Siddaramaiah Lobbying Update | कर्नाटक में सत्ता संघर्ष: सीएम की कुर्सी को लेकर खींचतान तेज
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कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद की खींचतान.
डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया में सत्ता संघर्ष.
कांग्रेस हाईकमान जल्द ले सकता है फैसला.
Karnatak / कर्नाटक में सत्ता परिवर्तन की मांग जोर पकड़ चुकी है। डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार की अगुवाई वाले गुट ने ढाई-ढाई साल के फॉर्मूले का हवाला देते हुए बेंगलुरु से दिल्ली तक सक्रिय मोर्चा खोल रखा है। डीके शिवकुमार गुट के कई नेता और विधायक दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं और कांग्रेस हाईकमान पर जल्द फैसला लेने का दबाव बना रहे हैं। वहीं, सीएम सिद्धारमैया भी अपनी कुर्सी बचाने के लिए एक्टिव मोड में आ गए हैं और लॉबिंग शुरू कर दी है। गुरुवार को उन्होंने अपने करीबी नेताओं—गृह मंत्री जी परमेश्वरा, सतीश जारकीहोली, महादेवप्पा, वेंकटेश और विधायक राजन्ना के साथ बैठक की।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा है कि सभी नेताओं से चर्चा कर राहुल गांधी की मौजूदगी में अंतिम फैसला लिया जाएगा। डीके शिवकुमार पिछले कुछ दिनों से राहुल गांधी से संपर्क करने की कोशिश में जुटे थे। इंतजार का संदेश मिलने के बाद शिवकुमार सक्रिय हो गए और अब सोनिया गांधी से मिलने 29 नवंबर को दिल्ली जा सकते हैं।
सीएम सिद्धारमैया के करीबी गृहमंत्री जी परमेश्वर ने कहा कि वे भी सीएम रेस में हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि अंतिम निर्णय कांग्रेस नेतृत्व का ही होगा। साथ ही, उन्होंने कहा कि यदि सत्ता में बदलाव होता है और डीके शिवकुमार मुख्यमंत्री बनते हैं, तो वे उसे स्वीकार करेंगे। कांग्रेस हाईकमान दोनों नेताओं की भूमिका और योगदान का आकलन करने के बाद ही कोई निर्णय लेगा।
एनडीटीवी की रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि कांग्रेस हाईकमान 1 दिसंबर से पहले कर्नाटक में बड़ा फैसला ले सकता है। इसके लिए मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी की बैठक भी आने वाले एक-दो दिनों में संभव है। संसद का शीतकालीन सत्र 1 दिसंबर से शुरू हो रहा है और पार्टी इस मुद्दे को उससे पहले सुलझाना चाहेगी।
कांग्रेस सरकार के पांच साल के कार्यकाल के आधे पड़ाव पर पहुंचने के बाद सत्ता साझा करने और मुख्यमंत्री पद को लेकर खींचतान तेज हो गई है। 2023 में सिद्धारमैया और शिवकुमार के बीच कथित 'सत्ता साझेदारी' समझौते का दावा किया गया था। हालांकि शिवकुमार ने कहा कि वे इस पर सार्वजनिक तौर पर चर्चा नहीं करना चाहते, क्योंकि यह पार्टी में कुछ नेताओं के बीच एक 'गुप्त समझौता' है। वहीं, सिद्धारमैया ने हाल ही में स्पष्ट किया कि वह पूरे पांच साल के कार्यकाल के लिए मुख्यमंत्री बने रहेंगे और राज्य का बजट पेश करना जारी रखेंगे।
कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद को लेकर चल रही यह खींचतान कांग्रेस के भीतर शक्ति संतुलन और आगामी राजनीतिक फैसलों पर बड़ा असर डाल सकती है।