AI युग में भारत के मीडिया-मनोरंजन क्षेत्र में तेज़ वृद्धि की अपार संभावनाएँ
ताजा खबरों से अपडेट रहने के लिए हमारे Whatsapp Channel को Join करें |
एआई की चुनौतियों के बावजूद भारत का मीडिया और मनोरंजन क्षेत्र तेज़ी से आगे बढ़ सकता है, जिसमें भारतीय कहानियों को वैश्विक पहुंच दिलाना प्रमुख लक्ष्य है।
सरकार ने आईआईसीटी के माध्यम से कौशल अंतर को दूर करते हुए रचनात्मक अर्थव्यवस्था को हाई-टेक और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने का रोडमैप पेश किया है।
सीआईआई बिग पिक्चर समिट ने एआई युग में रचनात्मक नवाचार, निवेश और कंटेंट निर्यात बढ़ाने के लिए उद्योग और सरकार के सहयोग को मजबूत किया है।
नई दिल्ली / केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण (आईएंडबी) सचिव संजय जाजू ने मुंबई में आयोजित सीआईआई बिग पिक्चर समिट के 12वें संस्करण में कहा कि भारत का मीडिया और मनोरंजन (M&E) क्षेत्र एआई द्वारा उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद तेजी से बढ़ने की क्षमता रखता है। “एआई युग: रचनात्मकता और वाणिज्य के बीच सेतु” विषय पर बोलते हुए उन्होंने स्पष्ट किया कि आने वाला दशक भारत की रचनात्मक अर्थव्यवस्था के लिए ऐतिहासिक हो सकता है, बशर्ते उद्योग तकनीकी बदलावों को अपनाने की गति बढ़ाए।
AI युग में रचनात्मकता और व्यवसाय का नया समीकरण
श्री जाजू ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की वजह से कंटेंट निर्माण, वितरण और उपभोग के तरीकों में क्रांतिकारी बदलाव आ रहे हैं। ऐसे समय में पारंपरिक तरीके तेजी से अप्रासंगिक होते जा रहे हैं और भारतीय क्रिएटर्स को नई तकनीकों के साथ तालमेल बिठाना अनिवार्य होगा। उन्होंने कहा कि एआई के कारण प्रतिस्पर्धा मजबूत हो रही है लेकिन साथ ही इसका उपयोग रचनात्मकता, उत्पादन क्षमता और वैश्विक बाज़ारों तक पहुंच को भी बढ़ाता है।
उनके अनुसार, “यदि भारतीय उद्योग नई तकनीकों को नहीं अपनाता, तो वैश्विक मीडिया और मनोरंजन बाजार में हमारी हिस्सेदारी और कम हो सकती है। यह चुनौती भी है और अवसर भी।”
भारत की रचनात्मक अर्थव्यवस्था का बढ़ता प्रभाव
आईएंडबी सचिव ने बताया कि भारत की रचनात्मक अर्थव्यवस्था प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से एक करोड़ से अधिक लोगों के रोजगार का स्रोत है, और यह क्षेत्र लगभग 3 लाख करोड़ रुपये का योगदान राष्ट्रीय जीडीपी में करता है। उन्होंने बताया कि भारत की कहानी कहने की विरासत- श्रुति (मौखिक परंपरा), कृति (लिखित), और दृश्य (चित्रण व सिनेमा)- वैश्विक स्तर पर अद्वितीय है।
फिर भी, वैश्विक M&E बाजार में भारत की हिस्सेदारी केवल 2% है। यह आँकड़ा उस संभावनाशील ऊर्जा के मुकाबले बहुत कम है जिसकी दुनिया में भारतीय क्रिएटर्स सराहना पाते हैं। उन्होंने उद्योग से आग्रह किया कि भारतीय कहानियों की शक्ति का उपयोग करते हुए उन्हें वैश्विक दर्शकों तक पहुँचाया जाए।
सरकार की भूमिका: सुविधा, सहयोग और स्किल डेवलपमेंट
श्री जाजू ने कहा कि सरकार की भूमिका एक फैसिलिटेटर के रूप में है, जहाँ नीति, ढांचा और कौशल निर्माण को मजबूत बनाया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने मुंबई में भारतीय रचनात्मक प्रौद्योगिकी संस्थान (IICT) की स्थापना को मंजूरी दी है, जिससे भारत में उच्चस्तरीय स्किल डेवेलपमेंट, आधुनिक तकनीकी अनुसंधान और उद्योग आधारित प्रशिक्षण को प्रोत्साहन मिलेगा।
गोरेगांव स्थित फिल्म सिटी में IICT का प्रमुख परिसर आने वाले दो वर्षों में तैयार हो जाएगा, जबकि NFDC परिसर पहले ही संचालन शुरू कर चुका है। यह मॉडल सरकार और उद्योग के साझेदाराना दृष्टिकोण का सशक्त उदाहरण है।
भारत की Soft Power को मजबूत करने का अवसर
सूचना एवं प्रसारण सचिव ने ज़ोर देकर कहा कि भारत एक उभरती हुई आर्थिक शक्ति है और उसकी कहानियों को दुनिया के हर हिस्से तक पहुंचना चाहिए। यही भारतीय सॉफ्ट पावर की मूल भावना है। उन्होंने कहा कि आज वैश्विक उपभोक्ता तकनीक से जुड़ी, तथ्यपरक, उच्च गुणवत्ता वाली कहानियों को अधिक पसंद करता है। इसलिए भारतीय क्रिएटर्स को कल्पनाशीलता और तकनीक को मिलाकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा बढ़ानी चाहिए।
CII White Paper: रचनात्मक अर्थव्यवस्था के लिए रोडमैप
इस अवसर पर CII ने “भारत की वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी रचनात्मक अर्थव्यवस्था के लिए प्राथमिक नीतिगत सुधार” शीर्षक से एक व्यापक श्वेत पत्र जारी किया। इसमें शामिल प्रमुख सुझाव हैं:
-
अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भारतीय IP की पहुंच बढ़ाना
-
अत्याधुनिक तकनीक आधारित प्रोडक्शन सुविधाओं का विकास
-
क्रिएटिव स्टार्टअप्स के लिए निवेश अनुकूल वातावरण बनाना
-
एआई, वीएफएक्स, एनीमेशन और गेमिंग जैसे क्षेत्रों में स्किल निर्माण
इवेंट में CII M&E Investors Meet और Waves Bazaar का भी शुभारंभ किया गया, जिसने क्रिएटर्स को खरीदारों और निवेशकों से जुड़ने का प्लेटफॉर्म प्रदान किया।