विजय माल्या का आरोप: सरकार और बैंक वसूली के आंकड़ों में क्यों बड़ा अंतर?
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भगोड़े विजय माल्या ने सरकार और बैंकों पर कर्ज वसूली के विरोधाभासी आंकड़े देने का आरोप लगाया। माल्या का दावा-ED और बैंकों ने अतिरिक्त वसूली की है।
नई दिल्ली / भगोड़े उद्योगपति विजय माल्या ने एक बार फिर भारत सरकार और बैंकों पर गंभीर सवाल उठाए हैं। किंगफिशर एयरलाइंस के कर्ज विवाद पर माल्या का आरोप है कि सरकार और बैंक अलग-अलग आंकड़े पेश कर रहे हैं, जिससे पूरे मामले में भ्रम की स्थिति पैदा हो रही है। माल्या का दावा है कि डेट रिकवरी ट्रिब्यूनल (DRT) ने किंगफिशर का मूल कर्ज ₹6,203 करोड़ (जिसमें ₹1,200 करोड़ ब्याज शामिल था) तय किया था, जबकि सरकार ने संसद में कहा कि ED ने बैंकों को ₹14,131.60 करोड़ की संपत्ति बहाल की है। माल्या के अनुसार, यह राशि उनके मूल कर्ज की तुलना में दोगुनी से भी अधिक है।
माल्या ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म X पर पोस्ट कर कहा कि यदि ED और बैंकों ने वसूली में अतिरिक्त रकम ली है, तो उन्हें यह कानूनी रूप से साबित करना होगा, अन्यथा उन्हें राहत दी जानी चाहिए। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बैंकों ने उनकी जब्त संपत्तियों की बिक्री और वसूली का पारदर्शी डेटा उपलब्ध नहीं कराया है। फरवरी 2025 में उन्होंने कर्नाटक हाईकोर्ट में रिकवरी प्रक्रिया को चुनौती देते हुए कहा था कि बैंक ₹14,000 करोड़ से अधिक वसूल कर चुके हैं।
इसी बीच 1 दिसंबर 2025 को लोकसभा में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने बताया कि माल्या सहित 15 भगोड़े आर्थिक अपराधियों ने बैंकों को ₹58,082 करोड़ का नुकसान पहुंचाया है। माल्या का व्यक्तिगत कर्ज ₹22,065 करोड़ बताया गया। सरकार के अनुसार अब तक ₹19,187 करोड़ की वसूली हुई है। बैंक-वार विवरण में SBI के लिए मूल ₹6,848 करोड़ और ब्याज ₹11,960 करोड़ बताया गया।
विशेषज्ञों के अनुसार, आंकड़ों में अंतर का कारण है-
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मूल कर्ज और कुल बकाया (ब्याज सहित) में अंतर
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अलग-अलग समय की गणना (NPA बनने से अक्टूबर 2025 तक)
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वसूली की अलग विधियाँ (संपत्ति बिक्री vs ED जब्ती)
वर्तमान में माल्या यूके में हैं और उनकी प्रत्यर्पण प्रक्रिया लंबित है। यह मामला भारत की बैंकिंग प्रणाली, वसूली तंत्र और भगोड़े आर्थिक अपराधियों पर कार्रवाई को लेकर नई बहस छेड़ रहा है।