IFFI 2025 Goa : 56वें IFFI में भारतीय सिनेमा के छह महान रचनाकारों को विशेष सम्मान

Thu 27-Nov-2025,03:49 PM IST +05:30

ताजा खबरों से अपडेट रहने के लिए हमारे Whatsapp Channel को Join करें |

Follow Us

IFFI 2025 Goa : 56वें IFFI में भारतीय सिनेमा के छह महान रचनाकारों को विशेष सम्मान
  • IFFI 2025 में भारतीय सिनेमा के छह महान कलाकारों को उनकी कला, योगदान और सांस्कृतिक प्रभाव के लिए विशेष सम्मान के रूप में याद किया गया।

  • गुरुदत्त, राज खोसला, ऋत्विक घटक, भूपेन हजारिका और अन्य कलाकारों की संवेदनशील रचनात्मकता को भारतीय सिनेमा की सांस्कृतिक नींव बताया गया।

  • IFFI 2025 में भारतीय सिनेमा की विरासत को सलाम करते हुए गुरुदत्त, खोसला, घटक, भानुमति, हजारिका और सलील चौधरी को विशेष सम्मान दिया गया।

Goa / Panaji :

गोवा / 56वें भारत अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (IFFI) गोवा का समापन इस बार भारतीय सिनेमा के स्वर्णिम अध्याय को समर्पित रहा। महोत्सव के छठा दशक पूरा होने पर देश के छह महान फिल्मी व्यक्तित्वों को विशेष सम्मान दिया गया, जिन्होंने भारतीय सिनेमा की दिशा, धारा और संवेदना को गहराई से प्रभावित किया।
इन कलाकारों में गुरुदत्त, राज खोसला, ऋत्विक घटक, पी. भानुमति, भूपेन हजारिका और सलील चौधरी शामिल रहे—ये सभी अपने-अपने क्षेत्र में अद्वितीय पहचान रखते हैं और भारतीय फिल्म इतिहास के महत्वपूर्ण स्तंभ माने जाते हैं।

गुरुदत्त की फ़िल्मों में दिखाई देने वाली काव्यात्मक सौंदर्य दृष्टि और गहरे भावनात्मक संघर्षों ने कथा शैली को नया आयाम दिया। वहीं राज खोसला ने फिल्म निर्माण में सस्पेंस, म्यूज़िकल ड्रामा और सामाजिक कथानक की नई परिभाषाएँ गढ़ीं।
ऋत्विक घटक ने यथार्थवादी सिनेमा को ऐसी धार दी, जिसने समाज और मनुष्य के संघर्षों को वास्तविक रूप में सामने रखा। पी. भानुमति ने अभिनय, निर्देशन, संगीत और लेखन—चारों क्षेत्रों में कार्य कर भारतीय सिनेमा में बहुमुखी प्रतिभा की मिसाल कायम की।

भूपेन हजारिका की आवाज और उनकी रचनाएँ मानवता, प्रकृति और संघर्ष की आत्मीय व्याख्या के लिए जानी जाती हैं। वहीं सलील चौधरी का मधुर, प्रयोगशील और कालातीत संगीत आज भी भारतीय संगीत जगत की धरोहर माना जाता है।

IFFI में इन छह कलाकारों को स्मरण कर यह संदेश दिया गया कि भारतीय सिनेमा सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि सांस्कृतिक विरासत, कलात्मक प्रयोग और सामाजिक संवेदनाओं का गहरा संगम है। उनकी रचनाओं ने न केवल भारतीय फिल्मों को पहचान दी, बल्कि विश्व सिनेमा में भी भारतीय कला की गंभीर उपस्थिति दर्ज कराई।
महोत्सव ने स्पष्ट किया कि भारतीय फिल्म जगत की यह विरासत नई पीढ़ी के कलाकारों को निरंतर प्रेरित करती रहेगी और सिनेमा के भविष्य को दिशा प्रदान करती रहेगी।