पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में तेजी, तरनतारन और अमृतसर सबसे प्रभावित जिले

Sun 26-Oct-2025,08:51 PM IST +05:30

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पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में तेजी, तरनतारन और अमृतसर सबसे प्रभावित जिले Punjab stubble burning 2025
  • पंजाब में पराली जलाने के 621 मामले दर्ज, तरनतारन सबसे प्रभावित।

  • प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 241 एफआईआर और 276 रेड एंट्री की कार्रवाई की।

  • किसानों को जागरूक करने के प्रयास जारी, विशेषज्ञों ने आर्थिक मदद की जरूरत बताई।

Punjab / Amritsar :

Punjab / पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में एक बार फिर से तेजी देखने को मिल रही है। शनिवार को राज्यभर में 60 नए मामले दर्ज किए गए, जिसके बाद 15 सितंबर से अब तक कुल मामलों की संख्या बढ़कर 621 हो गई है। चिंताजनक बात यह है कि इनमें से आधे से अधिक यानी 380 मामले केवल पिछले सात दिनों में ही सामने आए हैं। पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (PPCB) के ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, सीमावर्ती जिला तरनतारन पराली जलाने से सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र बन गया है। यहां शनिवार को 21 नई घटनाओं के साथ कुल मामलों की संख्या 196 तक पहुंच गई है। इसके बाद अमृतसर का स्थान है, जहां अब तक 144 मामले दर्ज किए जा चुके हैं।

माझा क्षेत्र के इन जिलों के साथ-साथ मालवा बेल्ट में भी पराली जलाने की घटनाएं बढ़ने लगी हैं। फिरोजपुर में अब तक 67, पटियाला में 35 और संगरूर में 28 मामले सामने आए हैं। हालांकि, यह आंकड़ा पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में अभी भी काफी कम है। पिछले साल इसी समय तक 1,749 मामले दर्ज किए गए थे। अधिकारियों के अनुसार, धान की कटाई के बढ़ने के साथ ही आने वाले हफ्तों में स्थिति और खराब हो सकती है, क्योंकि अधिकतर किसान खेतों को खाली करने की जल्दी में पराली जलाने का सहारा लेते हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि इस वर्ष की शुरुआत में हुई बेमौसम बारिश के कारण धान की कटाई में देरी हुई, जिससे पराली जलाने का सिलसिला थोड़ा पीछे खिसक गया। बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार, अब तक 31.72 लाख हेक्टेयर धान की फसल में से केवल 52.28 प्रतिशत की ही कटाई हो पाई है। जैसे-जैसे कटाई आगे बढ़ेगी, पराली जलाने की घटनाओं में और वृद्धि की संभावना जताई जा रही है।

पराली जलाने पर नियंत्रण पाने के लिए पंजाब पुलिस और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड लगातार सख्त कदम उठा रहे हैं। अब तक नियमों का उल्लंघन करने वाले किसानों के खिलाफ 241 एफआईआर दर्ज की गई हैं, जिनमें से सबसे ज्यादा 68 एफआईआर अकेले तरनतारन जिले में दर्ज की गई हैं। इसके अलावा, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 276 किसानों के भूमि रिकॉर्ड में रेड एंट्री की है। इस कार्रवाई के तहत संबंधित किसान न तो कृषि ऋण प्राप्त कर पाएंगे और न ही अपनी जमीन बेच सकेंगे।

बोर्ड ने 296 मामलों में 15.15 लाख रुपये का पर्यावरणीय मुआवजा भी लगाया है, जिसमें से 10.02 लाख रुपये की वसूली पहले ही की जा चुकी है। साथ ही, 338 नोडल अधिकारियों को लापरवाही के कारण कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं।

सरकार की ओर से किसानों को पराली न जलाने के लिए जागरूक किया जा रहा है और वैकल्पिक उपाय अपनाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत सहायता और वैकल्पिक समाधान नहीं दिए जाते, तब तक इस समस्या का स्थायी समाधान कठिन बना रहेगा।