छत्तीसगढ़ में ऐतिहासिक घटना: 208 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण, उत्तर बस्तर में लाल आतंक का अंत
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Chhattisgarh Naxalite surrender 2025
208 नक्सलियों ने किया सामूहिक आत्मसमर्पण.
उत्तर बस्तर नक्सल प्रभाव से लगभग मुक्त.
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने बताया ऐतिहासिक दिन.
Bastar / छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित दंडकारण्य क्षेत्र से एक ऐतिहासिक खबर सामने आई है। शुक्रवार को कुल 208 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में लौटने का फैसला किया। आत्मसमर्पण करने वालों में 110 महिलाएं और 98 पुरुष शामिल हैं। इस सामूहिक आत्मसमर्पण को प्रदेश के इतिहास में नक्सल उन्मूलन की दिशा में अब तक की सबसे बड़ी सफलता माना जा रहा है। अधिकारियों ने बताया कि आत्मसमर्पण करने वाले सभी नक्सलियों को सरकार की पुनर्वास योजना का लाभ मिलेगा ताकि वे समाज में फिर से सम्मानपूर्वक जीवन शुरू कर सकें।
इन नक्सलियों ने आत्मसमर्पण के दौरान कुल 153 हथियार भी अधिकारियों को सौंपे। जब्त किए गए हथियारों में 19 एके-47 राइफल, 17 एसएलआर राइफल, 23 इंसास राइफल, 1 इंसास एलएमजी, 36 .303 राइफल, 4 कार्बाइन, 11 बीजीएल लॉन्चर, 41 बारह बोर या सिंगल शॉट गन और 1 पिस्तौल शामिल हैं। सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि इतने बड़े पैमाने पर हथियारों का जमा होना नक्सल संगठन की कमजोर होती पकड़ का स्पष्ट संकेत है। यह आत्मसमर्पण न केवल उत्तर बस्तर बल्कि पूरे राज्य के लिए शांति स्थापना की दिशा में बड़ा कदम साबित होगा।
अधिकारियों का कहना है कि इस आत्मसमर्पण के बाद अबूझमाड़ का अधिकांश इलाका नक्सल प्रभाव से मुक्त हो चुका है। अब केवल दक्षिण बस्तर ही वह क्षेत्र बचा है जहां कुछ नक्सली गुट अभी भी सक्रिय हैं। सरकार और सुरक्षा बलों ने अब अपने अभियान का अगला चरण दक्षिण बस्तर पर केंद्रित करने की घोषणा की है। उद्देश्य है — छत्तीसगढ़ को पूरी तरह से लाल आतंक से मुक्त कराना और विकास की नई धारा को हर गांव तक पहुंचाना।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इस अवसर पर कहा, “यह न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे देश के लिए ऐतिहासिक दिन है। आज बहुत बड़ी संख्या में नक्सली संविधान पर विश्वास जताते हुए विकास की मुख्यधारा में शामिल हो रहे हैं। उनका स्वागत है।” मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि सरकार आत्मसमर्पण करने वाले सभी नक्सलियों को पुनर्वास और रोजगार के अवसर उपलब्ध कराएगी, ताकि वे अपने परिवारों के साथ सामान्य जीवन व्यतीत कर सकें।
इस सामूहिक आत्मसमर्पण ने यह साबित कर दिया है कि नक्सलवाद अब अपनी अंतिम अवस्था में है। उत्तर बस्तर में लाल आतंक के लगभग समाप्त होने के बाद अब उम्मीद है कि दक्षिणी इलाकों में भी जल्द ही शांति और विकास का नया दौर शुरू होगा।