श्रीनगर नौगाम पुलिस स्टेशन ब्लास्ट: 9 की मौत, 32 घायल, विस्फोटक सैंपलिंग के दौरान बड़ा हादसा
ताजा खबरों से अपडेट रहने के लिए हमारे Whatsapp Channel को Join करें |
Srinagar Nowgam police station blast
नौगाम पुलिस स्टेशन ब्लास्ट में 9 लोगों की मौत, 32 घायल.
विस्फोटक सैंपलिंग के दौरान हादसा, पुलिस स्टेशन बुरी तरह क्षतिग्रस्त.
जांच जारी, घायलों का इलाज आर्मी बेस और SKIMS सौरा में.
Kashmir / जम्मू-कश्मीर की राजधानी श्रीनगर में नौगाम पुलिस स्टेशन में शुक्रवार देर रात हुआ विस्फोट पूरे देश को हिला देने वाली घटना बन गया। रात करीब 11:22 बजे हुए इस ब्लास्ट ने न सिर्फ पुलिस स्टेशन का बड़ा हिस्सा तबाह कर दिया, बल्कि नौ लोगों की जान भी ले ली। यह हादसा उस समय हुआ जब पुलिस व्हाइट कॉलर आतंकी मॉड्यूल मामले में बरामद विस्फोटक के सैंपल की जांच कर रही थी। 32 लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं, जिनका इलाज 92 आर्मी बेस हॉस्पिटल और SKIMS सौरा में चल रहा है।
अधिकारियों के अनुसार, विस्फोटक हरियाणा के फरीदाबाद से गिरफ्तार डॉ. मुजम्मिल गनई के किराए के घर से बरामद किया गया था। गनई, दिल्ली में लाल किला के पास 10 नवंबर को हुए कार ब्लास्ट के मामले में पहले से गिरफ्तार है, जिसमें 13 लोगों की मौत हुई थी। ऐसे संवेदनशील विस्फोटक की सैंपलिंग के दौरान ब्लास्ट होना कई सवाल खड़ा करता है। जम्मू-कश्मीर के डीजीपी नलिन प्रभात ने पुष्टि करते हुए कहा कि यह एक दुर्घटना थी और सैंपल लेते समय यह विस्फोट हुआ। मृतकों में एक इंस्पेक्टर, तीन फॉरेंसिक टीम सदस्य, दो क्राइम ब्रांच फोटोग्राफर, दो राजस्व अधिकारी और एक दर्जी शामिल हैं। इन सभी की मौके पर ही मौत हो गई, जिससे पुलिस विभाग सहित प्रशासन में गहरा शोक फैल गया है।
तेज धमाके के बाद आसपास के इलाकों में अफरा-तफरी मच गई। स्थानीय निवासी शफाद अहमद ने बताया कि धमाका इतना भयावह था कि घरों की खिड़कियां तक हिल गईं। लोग नींद से जागकर घरों से बाहर भागे। उन्होंने कहा कि अपने जीवन में उन्होंने कभी इतना जोरदार विस्फोट नहीं सुना था। इस ब्लास्ट की तीव्रता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कुछ शवों के हिस्से पुलिस स्टेशन से 100-200 मीटर दूर तक बिखर गए। कई शवों पर आग की वजह से पहचान करना भी मुश्किल हो गया है। नौगाम पुलिस स्टेशन का बड़ा हिस्सा जमींदोज हो चुका है, और पूरे क्षेत्र को सुरक्षा कारणों से फेंसिंग लगाकर घेर दिया गया है।
घटना के बाद जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा घायल लोगों से मिलने पहुंचे। उन्होंने उजाला सिग्नस अस्पताल का दौरा किया और घायलों के उपचार में पूरी सहायता देने का भरोसा दिलाया। इस ब्लास्ट में स्टेट इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (SIA) के अधिकारी असरार अहमद की भी जान चली गई, जो कुपवाड़ा के रहने वाले थे। मृतकों में नायब तहसीलदार मुजफ्फर अहमद का शव भी शामिल है।
इस घटना को लेकर कई राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी सामने आईं। जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्ग्रेस (JKNC) के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि यह हमारी गंभीर गलती थी कि जिन लोगों को विस्फोटक संभालने की गहरी समझ है, उनसे सलाह नहीं ली गई। उन्होंने कहा कि इतने खतरनाक विस्फोटक को सावधानी से संभाला जाना चाहिए था, और इस लापरवाही ने नौ लोगों की जान ले ली। उन्होंने यह भी कहा कि कश्मीर के लोग पहले ही दिल्ली हमले के बाद आरोपों का सामना कर रहे हैं, और इस तरह की घटनाएं उन्हें और अधिक बोझिल कर देती हैं।
CPI(M) नेता एम.वाई. तारिगामी ने भी घटना को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि यह जरूरी है कि विस्फोट के सही कारणों की जांच हो, ताकि यह पता चल सके कि यह पूरी तरह दुर्घटना थी या लापरवाही का परिणाम। गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव प्रशांत लोखंडे ने भी बताया कि फॉरेंसिक टीम SOP के तहत काम कर रही थी, तभी अचानक ब्लास्ट हो गया। उन्होंने कहा कि जांच जारी है और जल्द ही सही वजह सामने आएगी।
इस ब्लास्ट ने न सिर्फ पुलिस विभाग को गहरे सदमे में डाला है बल्कि आम जनता में भी दहशत का माहौल पैदा किया है। एक ही परिसर में इतने संवेदनशील विस्फोटक का होना और उसके सैंपलिंग के दौरान ऐसा बड़ा हादसा होना सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल उठाता है। फिलहाल पुलिस स्टेशन के आसपास का क्षेत्र पूरी तरह सील कर दिया गया है, और फॉरेंसिक विशेषज्ञ मौके से सबूत इकट्ठा कर रहे हैं। इसके साथ ही उच्च स्तर पर जांच की मांग की जा रही है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।
यह घटना देश को याद दिलाती है कि आतंकवाद से जुड़े मामलों में बरामद विस्फोटकों को संभालना कितना खतरनाक काम है और इसके लिए सर्वोच्च स्तर की सावधानी जरूरी है। श्रीनगर का यह हादसा कई परिवारों को अनंत पीड़ा दे गया है, और जिन परिजन ने अपनों को खोया है, उनके लिए यह क्षति अपूरणीय है।