इस चुनाव में सत्तारूढ़ एनडीए और महागठबंधन के बीच सीधा मुकाबला रहा, जबकि जन सुराज ने भी पहली बार मैदान में उतरकर चर्चा बटोरी। एनडीए में इस बार पाँच दल शामिल थे—बीजेपी और जेडीयू 101–101 सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं, एलजेपी (रामविलास) 29 पर, जबकि आरएलएम और एचएएम 6–6 सीटों पर मैदान में उतरे। दूसरी तरफ महागठबंधन में आरजेडी, कांग्रेस, सीपीआई (एम-एल), सीपीआई और वीआईपी शामिल हैं। इनमें आरजेडी 143 सीटों पर, कांग्रेस 61 पर और लेफ्ट पार्टियाँ कुल 33 सीटों पर चुनाव लड़ रही हैं।
मतदान के बाद जो एग्ज़िट पोल आए हैं, उनमें एनडीए की बढ़त साफ दिखाई दे रही है। मैटराइज़–आईएएनएस ने एनडीए को 147–167 सीटें दी हैं, जबकि महागठबंधन को 70–90 सीटें मिलने का अनुमान है। बीजेपी के लिए 65–73 और जेडीयू के लिए 67–75 सीटें बताई गई हैं। वहीं महागठबंधन के प्रमुख दल आरजेडी के लिए 53–58 सीटों का अनुमान लगाया गया है। चाणक्य स्ट्रैटेजीज़ ने एनडीए को 130–138 सीटें और महागठबंधन को 100–108 सीटें दी हैं। दैनिक भास्कर, पीपल्स पल्स, पीपल्स इनसाइट और पोलस्ट्रैट जैसे प्रमुख सर्वे भी लगभग इसी तरह की तस्वीर पेश कर रहे हैं। पोल डायरी के एग्ज़िट पोल ने तो एनडीए को 184–209 जैसी बड़ी रेंज तक दे दी है, जो बाकी सभी सर्वे से काफी अलग है।
अगर वोट शेयर की बात करें तो कई सर्वे एनडीए को औसतन 48% और महागठबंधन को लगभग 37% वोट मिलने का अनुमान जता रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों में बिहार की राजनीति में जातीय समीकरण, विकास और नेतृत्व सभी प्रमुख मुद्दे रहे हैं और एग्ज़िट पोल के नतीजे इन्हीं पहलुओं के प्रभाव को दर्शाते हैं।
गौर करने वाली बात यह है कि वर्तमान विधानसभा की स्थिति काफी अलग है। अभी बीजेपी के पास 80 विधायक हैं, आरजेडी के 77, जेडीयू के 45 और कांग्रेस के 19 विधायक हैं। अन्य दलों और निर्दलीय सदस्यों की संख्या भी विधानसभा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। 1952 से अब तक बिहार में 17 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं और साल 2005 में तो ऐसी स्थिति बनी थी जब फरवरी में हुए चुनावों के बाद सरकार नहीं बन पाई और अक्टूबर में दोबारा चुनाव कराने पड़े।
चुनाव का इतिहास बताता है कि बिहार में जनता हमेशा बदलाव के प्रति सजग रहती है और एग्ज़िट पोल सिर्फ एक अनुमान भर हैं। असली फैसला 14 नवंबर को मतगणना के बाद सामने आएगा। तब ही यह तय होगा कि क्या एनडीए अपनी सत्ता बरकरार रख पाएगा या महागठबंधन कोई चमत्कार कर दिखाएगा। अभी के लिए पूरा बिहार इंतज़ार की घड़ी में है, और राजनीतिक माहौल पूरे जोश में है।