। साथ ही सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क, सपा विधायक इकबाल महमूद के बेटे सुहैल इकबाल समेत 40 नामजद और 2750 अज्ञात लोगों पर FIR दर्ज की गई। SIT ने 18 जून को 1128 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की, जिसमें 23 लोगों को आरोपी बनाया गया, हालांकि विधायक के बेटे का नाम इसमें शामिल नहीं है।