सोमवार को ही अमृतसर जिले से तीन, कपूरथला से एक और तरनतारन से दो नए मामले दर्ज हुए। सबसे अधिक घटनाएं अमृतसर जिले में हुई हैं, जहां अकेले 38 मामले सामने आए हैं। इसके अलावा, बरनाला से दो, बठिंडा से एक, फिरोजपुर, होशियारपुर, जालंधर, कपूरथला, संगरूर, एसएएस नगर और मालेरकोटला से एक-एक, पटियाला और तरनतारन से सात-सात मामले दर्ज किए गए हैं।
सरकार ने इन घटनाओं पर सख्ती दिखाते हुए कार्रवाई भी शुरू कर दी है। अब तक 27 मामलों में कुल 1 लाख 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है, जिसमें से 50 हजार रुपये की वसूली भी कर ली गई है। वहीं, पुलिस ने 14 मामलों में भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 223 के तहत एफआईआर दर्ज की है।
विशेषज्ञों का कहना है कि किसानों के पास धान की कटाई और गेहूं की बुआई के बीच बहुत कम समय होता है। ऐसे में कुछ किसान पराली को खेत से जल्दी साफ करने के लिए आग लगाने का सहारा लेते हैं। हालांकि, इसका दुष्प्रभाव न सिर्फ पंजाब पर बल्कि दिल्ली-एनसीआर समेत पूरे उत्तरी भारत पर पड़ता है। अक्टूबर और नवंबर के महीनों में दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ जाता है और इसकी एक बड़ी वजह पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं को माना जाता है।
आंकड़ों पर नज़र डालें तो वर्ष 2023 में पंजाब में पराली जलाने की 36,663 घटनाएं दर्ज की गई थीं। वहीं, 2024 में यह संख्या घटकर 10,909 रह गई थी। यानी एक साल में 70 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई थी। हालांकि, इस साल के शुरुआती आंकड़े बताते हैं कि समस्या अभी भी पूरी तरह खत्म नहीं हुई है।
सरकार किसानों को पराली प्रबंधन के लिए प्रोत्साहित कर रही है, लेकिन चुनौतियां बरकरार हैं। अब देखना यह होगा कि आने वाले दिनों में प्रशासन की सख्ती और किसानों की जागरूकता मिलकर इस गंभीर समस्या पर कितना नियंत्रण कर पाती है।