कांवड़ यात्रा में सांप्रदायिक तनाव फैलाने की साजिश नाकाम, तीन आरोपी गिरफ्तार
ताजा खबरों से अपडेट रहने के लिए हमारे Whatsapp Channel को Join करें |

पाकिस्तान के वीडियो से भारत में दंगा फैलाने की कोशिश विफल।
मुजफ्फरनगर में तीन आरोपी गिरफ्तार, जांच जारी।
पुलिस ने जनता से अफवाहों से सतर्क रहने की अपील की।
Muzaffarnagar / उत्तर प्रदेश पुलिस ने एक बड़ी साजिश का पर्दाफाश करते हुए पाकिस्तान के एक पुराने वीडियो का इस्तेमाल कर कांवड़ यात्रा को विफल करने और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सांप्रदायिक दंगे भड़काने की कोशिश को विफल कर दिया है। यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल किया जा रहा था, जिससे क्षेत्र में शांति और सुरक्षा को गंभीर खतरा उत्पन्न हो सकता था। मुजफ्फरनगर के ककरौली थाना पुलिस ने इस मामले में तीन मुख्य आरोपियों—नदीम, मनशेर और रहीश—को गिरफ्तार किया है, जिन्होंने यह वीडियो एक व्हाट्सएप ग्रुप पर फैलाया था।
सहारनपुर के पुलिस उपमहानिरीक्षक (डीआईजी) अभिषेक सिंह ने पत्रकारों को जानकारी देते हुए बताया कि श्रावण मास में कांवड़ यात्रा को सकुशल सम्पन्न कराने के लिए प्रशासन पूरी तरह से मुस्तैद है। मुजफ्फरनगर, जो कि पहले से ही एक संवेदनशील जनपद माना जाता है, वहां सुरक्षा की दृष्टि से विशेष बल जैसे कि एटीएस (एंटी टेरर स्क्वाड) और आरएएफ (रेपिड एक्शन फोर्स) को तैनात किया गया है। साथ ही सोशल मीडिया पर भी विशेष नजर रखी जा रही है ताकि किसी भी प्रकार की अफवाह या दुष्प्रचार को समय रहते रोका जा सके।
डीआईजी सिंह के अनुसार, पुलिस को एक सूचना मिली कि "ककरौली युवक एकता" नामक व्हाट्सएप ग्रुप पर एक वीडियो और ऑडियो वायरल किया जा रहा है। इस वीडियो में एक महिला और उसके छोटे बच्चों की खून से सनी लाशें दिखाई गई थीं। ऑडियो में यह दावा किया गया था कि यह घटना मुरादाबाद जिले के मंसूरपुर गांव की है, जहां कथित तौर पर बजरंग दल के कार्यकर्ता मुस्लिम घरों में घुसकर लोगों की हत्या कर रहे हैं। इसमें कहा गया कि मुसलमानों को चुन-चुन कर मारा जा रहा है और लोगों से यह वीडियो अधिक से अधिक शेयर करने की अपील की गई।
जांच में यह बात सामने आई कि यह वीडियो वास्तव में पाकिस्तान के मुजफ्फरगढ़ जिले की एक पुरानी घटना का है, जो वर्ष 2024 में घटी थी। उस समय एक व्यक्ति ने अपनी पत्नी और सात साल के बेटे की कुल्हाड़ी से हत्या कर दी थी। यह वीडियो भारत में सांप्रदायिक तनाव फैलाने के उद्देश्य से गलत दावे के साथ वायरल किया गया।
पुलिस ने आरोपितों को गिरफ्तार कर उनके मोबाइल फोन जब्त कर लिए हैं। उनसे पूछताछ में पता चला कि यह एक सुनियोजित साजिश थी, जिसमें विशेष समुदाय की भावनाओं को भड़काकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में दंगा फैलाने और कांवड़ यात्रा को बाधित करने की योजना थी। पुलिस अब इस गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश में जुटी है।
डीआईजी अभिषेक सिंह ने आम जनता से अपील की है कि वे किसी भी भड़काऊ सामग्री पर विश्वास न करें और इस प्रकार के वीडियो या ऑडियो से सतर्क रहें। यदि कोई व्यक्ति ऐसी गतिविधियों में संलिप्त पाया जाए तो उसकी सूचना तुरंत पुलिस को दें। इस प्रकार की सजगता ही समाज और राष्ट्र को सुरक्षित बनाए रखने में सहायक हो सकती है।