अमेरिका का दोहरा रवैया उजागर: भारत में “विस्फोट”, पाकिस्तान में “आतंकी हमला” क्यों कहा गया?

Wed 12-Nov-2025,06:26 PM IST +05:30

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अमेरिका का दोहरा रवैया उजागर: भारत में “विस्फोट”, पाकिस्तान में “आतंकी हमला” क्यों कहा गया? America double standard on terrorism
  • भारत में विस्फोट पर अमेरिकी दूतावास की ठंडी प्रतिक्रिया.

  • पाकिस्तान धमाके को अमेरिका ने आतंकी हमला कहा.

  • सोशल मीडिया पर अमेरिका की आलोचना तेज.

Delhi / Delhi :

Delhi / आतंकवाद के मुद्दे पर अमेरिका का दोहरा चरित्र एक बार फिर सामने आ गया है। भारत और पाकिस्तान में हुए दो अलग-अलग धमाकों पर अमेरिका की प्रतिक्रिया ने स्पष्ट कर दिया कि उसके शब्दों का चयन और दृष्टिकोण दोनों देशों के प्रति समान नहीं है। भारत में हुए विस्फोट पर अमेरिका ने बस एक औपचारिकता निभाई, जबकि पाकिस्तान में हुए धमाके को उसने सीधे तौर पर "आतंकी हमला" बताया और पाकिस्तान के साथ एकजुटता जताई।

सोमवार शाम भारत की राजधानी नई दिल्ली में एक भीषण विस्फोट हुआ, जिसमें 12 लोगों की मौत और कई अन्य घायल हो गए। देशभर में इस घटना की निंदा हुई, लेकिन अमेरिका की प्रतिक्रिया ठंडी और औपचारिक रही। भारत स्थित अमेरिकी दूतावास ने एक दिन बाद सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया जिसमें लिखा था, “हमारी प्रार्थनाएं उन लोगों के साथ हैं जिन्होंने बीती रात नई दिल्ली में हुए विस्फोट में अपनों को खो दिया। हम घायलों के जल्द ठीक होने की कामना करते हैं।”

यानी अमेरिका ने इस घटना को मात्र “विस्फोट” कहकर टाल दिया — न आतंकवाद का जिक्र, न किसी समर्थन का संकेत। वहीं अगले ही दिन मंगलवार को पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में एक अदालत परिसर में बम धमाका हुआ, जिसमें कई लोग मारे गए। इस बार पाकिस्तान स्थित अमेरिकी दूतावास ने तुरंत प्रतिक्रिया दी और बयान जारी किया — “संयुक्त राज्य अमेरिका आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में पाकिस्तान के साथ खड़ा है। हम इस हमले की निंदा करते हैं और शांति एवं स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए पाकिस्तान सरकार के प्रयासों का समर्थन करते हैं।”

दोनों बयानों के बीच यह फर्क ही असली विवाद का कारण बन गया। भारत में जहां आतंकवाद शब्द का उपयोग तक नहीं हुआ, वहीं पाकिस्तान के लिए अमेरिका ने “आतंकी हमला” कहकर स्पष्ट रूप से आतंकवाद के खिलाफ समर्थन जताया। सोशल मीडिया पर भारतीय नागरिकों ने अमेरिका के इस रुख पर तीखी प्रतिक्रिया दी।

एक यूजर शिवा मुद्गिल ने लिखा, “अमेरिकी दूतावास ने दिल्ली विस्फोट पर प्रतिक्रिया देने में पूरा एक दिन लगा दिया, जबकि पाकिस्तान के लिए बयान कुछ ही घंटों में आ गया। ऐसा लगता है कि अमेरिका भारत में आतंकवाद को अलग नजरिए से देखता है।”
एक अन्य यूजर ने कहा, “शब्दों का चयन और प्रतिक्रिया का समय ही सब बता देता है कि अमेरिका के लिए भारत और पाकिस्तान समान नहीं हैं।”

यह पहली बार नहीं है जब अमेरिका का दोहरा रवैया उजागर हुआ है। अंतरराष्ट्रीय राजनीति में अमेरिका अक्सर अपने हितों के अनुसार शब्दों का इस्तेमाल करता है। फिलहाल पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर अमेरिका के करीबी माने जा रहे हैं। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में उन्हें “अपना पसंदीदा फील्ड मार्शल” तक कहा। इसके विपरीत भारत पर ट्रंप प्रशासन ने भारी टैरिफ लगाए हैं और रूस से सस्ता तेल न खरीदने का दबाव भी बढ़ाया है।

इन घटनाओं ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या अमेरिका आतंकवाद के मुद्दे पर निष्पक्ष है या फिर उसका रवैया पूरी तरह रणनीतिक है। भारत जैसे लोकतांत्रिक देश, जो दशकों से आतंकवाद का सामना कर रहे हैं, ऐसे दोहरे मानदंडों से स्वाभाविक रूप से आहत हैं। आखिर कब तक आतंकवाद की परिभाषा देश-दर-देश बदलती रहेगी?

भारत के नागरिक अब स्पष्ट तौर पर महसूस कर रहे हैं कि अमेरिका की “संवेदनाएं” भी राजनीति से परे नहीं हैं। जब आतंकवाद भारत को चोट पहुंचाता है, तब अमेरिका “विस्फोट” कहकर चुप रह जाता है, और जब वही आतंक पाकिस्तान में होता है, तो “आतंकी हमला” कहकर समर्थन का हाथ बढ़ा देता है। यही है वह दोहरा चेहरा, जो अब किसी से छिपा नहीं।