Supreme Court SIR hearing | SIR की सच्चाई कौन छुपा रहा है? सुप्रीम कोर्ट में खुलने वाला है बड़ा राज!

Tue 02-Dec-2025,02:39 AM IST +05:30

ताजा खबरों से अपडेट रहने के लिए हमारे Whatsapp Channel को Join करें |

Follow Us

Supreme Court SIR hearing | SIR की सच्चाई कौन छुपा रहा है? सुप्रीम कोर्ट में खुलने वाला है बड़ा राज! Supreme Court SIR hearing
  • सुप्रीम कोर्ट ने SIR विवादों पर अलग-अलग राज्यों की याचिकाओं की सुनवाई तय की।

  • तमिलनाडु में BLO पर बढ़ते दबाव और आत्महत्या के आरोपों से स्थिति गंभीर।

  • शरणार्थियों की मतदाता सूची में अस्थायी शामिल किए जाने की मांग पर सुनवाई 9 दिसंबर को।

Delhi / New Delhi :

Delhi / सुप्रीम कोर्ट ने विभिन्न राज्यों और राजनीतिक दलों की याचिकाओं पर विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) को लेकर गंभीरता दिखाई है और अब इन मामलों की सुनवाई के लिए अलग-अलग तारीखें तय कर दी हैं। यह मुद्दा सिर्फ मतदाता सूची के सत्यापन तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके साथ जुड़े प्रशासनिक दबाव, स्थानीय राजनीतिक वास्तविकताएँ और शरणार्थियों के अधिकार जैसे गहरे प्रश्न भी सामने आ रहे हैं।

तमिलनाडु में तनाव: बीएलओ पर दबाव और आत्महत्या के आरोप
तमिलनाडु में अभिनेता से नेता बने विजय की पार्टी तमिलगा वेट्ट्री कझगम (TVK) ने SIR को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और स्कूल शिक्षकों को बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) बनाकर उन पर अत्यधिक दबाव डाला जा रहा है।

TVK के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने अदालत को बताया कि BLO को तय संख्या तक फॉर्म जमा करने के लिए मजबूर किया जा रहा है। और लक्ष्य पूरा न करने पर उन्हें जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 32 के तहत नोटिस भेजे जाते हैं – जिसमें तीन महीने की सजा और नौकरी खोने का खतरा शामिल है।

सबसे गंभीर आरोप 21 BLO की आत्महत्या से जुड़ा है, जिनकी वजह दबाव बताया जा रहा है। यही कारण है कि TVK ने SIR को मनमाना और कर्मचारियों के लिए असहनीय बताया है। चुनाव आयोग ने SIR फॉर्म जमा करने की तारीख 4 दिसंबर से बढ़ाकर 11 दिसंबर कर दी है, लेकिन इससे विवाद कम नहीं हुए हैं।

अलग-अलग राज्यों में अलग चुनौतियाँ
सुप्रीम कोर्ट इन मामलों की सुनवाई राज्यों के हिसाब से कर रहा है:

  • केरल की याचिका – 2 दिसंबर
  • तमिलनाडु की याचिकाएँ – 4 दिसंबर
  • पश्चिम बंगाल की याचिका – 9 दिसंबर

केरल में CPI और राज्य सरकार ने SIR को टालने की मांग की है, क्योंकि इस दौरान स्थानीय निकाय चुनाव हो रहे हैं और प्रशासनिक कर्मचारियों पर काम का बोझ बढ़ रहा है।

बांग्लादेश से आए शरणार्थियों का मामला: वोट देने का अधिकार या अधर में लटका नागरिकता प्रश्न?
पश्चिम बंगाल में SIR से जुड़ी एक और संवेदनशील याचिका पर भी कोर्ट सुनवाई कर रहा है। बांग्लादेश से आए हिंदू, बौद्ध, ईसाई और जैन समुदाय के शरणार्थियों की ओर से एनजीओ ‘आत्मदीप’ ने मांग की है कि इन लोगों को SIR के दौरान अस्थायी रूप से मतदाता सूची में शामिल किया जाए।

वरिष्ठ अधिवक्ता करुणा नंदी ने दलील दी कि ये शरणार्थी 2014 से पहले भारत आए थे और धार्मिक उत्पीड़न से बचकर आए थे, लेकिन नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के तहत उनके आवेदन अभी तक लंबित पड़े हैं। ऐसे में मतदाता सूची से बाहर रखना उन्हें दोहरी पीड़ा देगा।

सुप्रीम कोर्ट ने इस पर कहा कि नागरिकता का सवाल सामूहिक नहीं, बल्कि प्रत्येक व्यक्ति के मामले के आधार पर तय होगा, और इस पर विस्तृत सुनवाई 9 दिसंबर को होगी।

चुनाव आयोग की भूमिका और सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
26 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यह तर्क कि “SIR पहले कभी नहीं हुआ”, चुनाव आयोग की वैधता को चुनौती देने का आधार नहीं हो सकता।

अदालत ने स्पष्ट किया कि मतदाता सूची की शुचिता सुनिश्चित करना चुनाव आयोग की जिम्मेदारी है, और वह आवश्यक कदम उठाने के लिए स्वतंत्र है।

SIR को लेकर उठे विवाद सिर्फ तकनीकी नहीं हैं। इसके पीछे कर्मचारी सुरक्षा, प्रशासनिक दबाव, राज्य की राजनीतिक स्थिति और नागरिकता से जुड़ी जटिलता जैसे गहरे मुद्दे भी मौजूद हैं। सुप्रीम कोर्ट की आगामी सुनवाई इन सभी पहलुओं पर महत्वपूर्ण फैसला दे सकती है—जिसका असर राज्यों से लेकर शरणार्थियों तक पर पड़ेगा।