सातारा की डॉक्टर संपदा मुंडे की आत्महत्या: पुलिस अधिकारियों पर बलात्कार और उत्पीड़न के गंभीर आरोप, SIT जांच की मांग तेज

Sun 26-Oct-2025,10:47 AM IST +05:30

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सातारा की डॉक्टर संपदा मुंडे की आत्महत्या: पुलिस अधिकारियों पर बलात्कार और उत्पीड़न के गंभीर आरोप, SIT जांच की मांग तेज Dr Sampada Munde suicide case
  • डॉक्टर संपदा मुंडे ने हाथ पर लिखे संदेश में लगाए गंभीर आरोप।

  • परिवार ने हत्या या आत्महत्या दोनों एंगल से जांच की मांग की।

  • SIT में महिला अधिकारियों को शामिल करने और दोषियों को फांसी की मांग।

Maharashtra / Satara :

Satara / सातारा जिले के फलटण उपजिला अस्पताल में ड्यूटी पर तैनात एक महिला डॉक्टर ने अपने तलहात पर संदेश लिखकर आत्महत्या कर ली। यह घटना पूरे महाराष्ट्र में सनसनी का कारण बन गई है। मृतका डॉ. संपदा मुंडे ने अपने हाथ पर आरोपियों के नाम और अपने साथ हुए अत्याचार का विवरण लिखते हुए अपनी जान दे दी।

जानकारी के अनुसार, डॉक्टर संपदा ने अपने हाथ पर पुलिस अधिकारी गोपाल बदने पर बलात्कार का आरोप लगाया है। उसने लिखा कि उक्त अधिकारी ने चार बार उसके साथ दुष्कर्म किया। इसके अलावा, उसने एक अन्य पुलिस अधिकारी पर शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगाए। डॉ. संपदा गरीब परिवार से थीं। उनके माता-पिता ने कठिन परिस्थितियों में उन्हें पढ़ाकर डॉक्टर बनाया था। मगर पुलिस संरक्षण में रहने वालों के ही अत्याचार ने उन्हें आत्महत्या जैसा कठोर कदम उठाने को मजबूर कर दिया। उनकी मृत्यु के बाद पूरे क्षेत्र में आक्रोश फैल गया है और न्याय की मांग तेज हो गई है। डॉ. संपदा मुंडे ने आत्महत्या से पहले आरोपी पुलिस अधिकारी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन पुलिस विभाग की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई। अब उनकी मौत के बाद परिवार ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि यह केवल आत्महत्या नहीं बल्कि हत्या की साजिश भी हो सकती है।

परिजनों ने मांग की है कि मामले की जांच हत्या या आत्महत्या दोनों पहलुओं से की जाए और आठ दिनों के भीतर एक एसआईटी (विशेष जांच दल) गठित कर जांच शुरू की जाए। संपदा के परिवार का कहना है कि मृतका ने उन्हें बताया था कि पुलिस विभाग के कुछ लोग पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट बदलने का दबाव बना रहे थे और उसे बार-बार परेशान कर रहे थे। उन्होंने आरोप लगाया कि अगर उस समय पुलिस ने उसकी शिकायत को गंभीरता से लिया होता, तो आज वह जिंदा होती। यह मामला अब पूरे महाराष्ट्र में पुलिस तंत्र की जवाबदेही और महिला सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है। संपदा मुंडे प्रकरण में परिवार का कहना है कि जांच केवल एक ही कोण से नहीं, बल्कि उन सभी पहलुओं से की जानी चाहिए जो उन्होंने अपनी शिकायत में पहले दर्ज कराए थे।

परिजनों ने यह भी मांग की है कि मुख्य आरोपी और सह-आरोपी दोनों की सख्ती से पूछताछ होनी चाहिए और दोषी पाए जाने पर उन्हें सबसे कड़ी सजा—फांसी—दी जानी चाहिए। सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी इस घटना को लेकर कड़े शब्दों में प्रतिक्रिया दी है। उनका कहना है कि इस मामले में एसआईटी (विशेष जांच दल) का गठन किया जाना चाहिए ताकि निष्पक्ष और पारदर्शी जांच हो सके। उन्होंने कहा कि अगर एक महिला डॉक्टर, जो समाज की सेवा के लिए समर्पित थी, उसे पुलिस अत्याचार के कारण आत्महत्या करनी पड़े, तो यह सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं बल्कि पूरे सिस्टम की विफलता है।

अब जनता और सामाजिक संगठनों की एक ही मांग है — संपदा मुंडे को न्याय मिले और दोषियों को फांसी दी जाए। परिजनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि इस मामले की जांच में एसआईटी में महिला अधिकारियों को भी शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने सरकार को आठ दिन की समय-सीमा दी है — अगर इस दौरान एसआईटी का गठन नहीं किया गया तो वे सड़कों पर उतरने और मुख्यमंत्री के आवास के सामने प्रदर्शन करने पर उतर आएंगे। परिवार ने कहा कि यह कदम मजबूरी है, क्योंकि उन्हें अदालती, प्रशासनिक और नैतिक न्याय की उम्मीद इसी सख्त कार्रवाई से ही है। संपदा मुंडे की आत्महत्या के बाद सामने आ रहे चौंकाने वाले खुलासों और परिवार की आशंकाओं ने स्थानीय लोगों में गहरा आक्रोश पैदा कर दिया है।

सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी मांग दोहराई कि जांच न केवल आत्महत्या के एंगल से हो बल्कि पूर्व में दर्ज की गई शिकायतों और आरोपितों के खिलाफ सह-आरोपी सहित विस्तार से चौकसी की जाए। परिवार ने सरकार से अपील की है कि वे त्वरित, निष्पक्ष और पारदर्शी कार्रवाई सुनिश्चित करें ताकि जनता का भरोसा बहाल हो। उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि यदि अपेक्षित कार्रवाई नहीं हुई तो वे कानूनी व शांतिपूर्ण तरीके से अपना अधिकार जताने के लिए मजबूर होंगे।