सूडान दारफुर त्रासदी: भूस्खलन में एक गांव तबाह, 1000 से अधिक लोगों की मौत
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दारफुर में भूस्खलन से तरासिन गांव पूरी तरह तबाह।
1000 से ज्यादा लोगों की मौत, केवल एक व्यक्ति जीवित।
गृहयुद्ध और अकाल से जूझ रहे सूडान में मानवीय संकट गहराया।
Darfur / सूडान के पश्चिमी क्षेत्र दारफुर से एक दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है। मर्राह पर्वत क्षेत्र के तरासिन गांव में हुए विनाशकारी भूस्खलन ने पूरे गांव को निगल लिया। इस घटना में कम से कम 1000 लोगों की मौत हो गई है, जबकि केवल एक व्यक्ति के जीवित बचने की पुष्टि हुई है। यह त्रासदी सूडान के हालिया इतिहास की सबसे भयंकर प्राकृतिक आपदाओं में गिनी जा रही है।
कैसे हुआ हादसा?
सूडान लिबरेशन मूवमेंट-आर्मी (SLM-A) ने अपने बयान में बताया कि यह भूस्खलन अगस्त के अंत में हुई कई दिनों की लगातार भारी बारिश के बाद रविवार को हुआ। भारी बारिश के कारण मर्राह पर्वतों की ऊँचाई से मिट्टी और चट्टानें खिसककर नीचे बसे तरासिन गांव पर टूट पड़ीं। गांव के सभी मकान और बस्तियां चंद मिनटों में मलबे में दब गईं। समूह के अनुसार गांव के लगभग सभी लोग मारे गए और अब शवों को निकालना भी बेहद मुश्किल हो रहा है।
गांव हुआ जमींदोज
SLM-A ने बताया कि तरासिन गांव पूरी तरह से जमींदोज हो चुका है। गांव का कोई भी ढांचा अब शेष नहीं है। एकमात्र जीवित बचे व्यक्ति ने इस त्रासदी की भयावहता का वर्णन करते हुए कहा कि पूरा गांव मिट्टी और पत्थरों के नीचे दफन हो गया। मर्राह माउंटेंस न्यूज़ एजेंसी द्वारा साझा की गई फुटेज में पर्वतों के बीच समतल क्षेत्र में लोग मलबे के बीच लाशें निकालने की कोशिश करते दिखाई दिए।
अंतरराष्ट्रीय मदद की गुहार
सूडान लिबरेशन मूवमेंट-आर्मी ने संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय सहायता समूहों से अपील की है कि वे शवों को निकालने और राहत कार्य में मदद करें। लेकिन चुनौती यह है कि मर्राह पर्वत और दारफुर क्षेत्र का अधिकांश हिस्सा वर्तमान में गृहयुद्ध और सुरक्षा प्रतिबंधों के कारण लगभग दुर्गम हो चुका है।
गृहयुद्ध के बीच प्राकृतिक आपदा
यह आपदा ऐसे समय आई है जब सूडान पहले से ही भीषण गृहयुद्ध का सामना कर रहा है। अप्रैल 2023 में सूडान की सेना और अर्द्धसैनिक बल रैपिड सपोर्ट फोर्सेज (RSF) के बीच छिड़े संघर्ष ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है। राजधानी खार्तुम से लेकर दारफुर और कोर्दोफन क्षेत्रों तक हिंसा और विनाश जारी है। इस गृहयुद्ध में अब तक 40 हजार से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और 1.4 करोड़ से ज्यादा लोग अपने घर छोड़ने को मजबूर हो गए हैं।
मानवीय संकट गहराया
संयुक्त राष्ट्र ने पहले ही चेतावनी दी थी कि सूडान गंभीर मानवीय संकट से जूझ रहा है। खाद्य आपूर्ति रुक जाने और खेत बर्बाद होने के कारण अकाल जैसी स्थिति बन गई है। कई क्षेत्रों में लोग जिंदा रहने के लिए घास तक खाने को मजबूर हैं। अब इस भूस्खलन ने मानवीय त्रासदी को और गहरा कर दिया है।
मर्राह पर्वत का भूगोल और संघर्ष
मर्राह पर्वत एक ऊबड़-खाबड़ ज्वालामुखी शृंखला है, जो अल-फशर शहर से लगभग 160 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम तक फैली हुई है। यह इलाका लंबे समय से विद्रोही गतिविधियों और संघर्ष का केंद्र रहा है। SLM-A, दारफुर और कोर्दोफन क्षेत्रों में सक्रिय कई विद्रोही समूहों में से एक है, जिसने मौजूदा युद्ध में किसी भी पक्ष का समर्थन नहीं किया है।
निष्कर्ष
सूडान में दारफुर का यह भूस्खलन न केवल एक प्राकृतिक आपदा है बल्कि यह उस मानवीय त्रासदी की गहराई को भी उजागर करता है, जिसमें यह अफ्रीकी देश इस समय फंसा हुआ है। गृहयुद्ध, अकाल और अब प्राकृतिक आपदाओं के कारण सूडान के लोग लगातार मौत और तबाही का सामना कर रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय समुदाय की मदद के बिना इस संकट से बाहर निकलना लगभग असंभव दिख रहा है।