दीपावली को जबलपुर में जब दीपमालिका पर्व कहा गया
ताजा खबरों से अपडेट रहने के लिए हमारे Whatsapp Channel को Join करें |

जबलपुर में दीपावली को “दीपमालिका पर्व” के रूप में मनाने की परंपरा.
कलचुरि वंश के युवराजदेव प्रथम व नोहला देवी से दीप प्रज्वलन की शुरुआत.
हिंदू संस्कृति में दीपावली का आध्यात्मिक और ऐतिहासिक महत्व.
Jabalpur / "ॐअसतो मा सद्गमय, तमसो मा
ज्योतिर्गमय,मृत्योर्माऽमृतं गमय।"
"महाकवि राजशेखर ने दीपावली पर्व को जबलपुर में दीपमालिका पर्व के नाम से भी अभिहित किया है।"
"सूर्य संवेदना पुष्पैः, दीप्ति कारुण्यगंधने,
लब्ध्वा शुभम् नववर्षेअस्मिन् कुर्यात्सरवस्व मंगलम्,
शुभम् करोति कल्याणम् आरोग्यम् धन संपदा,
शत्रु-बुद्धि विनाशायः, दीपः ज्योति नमोऽस्तुते"
आपको सपरिवार दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें।
- आज दीपावली को आदिशक्ति का माँ लक्ष्मी के रुप में अवतरण हुआ और उन्होंने भगवान् विष्णु का वरण किया था। दीप प्रज्वलित हुए।
- भगवान् श्रीराम 14 वर्ष के उपरांत अयोध्या लौटे और दीपावली के महान् पर्व का शुभारंभ हुआ।
- भगवान् नृसिंह ने हिरण्यकश्यप का वध कर असुरों से मुक्ति दिलाई। घी के दीप प्रज्वलित हुए।
- पांडव अज्ञातवास पूर्ण कर आज हस्तिनापुर लौटे।
- भगवान् महावीर का निर्वाणोत्सव भी है।
भारत में दीपावली को "दीपमालिका" का नाम जबलपुर से मिला है यहाँ कलचुरि वंश के युवराजदेव प्रथम और उनकी पत्नी नोहला देवी ने श्रृंखलाबद्ध विभिन्न आकृतियाँ में दीप प्रज्वलित करने की परंपरा आरंभ की जिसे महाकवि राजशेखर ने अपनी महान् पुस्तक "काव्य मीमांसा" में "दीपमालिका" पर्व के नाम से दर्ज किया।
श्रीराम चौदह वर्ष बाद घर आ गये हैं। किसी भी कारण से जो वनवास गये हों आज घर वापस आ जायें, तभी तो दीप जलेंगे, तभी तो दीपावली का अर्थ सार्थक होगा।
अरे छोड़िए न अहम को..वो नहीं आते तो आप बुला लें..वो नहीं बुलाते तो आप चले जायें। दीपावली के पावन पर्व से भारत में सुख और समृद्धि बनी रहे, इसलिए हिंदुत्व के लिए शुभ दीपावली कहें। कृपया हैप्पी दिवाली अथवा दिवाली मुबारक हो ऐंसे संदेश बिल्कुल ना भेजें। जय श्रीराम
डॉ. आनंद सिंह राणा,
श्रीजानकीरमण महाविद्यालय एवं इतिहास संकलन समिति महाकौशल प्रांत