Rio de Janeiro / Nova Friburgo : Brics / 6-7 जुलाई 2025 को ब्राजील की राजधानी रियो डी जेनेरियो में आयोजित 17वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सक्रिय रूप से भाग लिया। इस शिखर सम्मेलन में वैश्विक शासन, शांति और सुरक्षा, बहुपक्षीय सहयोग, वैश्विक दक्षिण की भूमिका, विकास की प्राथमिकताएं और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) जैसे समसामयिक मुद्दों पर गहन चर्चा हुई।
प्रधानमंत्री मोदी ने उद्घाटन सत्र में "वैश्विक शासन में सुधार तथा शांति एवं सुरक्षा" विषय पर विचार रखे। उन्होंने स्पष्ट किया कि 21वीं सदी की चुनौतियों का समाधान 20वीं सदी की वैश्विक संस्थाएं नहीं कर सकतीं। इसलिए उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक और विश्व व्यापार संगठन जैसे संगठनों में तत्काल सुधार की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने वैश्विक दक्षिण की आवाज़ बुलंद करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता दोहराई और विकासशील देशों को जलवायु परिवर्तन से निपटने हेतु वित्तीय सहयोग और तकनीकी पहुंच सुनिश्चित करने की जरूरत को रेखांकित किया।
प्रधानमंत्री ने आतंकवाद को मानवता के लिए गंभीर खतरा बताते हुए, अप्रैल 2025 में पहलगाम आतंकी हमले का विशेष उल्लेख किया। उन्होंने इसे केवल भारत पर नहीं, बल्कि पूरी मानवता पर हमला करार दिया। मोदी ने कहा कि आतंकवादियों को आश्रय, वित्तीय सहायता या समर्थन देने वालों के खिलाफ कठोर कदम उठाए जाने चाहिए और इस संबंध में कोई दोहरा मापदंड नहीं अपनाया जाना चाहिए। उन्होंने BRICS नेताओं को इस आतंकी हमले की निंदा करने और वैश्विक आतंकवाद विरोधी प्रयासों को मजबूत करने की दिशा में सहयोग के लिए धन्यवाद दिया।
"बहुपक्षवाद, आर्थिक-वित्तीय मामले और कृत्रिम बुद्धिमत्ता" विषयक सत्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि BRICS की ताकत इसकी विविधता और बहुध्रुवीय दृष्टिकोण में निहित है। उन्होंने चार महत्वपूर्ण सुझाव रखे:
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BRICS न्यू डेवलपमेंट बैंक को परियोजनाओं की मंजूरी में मांग आधारित और दीर्घकालिक स्थिरता के सिद्धांतों का पालन करना चाहिए।
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समूह को एक विज्ञान एवं अनुसंधान भंडार की स्थापना पर विचार करना चाहिए, जिससे वैश्विक दक्षिण को लाभ मिले।
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महत्वपूर्ण खनिजों की आपूर्ति श्रृंखला को सुरक्षित और लचीला बनाना चाहिए।
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समूह को जिम्मेदार AI के विकास के लिए कार्य करना चाहिए, जिससे नवाचार को बढ़ावा मिले और साथ ही AI शासन की चिंताओं को भी संबोधित किया जा सके।
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि भारत ने हमेशा संघर्षों के समाधान के लिए संवाद और कूटनीति का समर्थन किया है – फिर चाहे वह पश्चिम एशिया हो या यूरोप। भारत ऐसे प्रयासों में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए तैयार है।
सम्मेलन के अंत में ‘रियो डी जेनेरियो घोषणा’ को सभी सदस्य देशों ने स्वीकार किया, जिससे यह सम्मेलन एक महत्वपूर्ण वैश्विक मील का पत्थर बन गया। प्रधानमंत्री मोदी के विचारों ने भारत की भूमिका को एक उत्तरदायी, सक्रिय और निर्णायक वैश्विक नेता के रूप में स्थापित किया।