राजनाथ सिंह: पाकिस्तान को सिंदूर 2.0 से डरना चाहिए
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फिनलैंड ने पाकिस्तान में दूतावास बंद किया, बदलते कूटनीतिक माहौल व सुरक्षा चुनौतियों को रणनीतिक कारण बताया। राजनाथ सिंह ने Operation Sindoor के बाद सीमापार मुस्तैदी का संकेत देते हुए देश को मानसिक रूप से तैयार रहने की चेतावनी दी।
फिनलैंड की वापसी और भारत की सतर्कता ने South Asia में बदलता सुरक्षा–कूटनीति संतुलन रेखांकित किया।
नई दिल्ली / हाल ही में पाकिस्तान में अपना दूतावास बंद करने का ऐलान करने वाले फिनलैंड ने कहा है कि “हमारा ऑपरेटिंग माहौल तेजी से बदल रहा है,” जिससे पाकिस्तान को एक बड़ा कूटनीतिक झटका लगा है। इधर, भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपनी ताज़ा टिप्पणियों में कहा कि जब भारत ने पूर्व में Operation Sindoor में संयम दिखाया, तब भी पाकिस्तान के अड़ियल रवैये ने सीमा पर शांति बहाल नहीं होने दी। उन्होंने लोगों से ‘मानसिक रूप से तैयार’ रहने का आग्रह किया- जिससे ‘ऑपरेशन सिंदूर 2.0’ की अफ़वाहें तेज़ हो गई हैं।
फिनलैंड का फैसला: कूटनीतिक रणनीति का पुनर्संबोधन
फिनलैंड की विदेश मंत्रालय की रणनीतिक समीक्षा के तहत, उसने पाकिस्तान के साथ साथ अफगानिस्तान व म्यांमार में भी अपनी राजनयिक मिशनों को बंद करने का फैसला किया है। बताया जा रहा है कि राजनीतिक अस्थिरता, सीमित वाणिज्यिक-आर्थिक संबंध और बदलते सुरक्षा-परिदृश्य इस निर्णय के प्रमुख कारण हैं। विश्लेषकों के अनुसार, यह कदम पाकिस्तान के लिए एक स्पष्ट संदेश है कि यूरोपीय देश अब उसकी नीति और व्यवहार को लेकर अपनी रणनीति बदल रहे हैं।
भारत का रुख: ‘संयम के बाद भी मुस्तैद’
रक्षा मंत्री ने कहा कि Operation Sindoor ने आतंकवादियों के खिलाफ भारत की शक्ति और आत्मनिर्भरता को विश्व स्तर पर दिखाया। लेकिन, पाकिस्तान की नर्वस स्ट्रैटेजी और सीमापार सुरक्षा चुनौतियों को देखते हुए, उन्होंने “हर स्थिति के लिए मानसिक रूप से तैयार रहने” की चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि mock-drill के दौरान नागरिकों और प्रशासन ने जिस प्रकार संयम व जागरूकता दिखाई है, वह भारत की सुरक्षा गतिशीलता को और मजबूत करता है।
कूटनीति और सुरक्षा: नया डायनैमिक
फिनलैंड का दूतावास बंद करना और भारत की भविष्य की तैयारियों की आशंका- दोनों घटनाएं मिलकर इस क्षेत्र (South Asia– Eurasia) में एक नए कूटनीतिक तथा सामरिक समीकरण का संकेत दे रही हैं। फिनलैंड की वापसी से पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय दोनों दबावों से जूझ सकता है, जबकि भारत का सतर्क रहना और अपनी सुरक्षा तैयारियों को सार्वजनिक रूप से अभिव्यक्त करना न केवल आंतरिक संदेश बल्कि वैश्विक रणनीति भी बनता दिख रहा है।